गुजरात के चुनावी शोर के बीच आइए आपको एक गांव के बारे में बताते है। ये गांव गुजरात के राजकोट जिले में है। ये एक हाईटेक गांव है यहां वाई-फाई से लेकर सारी आधुनिक सुविधाऐं हैं। सुशासन का उदाहरण देते इस गांव की खासियत है ये कि इस गांव में कोई प्रत्याशी प्रचार नहीं कर सकता ।
कौन सा और कितना हाईटेक है ये गांव
गुजरात का ये गांव राजकोट जिले का है। राजकोट से बीस किलोमीटर दूर इस गांव का नाम राज समाधियाला है।ये एक हाईटेक गांव है। गांव में सीसीटीव्ही, आर ओ प्लांट ,वाई –फाई और इंटरनेट की सुविधा है। गांव की स्वस्छ्ता की मिशाल है। यहां कचरा फेंकने औऱ वोट न देने दोनों पर जुर्माना लगता है। इस सबसे अलग गांव में कोई प्रत्याशी चुनावी प्रचार नहीं कर सकता।
क्यों नहीं कर सकते प्रत्याशी प्रचार
इसकी वजह है कि गांव के नियम- जिसमें वोट न देने पर जुर्माना देना पड़ता है और गांव मे किसी नेता को चुनावी प्रचार की इज़ाजत नहीं है। साथ ही गांव के हर वोटर को वोट करना भी अनिर्वाय है।
क्यों है इतने कड़े नियम
दरअसल गांव के लोगों ने गांव में एक समिति बना रखी है। इस समिति की नाम ग्राम विकास समिती है। इस समिती के नियमों से गांव के लोग बंधे हैं। इसलिए इस समिति के नियमों का कड़ाई से पालन होता है। गांव में सरपंच भी आम सहमति से ही चुना जाता है। नियमों के तहत अगर कोई वोट नहीं करता है तो उसका कोई वाजिब कारण बताना होता है नहीं तो 51 रूपए का जुर्माना देना होता है। गांव की कुल आबादी 1700 है जिसमें से 1000 के करीब मतदाता है और गांव में हर चुनावों में शत प्रतिशत मतदान होता है। गांव में 1983 से ये नियम है कि कोई नेता प्रचार नहीं करेगा। यहां किसी पार्टी के पोस्टर बनैर नहीं लगेंगे। गांव के नियमों के मुताबिक वोट उसी नेता को किया जाता है जिसने गांव के विकास के लिए काम किया है। गांव ने नियमों से नेता भी वाकिफ़ हैं। यही कारण है कि वो लोग भी गांव में प्रचार करने और वोट मांगने नहीं जाते।
गांव में प्रचार करना नेताओं के लिए भारी
ग्राम समिति के नियमों को नेता भी अच्छी तरह से जानते हैं। यही वजह है कि नेता गांव मे किसी तरह का प्रचार करने नहीं जाते। प्रत्याशियों का मानना है कि इस गांव में प्रचार करना उनके लिए भारी पड़ सकता है।