एलोवेरा –आयुर्वेद के इस नाम को कौन नहीं जानता। हम में से कई लोग एलोवेरा खाते हैं बेहतर सेहत के लिए कई तरह की दवाओं में लेते हैं तो कई एलोवेरा से स्किन चमकाते हैं। आइए आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाते हैं जिसने एलोवेरा से अपनी किस्मत चमकाई। एलोवेरा से हरीश धनदेव की किस्मत इतनी चमकी कि उसने साल के करोड़ों कमा लिए।
कैसे जुड़े एलोवेरा से हरीश
हरीश ने 2012 में जयपुर से बीटेक किया। बीटेक के बाद हरीश एम बी ए कर रहे थे। इसी दौरान उनकी नौकरी जैसरमेल की नगर पालिका में ही लग गई। हरीश नगर पालिका में यूनियर इंजीनियर के तौर पर काम करने लगे। हरीश पढ़ाई और काम दोनों कर रहे थे। लेकिन हरीश का मन काम में नहीं लगता था। हरीश अपने परिवार की तरह खेती करना चाहते थे। इसी समय हरीश को ऐलोवेरा के बारे मे पता चला। हरीश ने ऐलोवेरा की खेती शुरू करी।
कैसी हुई खेती की शुरूआत
हरीश की मुलाकात बीकानेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एक व्यक्ति से हुई। उसने उन्हें एलोवेरा की खेती का आइडिया दिया। हरीश के पास खेती के लिए पर्याप्त संसाधन थे लेकिन उनका उपयोग करना नहीं आता था।
उस व्यक्ति ने हरीश को ऐलोवेरा की खेती करना सिखाय़ा। हरीश ने खेती को बड़े पैमाने पर शुरू करने से पहले दूसरे पहलूओं पर विचार किया। हरीश ने आसपास किसानों के बीच रिसर्च किया और उसका पता चला कि –इलाके के और किसानों ने भी ऐलोवेरा लगाया लेकिन वो उसे बेच नहीं सके इसलिए घाटे में रहे। हरीश को उस वक्त ये बात सीधे समझ आ गई कि एलोवेरा को बेचने के लिए मार्केट तलाशना होगा।
हरीश ने एलोवेरा के लिए की मार्केटिंग
हरीश ने एलोवेरा के लिए मार्किटिंग की रणनीति तैयार की। उस बाद उसने एलोवेरा लगाना शूरू किया. ऐलोवेरा के बेबी डेंसिसि प्रजाति को पहले लगाया. । हरीश ने पहले दस बीघा में इसे शुरू किया अब हरीश 700 एकड़ में ये खेती कर रहे है।
हरीश पतंजलि को सप्लाई करते हैं ऐलोवेरा
हरीश की मार्केटिंग रणनीति के चलते वो लगातार तरक्की कर रहे है। हरीश पतंजिल आर्युवेद को भी ऐलावेरा का पल्म बेचते है। इसके अलावा आर्युवेदिक गुणों से भरपूर होने के चलते कई सारी आर्युवेदिक फर्म ऐलोवेरा लेतीं है साथ ही विदेशों में भी इसकी डिमांड है।