Gujarat Election 2022:बीजेपी को इस सीट पर मिली थी 170 मतों से हार, जीते थे कांग्रेस के जीतूभाई,वो 16 सीट जहां कम अंतर से हुई हार-जीत

Gujarat Election 2022:गुजरात विधानसभा चुनाव की सरगर्मी धीरे धीरे अपने शबाब की ओर बढ़ रही है। प्रचार का शोर तेज हो गया है। स्टार प्रचारकों के दौरे और जनसभाओं की संख्या भी बढ़ गई है। राज्य में सत्तारुढ़ बीजेपी का फोकस उन सीटों पर अधिक है जहां पिछले चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था।  तो कांग्रेस की नजर गुजरात के गांवों पर है। कांगेस के नेता गांवों में जोर शोर से प्रचार कर रहे है। इधर आम आदमी पार्टी भी इस बार चुनाव में दखल देते नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी ने घर घर पहुंचने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। इस बीच हम आपको गुजरात की इन 16 सीटों का चुनावी समीकरण बताएंगे जहां  जीतहार का अंतर  तीन हजार से भी कम था।

जी हां गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम 16 ऐसी सीट थीं। जिनपर हार जीतर का अंतर तीन हार वोट से कम रहा था। इनमें से सात सीटों पर यह  अंतर एक हजार वोट से कम रहा। कम अंतर से हार जीत वाली इन 16 सीट में से 10 पर बीजेपी और छह पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। इस बार इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस  दोनों पार्टियां जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। दोनों पार्टी के नेता इन सीटों पर अपनी अपनी जीत के दावे करते नजर आ रहे हैं।

170 मतों से  जीते थे कांग्रेस के जीतूभाई

कपराड़ा में 170 मतों से  जीते थे कांग्रेस के जीतूभाई

बात करें वलसाड जिले की कपराड़ा सीट की तो यहां 2017 के विधानसभा चुनाव में हार जीत का अंतर सबसे कम रहा। अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित कपराड़ा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जीतूभाई चौधरी जीते थे लेकिन 170 वोट से। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार मधुभाई राउत को 170 मतों के अंतर से हराया था। राउत को जहां 92830 वोट मिले थे। वहीं चौधरी ने 93 हजार मत प्राप्त कि थे। लेकिन चौधरी ने 2020 में पाला बदल लिया था जिसके बाद हुए उपचुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर लड़े। अब फिर वे इस चुनाव में भी बीजेपी से उम्मीदवार हैं।

गोधरा में मामूली अंतर से जीती थी भाजपा

पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीवारों ने वोट काटने  का काम किया था।  कुछ मामलों में यह देखा गया कि बसपा  जैसे दल के साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़ी संख्या में वोट हासिल किये थे, हालांकि वे जीत नहीं सकेए लेकिन हार का कारण जरुर बने। हम बात कर रहे हैं गोधरा की। जहां निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया था।  पंचमहल जिले की मुस्लिम बहुल गोधरा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार सी के राउलजी ने कांग्रेस के प्रवीण सिंह चौहान को महज 258 मतों के मामूली अंतर से हराया था। पूर्व कांग्रेसी राउलजी को एक बार फिर गोधरा सीट से टिकट दिया गया है।

नोटा ने भाजपा को जिताया

ढोलका सीट पर 2017 में नोटा और बसपा को लगभग 4 हजार वोट मिले थे। इसके अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवारों को 20 हजार से थोड़ा अधिक मत मिले। तब बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्रसिंह चुड़ास्मा ढोलका सीट से महज 327 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल कर पाए थे। माना जा है कि इस सीट पर बसपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी राकांपा और दो निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले लगभग 11 हजार वोट ने बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।

कांग्रेस छोड़ी तो कांग्रेस से ही मिली हार

गांधीनगर की मानसा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश पटेल ने बीजेपी के युवा नेता अमित चौधरी को 524 मतों से हराया था। चौधरी ने 2012 में कांग्रेस के टिकट पर उसी सीट से जीत हासिल की थी।  लेकिन 2017 के चुनाव से पहले वह पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित डांग एक अन्य सीट थी। जहां से बीजेपी के उम्मीदवार विजय पटेल को मात्र 768 मतों से कांग्रेस के मंगल गावित से हार का सामना करना पड़ा।

बोटाद सीट जीतने में बीजेपी को आ गया था पसींना

राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बोटाद सीट से बीजेपी के विधायक सौरभ पटेल 2017 के चुनाव में 906 मतों के मामूली अंतर से जीते थे। उन्हें 79623 मत मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी डीएम पटेल को 78717 वोट मिले थे। सौरभ पटेल को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। इसी तरह कई और सीट रहीं। जहां जीत हार का अंतर काफी कम रहा।

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