शिवलिंग की सुरक्षा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार दोपहर तीन बजे सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिये थे कि मस्जिद के अंदर जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है। उसे सुरक्षित रखा जाए।
किया जा सकता एक पीठ का गठन
बता दें वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग के संरक्षण की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगी। मामले पर विचार के लिए एक पीठ का भी गठन किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को संरक्षित करने की समयसीमा 12 नवंबर से बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई होगी। दरअसल हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने एक दिन पहले गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग की सुरक्षा के मामले पर सुनवाई के लिए शुक्रवार दोपहर तीन बजे का समय मुकरर किया है।
नमाज अदा करने का अधिकार न हो प्रभावित
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि मस्जिद के अंदर जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है उसे सुरक्षित रखा जाए। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि इससे मुसलमानों के नमाज अदा करने का अधिकार प्रभावित न हो। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि वे मामले को खारिज करने की मांग करने वाली ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति के आवेदन पर निर्णय लें। समिति ने कहा था कि पूजा स्थल यानी विशेष प्रावधान अधिनियम के तहत ज्ञानवापी केस दायर नहीं किया जा सकता।
अब तक मामले में क्या-क्या हुआ
वाराणसी जिला अदालत ने 12 सितंबर 2022 को हुई सुनवाई में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई 5 महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील को खारिज कर दिया। इससे पहले 1991- उपासना स्थल कानून कांग्रेस की पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने 1991- उपासना स्थल कानून विशेष प्रावधान पास किया था बीजेपी ने इसका विरोध किया लेकिन अयोध्या को अपवाद माने जाने का स्वागत किया। साथ ही माँग की कि काशी और मथुरा को भी अपवाद माना जाना चाहिए। लेकिन कानून के मुताबिक केवल अयोध्या ही अपवाद है। 1991- ज्ञानवापी मामला कोर्ट पहुँचा। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर 1991- में पहली बार अदालत में याचिका दाखिल की गई। वाराणसी के साधुसंतों ने सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूजा करने की माँग की। याचिका में मस्जिद की ज़मीन हिंदुओं को देने की माँग की गई थी। लेकिन मस्जिद की प्रबंधन समिति ने इसका विरोध किया और दावा किया कि ये उपासना स्थल क़ानून का उल्लंघन है। वहीं दिसंबर- 2019 में अयोध्या फ़ैसले के क़रीब एक महीने बाद वाराणसी सिविल कोर्ट में नई याचिका दाख़िल कर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने की माँग की थी। जबकि 2020 में वाराणसी के सिविल कोर्ट से मूल याचिका पर सुनवाई की माँग रखी गई। 2020 में ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए इस मामले पर फ़ैसला सुरक्षित रखा। तो 2021 में हाई कोर्ट की रोक के बाद भी वाराणसी सिविल कोर्ट ने अप्रैल में मामला दोबारा खोला और मस्जिद के सर्वे की अनुमति दे दी। 2021 में मस्जिद इंतजामिया इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंची। जहां हाई कोर्ट ने फिर सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई और फटकार भी लगाई। 2021 अगस्त में पाँच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी सिविल कोर्ट में श्रृंगार गौरी की पूजा की अनुमति के लिए याचिका दाखिल की थी। जिस पर अप्रैल 2022 में सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए थे। 2022 में मस्जिद इंतज़ामिया ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसे ख़ारिज कर दियया गया। मई 2022 में ही मस्जिद इंतज़ामिया ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियोग्राफ़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गष। 2022 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले 16 मई को सर्वे की रिपोर्ट फ़ाइल की गईं वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद के अंदर उस इलाक़े को सील करने का आदेश दिया जहाँ शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। वहाँ नमाज़ पर भी रोक लगा दी गई। लेकिन मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग की सुरक्षा वुजूख़ाने को सील करने के आदेश दिए। साथ ही मस्जिद में नमाज़ जारी रखने की अनुमति दे दी। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला वाराणसी की ज़िला अदालत पहुचाया। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत से यह तय करने को कहा है कि मामले आगे सुनवाई के लायक है या नहीं।
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