वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में लगातार तीन दिनों का सर्वे पूरा हो गया. सर्वे टीम ने गुरुवार (19 मई) को वाराणसी सिविल कोर्ट सर्वे की रिपोर्ट सौंपी. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की ओर से कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में हिंदू आस्था से जुड़े कई निशान और साक्ष्य मिले हैं. इसके साथ ही उन्होंने वजूखाने में मिले शिवलिंगनुमा पत्थर की जानकारी दी. इस रिपोर्ट में जगह- जगह स्वास्तिक, त्रिशुल और कमल जैसी कलाकृतियां मिलने की बात कही गई है.
रिपोर्ट के अनुसार एक तहखाने में दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की 6 आकृतियां बनी थीं. तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था. तहखाने में 4- 4 खम्भे मिले, जिनकी ऊंचाई 8-8 फीट थी. नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे. एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी. अंदर भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिंह और उसकी कलाकृतियां खुदी हुई है. ये सभी कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं. इसके अलावा मस्जिद के दक्षिणी और तीसरे गुंबद में फूल, पत्ती और कमल के फूल की आकृति मिली है. मुस्लिम पक्ष की सहमति से मस्जिद के अंदर मुआयना किया गया तो वहां दीवार पर स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई पाई गई.
ज्ञानवापी के प्रथम गेट के पास उत्तर दिशा में वादी के अधिवक्ता ने तीन डमरू के बने हुए चिह्न दिखाए जिसे प्रतिवादी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद और मुमताज अहमद ने गलत बताया. इतना ही नहीं वादी पक्ष ने पूर्वी दिशा के दीवार पर लगभग 20 फीट ऊपर त्रिशूल के बने हुए निशान की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया गया उसकी भी फोटोग्राफी कराई गई है.