Gujrat Election 2022: मोदी मॉडल पर भारी केजरीवाल मॉडल, कौन जीतेगा बाजी

मोदी मॉडल-केजरीवाल मॉडल कौन किस पर भारी

गुजरात में चुनावी शोर जोरों पर है। पहले चरण की वोटिंग एक दिसंबर को है तो दूसरे चरण की 5 दिसंबर को । गुजरात के चुनावों में 2017 तक कांग्रेस और बीजेपी सीधी टक्कर में हुआ करते थे। इस बार आम आदमी पार्टी की मौजूदगी चुनावों को दिलचस्प बना रही है। चुनावी चर्चा जोरों पर है सबके मन में एक ही सवाल है कि इस बार गुजरात में कौन सा मॉडल चलेगा। मोदी-मॉडल या केजरीवाल मॉडल । आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कौन सा मॉडल सबसे बेहतर होगा।

केजरीवाल मॉडल का शोर

गुजराज में जब आम आदमी पार्टी ने अपने प्रचार की शुरूआत की । प्रचार की शुरूआत के पहले ही आम आदमी पार्टी के लोगों ने कहा कि जिस दिन गुजरात की जनता को केजरीवाल मॉडल समझ में आ गया उस दिन जनता हमारे साथ होगी। सूत्र बताते हैं कि अब वही केजरीवाल मॉडल गुजरात के कुछ हिस्सों में वोटरों को लुभा रहा है।

क्या है केजरीवाल मॉडल

केजरीवाल मॉडल को अगर सरल शब्दों में समझें तो केजरीवाल मॉडल में 200 यूनिट बिजली मुफ्त है फिर उसके बाद सस्ती दरों पर बिजली उपल्बध है। वहीं सात सौ लीटर पानी प्रतिदिन मुफ्त है उसके बाद कम दरों पर पानी दिया जाता है। मोहल्ला क्लिनिक में हर मोहल्ले में लोगों को इलाज की सुविधा और दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में सर्जरी मुफ्त है।

क्या है मोदी मॉडल

मोदी मॉडल विकास की बात करता है। मोदी मॉडल में समाज और देश के चौतरफा विकास पर जोर दिया जाता है। मोदी मॉडल में सामाजिक और आर्थिक दोनों ही विकास की बात कही गई है। सामाजिक विकास में लोगों के जीवन स्तर में सुधार , लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया कराना । आर्थिक तौर पर उद्योग धंधों को मजबूत करना,विदेशी निवेश पर ध्यान देना और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना जिससे ज्यादा से ज्यादा निवेश आए और देश प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो औऱ लोगों को रोजगार मिल सके। मोदी मॉडल पर गुजरात में 27 सालों से बीजेपी की सरकार है। इसी मोदी मॉडल पर देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की सत्ता सौंपी।

सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में केजरीवाल मॉडल जादू दिखा सकता है

सर्वे ऐजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में केजरीवाल मॉडल लोगों की पसंद बन सकता है।कच्छ औऱ सौराष्ट्र में 54 सीटें हैं । इन सीटों में से कच्छ की छह सीटें हैं और सौराष्ट्र की 48 सीटें हैं। पिछली बार इन इलाकों में कांग्रेस ने बेहतर प्रर्दशन किया था। कांग्रेस ने 54 में से 30 सीटों पर कब्जा किया। बीजेपी से नाराजगी का वोट 2017 में सौराष्ट्र और कच्छ इलाके में सीधे सीधे कांग्रेस के खाते में गया था।

क्यों केजरीवाल मॉडल पसंद कर रहे लोग

सौराष्ट्र और कच्छ इलाके की जनता पहले कांग्रेस को वोट दे चुकी थी। मतलब साफ था कि बीजेपी की नाराजगी का वोट कांग्रेस को मिला। कांग्रेस के विधायक भी एक एक कर बीजेपी में चले गए जिसके चलते वहां की जनता कांग्रेस से भी नाराज है। यही वजह है कि अब ये लोग आम आदमी पार्टी की ओर जा रहे हैं ।

दक्षिणी गुजरात में केजरीवाल मॉडल की स्थिति

दक्षिणी गुजरात में भी केजरीवाल म़ॉडल को पंसद किया जा रहा है क्योंकि सौराष्ट्र से जुडा हुआ सूरत और दक्षिणी गुजरात पर भी असर डाल रहा है। सूत्रों की माने तो सूरत के व्यापारी ये मानते हैं प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात से हटते ही व्यापारियों की पेरशानी बढ़ गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह कहीं न कहीं भ्रष्ट्राचार बढ़ा है।बीजेपी का जो लोअर कैडर है वो व्यापारियों  की इस नाराजगी को न केवल जानता है ब्लकि पार्टी फोरम पर भी इस बात को रख चुका है। वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नाराजगी के वोट यहां आप कैश करा सकती है।

गुजरात की आदिवासी सीटें

गुजरात की आदिवासी सीटों में पूर्वी गुजरात की सीटें ज्यादा हैं । ये सीटें मध्यप्रदेश से सटे गुजरात की हैं। तकरीबन 27 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं और इन इलाकों में इन सीटों के अलावा 15-20 ऐसी सीटें है जिन पर आदिवासी वोट निर्णायक भूमिका में होते हैं। आदिवासी वोटर कभी कांग्रेस का पंरपरागत वोटर था लेकिन कांग्रेस में आदिवासी लीडरशिप खत्म होने के बाद ये वोटर बीजेपी के साथ आए। अब आम आदमी पार्टी इन वोटरों को केजरीवाल मॉडल की तरफ लाना चाह रही है। जानकार मानते हैं कि इन वोटर को मुफ्त बिजली पानी जैसा मॉडल पंसद आता है। यही कारण है कि इस बात को लेकर अटकलें हैं कि आम आदमी पार्टी यहां बेहतर परफॉर्म कर सकती है।

उत्तर और सेंट्रल गुजरात में केजरीवाल म़ॉडल फेल

उत्तर गुजरात और सेंट्रल गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृह क्षेत्र हैं यहां आम आदमी पार्टी घुसपैठ नहीं कर सकी है। केजरीवाल मॉडल यहां की जनता को नहीं लुभा पा रहा है। यहां आज भी मोदी मॉडल लोगों को पसंद है। इसलिए सेंट्रल और उत्तर गुजरात में आम आदमी पार्टी ज्यादा मेहनत नहीं करती दिखाई दे रही। अभी तक आम आदमी पार्टी ने यहां ठीक तरह से प्रचार भी नहीं किया है।

क्या क्या कमियां हैं आम आदमी पार्टी में

आम आदमी पार्टी भले ही केजरीवाल मॉडल की दुहाई दे रही है। वोटरों को इस केजरीवाल मॉडल से रिझा रही हो । आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की ये मेहनत उनको कच्छ सौराष्ट्र , दक्षिण गुजरात में नतीजे दे सकती है। लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए मोदी मॉडल को पछाड़ना आसान नहीं । इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बूथों तक आम आदमी की पकड़ नहीं है। बूथों पर आम आदमी पार्टी के पास बूथ प्रभारी नहीं हैं। आम आदमी का सारा प्रचार केवल और केवल सोशल मीडिया पर है। मैदानी स्तर पर आम आदमी ने बहुत कम प्रचार किया है। ऐसे में केजरीवाल मॉडल गुजरात के लोगों को भले ही लुभाने लगा हो लेकिन मोदी मॉडल को हराने में उसे वक्त लगेगा।

Exit mobile version