गुजरात में चुनावी शोर मचा है। वोटिंग के लिए ज्यादा वक्त नहीं रहा यही वजह है कि दलों ने प्रचार में ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। सेंट्रल और नॉर्थ गुजरात को छोड़ गुजरात के बाकी इलाकों में आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है। चुनावी शोर जितना तेज है सट्टा बाजार उतना ही गुलज़ार है। सूरत की दो सीटों पर सट्टा बाजार की निगाहें टिकी हैं। आइए बताते हैं आपको कि कौन सी सीटें है जिस पर सट्टा बाजार की निगाहें टिकी हैं।
सूरत में हैं 12 सीटें
सूरत जिले में अहमदाबाद की तरह ही 12 सीटें है। वैसे तो सूरत को बीजेपी का गढ़ माना जाता है । इस बार बीजेपी के इस गढ़ पर आम आदमी पार्टी सेंधमारी कर सकती है। सूरत की वारछारो, कातरगामा और करंज में आम आदमी पार्टी बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रही है। आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने इन सीटों पर सियासी पारा चढ़ा दिया है।
वारछारोड और कतारगामा सीट पर है कांटे की टक्कर
सूरत की इन दोनों सीटों पर आम आदमी ने कांटे की टक्कर देकर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। आम आदमी ने वारछा रोड सीट से अल्पेश कथीरिया को मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने पूर्व मंत्री किशोर कणानी को। करतारगामा सीट से आम आदमी पार्टी ने गोपाल इटालिया को मैदान में उतारा है इटालिया गुजरात में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष हैं। इन दोनों सीटों पर सट्टा बाजार भी गरमा रहा है।
अल्पेश और गोपाल इटालिया की चर्चा
अल्पेश और गोपाल इटालिया की चर्चा सूरत के कई बड़े बीजेपी नेताओं से ज्यादा हो रही है। अल्पेश और इटालिया की तुलना में गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सिंघवी के भी चर्चे नहीं हो रहे। राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि अल्पेश की प्रचार का अंदाज लोगों को पसंद आ रहा है. वहीं अल्पेश पाटीदार आंदोलन में भी खासे सक्रिय रहे थे । कहा जा रहा है कि अल्पेश का प्रचार सौरष्ट्र तक असर डाल सकता है।
गुजरात की सीटों का बीजेपी लीडरशिप पर असर
गुजरात में सूरत बीजेपी का गढ़ माना जाता है। सूरत की पूरी 12 सीटों पर 2017 में बीजेपी का कब्जा था। बीजेपी के हाथ से अगर कुछ सीटें कम होती हैं तो गुजरात के बीजेपी नेताओं के कद को घटा सकता है। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सिंघवी, सूरत से केंद्रीय रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोश और बीजेपी के सूरत जिला के अध्यक्ष सी आर पाटिल पर इन नतीजों का सीधा असर पड़ेगा।
कांग्रेस मुकाबले में नहीं
2017 के चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था। सूरत पाटीदार आंदोलन का गढ़ है लेकिन उसके बाद भी बीजेपी ने पूरी 12 सीटें जीती थी। अब 2022 में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी बीजेपी को खासी टक्कर दे रही है । इससे पहले नगर निगम चुनावों में भी आम आदमी पार्टी ने 27 सीटें पाकर सबको चौंका दिया था।