उत्तरप्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हो रहे भारतीय पुरातत्व के सर्वे पर सभी की नजर है। एएसआई की 51 सदस्यीय टीम यहां सर्वे में जुटी है। रविवार को भी सर्वे जारी रहा। मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के लिए जीपीआर तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस सर्वे में अब मुस्लिम पक्ष और उनके अधिवक्ता भी शामिल हो गए हैं।
- ज्ञानवापी परिसर में किया जा रहा सर्वे
- कड़ी सुरक्षा के बीच एएसआई की टीम कर रही सर्वे
- मुख्य परिसर से गुंबद का सर्वे
- व्यासजी के तहखाने और दूसरे हिस्सों में की जांच
- तहखाने के सर्वे के दौरान मिले अहम साक्ष्य
वहीं ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे के दौरान शनिवार को हिंदू पक्ष की वादिनी महिला और अधिवक्ताओं ने दावा किया कि तहखाने में मूर्तियों और मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष निकले हैंहैं। एएसआई को अभी ऐसे कई और प्रमाण मिलेंगे। जिनके आधार पर वैज्ञानिक पद्धति से यह तो स्पष्ट होसकता है कि ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप बदला गया था। जिला जज डॉ.अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सर्वे और रिपोर्ट जमा करने से संबंधित एएसआई की अर्जी स्वीकार करते हुए दो सितंबर तक का वक्त दिया है। एएसआई की तरफ से सर्वे व उसकी रिपोर्ट जमा करने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा था।
ईंट और पत्थर ही नहीं मिट्टी के भी लिए नमूने
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस सुरक्षा के बीच एएसआई की टीम सुबह परिसर में पहुंची और मुख्य परिसर से गुंबद, व्यासजी के तहखाने के साथ दूसरे हिस्सों में जाकर जांच की है। तहखाने के सर्वे के दौरान कई अहम साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। ईंट और पत्थर के साथ ही मिट्टी के भी नमूने लिए गए। जिसकी मदद से निर्माण का कालखंड और निर्माण की उम्र का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
तहखाने में स्वस्तिक और कलश जैसी आकृतियां
एक दिन शनिवार को सर्वे का काम पूरा होने के बाद टीम के साथ हिंदू पक्ष के लोग भी बाहर आ गए। जिन्होंने सर्वे के दौरान हुई जांच और मिली सामग्री की जानकारी दी। वादिनी सीता साहू और अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि एएसआई की टीम के साथ वे ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर शेष दूसरे सभी हिस्सों में गए थे। नंदी के सामने व्यासजी के तहखाने को खोलने पर वहां मूर्तियों और मंदिर के टूटे हुए खंभों के अवशेष रखे मिले। इतना ही नहीं तहखाने में स्वस्तिक और कलश जैसी आकृतियां भी दिखाई दी हैं। हिन्दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार तो बिना किसी सर्वे के ही ये गवाही दे रही कि ज्ञानवापी हिंदू धर्म के प्राचीन शिव मंदिर का एक अभिन्न हिस्सा है। सीता साहू और अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी का दावा है कि एएसआई की वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित जांच हो रही है। जिसमें यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे जमीन के भीतर शिवलिंग दबाया गया है। एएसआई की सर्वे टीम इसके लिए अब आईआईटी कानपुर की मदद लेने वाल है। इसके लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर तकनीक का भी सहारा लिया जाएगा। उन्होंने कहा सर्वे का काम पूरा होने में अभी वक्त लगेगा लेकिन यह पारदर्शी तरीके से स्पष्ट हो जाएगा कि यहां प्राचीन मंदिर को गिराकर उसके ऊपर मौजूदा इमारत का निर्माण किया गया था।