CM Bhupesh Baghel::हिमाचल प्रदेश में रिवाज कायम रखने वाली कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया है। हिमाचल में मिली इस बड़ी जीत से छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का पार्टी में कद बढ़ गया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में कांकेर जिले की भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की है। हिमाचल के चुनाव और भानुप्रतापपुर उपचुनाव में मिली जीत के पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सियासी रणनीति मानी जा रही है, जो भानुप्रतापपुरा और हिमाचल में काम कर गई। दोनों राज्य में बीजेपी के सारे दावे और हथकंडे नाकाम हो गए। माना जा रहा है कि भानुप्रतापपुरा और हिमाचल की जीत से कांग्रेस में सीएम भूपेश बघेल का सियासी कद और बढ़ गया है।
बता दें कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल पर विश्वास जताते हुए उन्हें हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राज्य का पर्यवेक्षक बनाया था। हिमाचल की जिम्मेदारी मिलते ही भूपेश बघेल भी पूरे चुनाव के दौरान सक्रिय रहे।
भूपेश ने घोषणा पत्र ही नहीं चुनावी रणनीति भी बनाई
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने कई जनहितैषी योजनाएं चला रखी हैं। जिनको सराहा जा रहा है। ऐसे में हिमाचल में कांग्रेस ने जो चुनावी घोषणा पत्र तैयार किया था। उसमें भूपेश बघेल की अहम भूमिका रही। उनकी जनहितकारी योजना को ध्यान में रखकर घोषणा पत्र तैयार किया गया था। कांग्रेस ने युवाओं को 5 लाख नौकरी के साथ महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये और पहली कैबिनेट बैठक में 1 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया गया था। जो हिमाचल की जनता को पसंद आया। अब देखा जाए तो भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी में अशोक गहलोत और सचिन पायलट से बहुत आगे निकल गए हैं। भूपेश बघेल के लिए बूस्टर का काम हिमाचल से आए नतीजों ने किया है। दरअसल दो राज्य गुजरात और हिमाचल में विधानसभा का चुनाव था। दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार थी। ऐसे में कांग्रेस के सामने दोनों राज्यों में सत्ता में वापसी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। इस चाहत के चलते कांग्रेस ने अपने दो राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान के धुरंधर सीएम पर दांव लगाया था। हिमाचल में भूपेश बघेल तो गुजरात में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को जिम्मेदारी दी गई थी।
गुजरात में नहीं चला जादूगर का जादू
कांग्रेस ने सियासत के जादूगर कहे जाने वाले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को गुजरात का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया था। वहीं हिमाचल की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को दी। दोनों सीएम की खासियत पर कांग्रेस को भरोसा था। गुजरात में अशोक गहलोत कोई करिश्मा नहीं कर सके लेकिन भूपेश बघेल भरोसा कायम रखने में कामयाब हो गए। वो बीजेपी की काट ढूंढ कर चुनाव के नतीजे हाथ में डाल देंगे। दरअसल छत्तीसगढ़ और राजस्थान दोनों राज्यों में बीजेपी को हटाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी। ऐसे में पार्टी ने भरोसा करते हुए गहलोत और बघेल को गुजरात और हिमाचल की जिम्मेदारी सौंपी थी। हिमाचल में सीएम भूपेश बघेल की रणनीति काम कर गई और 68 सीटों में से कांग्रेस ने 40 सीट पर शानदार जीत करते हुए सत्ता में वापसी की। यहां बीजेपी को केवल 25 सीटें मिली हैं। जबकि कांग्रेस का विकल्प बनने का ख्वाब देख रही आम आदमी पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई। वहीं हॉर्स ट्रेडिंग के डर से सीएम भूपेश बघेल ने हिमाचल में डेरा भी डाल दिया।
भूपेश बघेल और शुक्ला की अध्यक्षता में होगी बैठक
विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद कांग्रेस ने सीएम पद किे लिए चेहरे की तलाष तेज कर दी है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। और इस मुलाकात में निर्णय लिया गया कि शुक्रवार की शाम चंडीगढ़ में राजीव शुक्ला और भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विधायक दल की एक बैठक होगी। बैठक में बहुत सभी बातों पर मंथन होगा और संभावना है की विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की मुहर लगने के बाद निर्णय हो जाएगा कि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन होगा।
‘बाबा’ पर हावी हुए ‘काका’
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को लोग काका और उनकी मंत्री मं उनके मंत्री टीएस सिंहदेव को बाबा कहकर संबोधित करते हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दोनों के बीच कई बार टकराव की खबरें सुर्खियां बनीं। ढाई ढाई साल सीएम के मुद्दे पर बाबा टीएस सिंहदेव दिल्ली में जा पहुंचे लेकिन काका भूपेश बघेल की रणनीति के आगे फेल हो गए। दोनों के बीच टकराव की खबरों के बीच हिमाचल और भानूप्रतापपुर चुनाव के नतीजे भूपेश बघेल को राज्य में मजबूत कर रहे हैं। बीते साढ़े चार सालों में छत्तीसगढ़ ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना नहीं करना पड़ा है। भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने सभी उपचुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। जिससे उनका कद केन्द्रीय संगठन में लगातार बढ़ रहा है। दूसरी तरफ टीएस सिंहदेव को उपचुनाव में जीतों का कोई श्रेय नहीं मिला। हालांकि सिंहदेव इस पर बोलने से बचते रहे हैं। लेकिन ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर विवाद खड़ा हुआ था उसके बाद से दोनों नेताओं के बीच कई बार टकराव सामने आया। ऐसे में हिमाचल की जीत से भूपेश बघेल के में इजाफा हुआ है। माना जा रहा है कि 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव भी भूपेश बघेल के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।