आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन गुरूओं का आशीर्वाद लेने से जीवन में सुख , शांति, धन , संपत्ति और यश आता है. गुरू पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन 18 महासाहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेद व्यास का जन्म हआ था. हिंदु धर्म में इस दिन का खास महत्व है क्योंकि सनतान संस्कृति में गुरूओं को मां बांप से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है. इस बार यह त्योहार कल यानि 3 जुलाई को मनाया जाएगा. चलिए आपको इस दिन पूजा करने की विधि और शुभ मुहुर्त बताते हैं.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरू पूर्णिमा का महत्व हिंदु धर्म संस्कृति में बहुत अधिक माना गया है. पौराणिक काल में इस दिन ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत जैसे महापुराणों की रचना करने वाले महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. वेद व्यास को सनातन धर्म के पहले गुरू का दर्जा प्राप्त है.इस दिन अपने गुरू तुल्य व्यक्ति से आशीर्वाद लेना चाहिए. यह गुरू तुल्य व्यक्ति आपके ही घर का कोई बड़ा भी हो सकता है. गुरू से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह दिन सबसे श्रेष्ठ माना गया है.
पूजा के शुभ मुहुर्त
शुरूआत- 2 जुलाई, रात 8 बजकर 21 मिनट से
खत्म – 3 जुलाई, शाम 5 बजकर 8 मिनट
गुरू पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरू पूर्णिंमा के दिन सुबह उठकर घर की साफ सफाई करें. साफ सफाई करने के बाद स्नान करें और अच्छे वस्त्र पहनें. कपड़े पहनने के बाद महर्षि वेद व्यास की प्रतिमा को साफ जगह स्थापित करें और उन्हें चंदन , फूल और प्रसाद चढ़ाएं. पूजा करते हुए ‘गुरुपंरपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का जप करें. पूजा करने के बाद अपने गुरू के पास जाएं और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.
गुरु पूर्णिमा के विशेष योग
गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर इस बार दो शुभ योग बन रहे हैं. पहला योग ब्रह्रा योग में बन रहा है जो 2 जुलाई शाम 7.26 बजे से लेकर 3 जुलाई सुबह 3.35 बजे तक रहेगा. वहीं दूसरा योग इंद्र योग है जो 3 जुलाई दोपहर 3.45 बजे से 4 जुलाई 2023 की सुबह 11.50 बजे तक रहने वाला है.