Gujarat Assembly Election 2022:क्या फिर लहरायेगा भगवा, क्या है “आप” का समीकरण और कांग्रेस की उम्मीद

Gujarat Assembly Election 2022BJP Aam Aadmi Party and Congress

गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अब जंग अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। सियासी दलों के दिग्गज नेता पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार के रण में उतर चुके हें। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख जैसे जैसे  नजदीक आ रही है राजनीतिक दलों की गतिविधियां भी बढ़ती जा रही हैं साथ ही चुनाव में जीत हासिल करने के मकसद से सभी राजनीतिक पार्टियां अपने अपने बड़े खिलाड़ियों पर दांव लगा रही हैं। ऐसे में हम आपको बतायेंगे कौनकौन से वो बड़े चेहरे हैं। जिनपर बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के साथ अपने लिए संभावना तलाशती आम आदमी पार्टी दांव खेल रही हैं।

पाटीदार समुदाय में कितनी अहमियत रखते हैं भूपेन्द्र पटेल

गुजरात में 27 साल से बीजेपी का राज है। राज्य के मौजूदा सीएम भूपेंद्रभाई पटेल पार्टी के बड़े नेता माने जाते हैं। यहां बीजेपी फिर से सत्ता में आती है तो भूपेंद्र पटेल ही गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे। बता दें कि भूपेंद्र पटेल बीजेपी के लिए एक बड़े पाटीदार नेता हैं और उन्हें अहमदाबाद का शहरी चेहरा माना जाता है। गुजरात चुनाव में बीजेपी इस बार पाटीदार समाज पर खास फोकस दे रही है। जिस समुदाय ने 2017 में पार्टी के सामने बड़ी चुनौती पेश की थी। अब उसी समुदाय के सामने बीजेपी ने भूपेंद्र पटेल को अपना सबसे बड़ा विकल्प बना दिया है। पार्टी को भरोसा है कि भूपेंद्र पटेल की राजनीति और उनकी कार्यशैली इस चुनाव में उन्हें फायदा दे जाएगी। भूपेंद्र पटेल का राजनीतिक करियर स्थानीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय रहा है। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले भूपेंद्र पटेल साल 2010 से 2015 तक गुजरात के सबसे बड़े शहरी निकाय अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे। वे साल 2017 में गांधी नगर की घटलोदिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। आनंदी बेन पटेल की सीट से ही भूपेंद्र को ये मौका दिया गया। उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल भी की। माना जाता है कि आनंदी बेन पटेल के कहने पर ही भूपेंद्र पटेल को इस सीट से चुनाव लड़वाया गया था। जिसके बाद जीतकर विधायक बने और चार साल के बाद सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हुए।

भूपेंद्र पटेल बीजेपी के लिए एक बड़े पाटीदार नेता हैं

इसलिए किया भूपेन्द्र पटेल को चुनावी रण में आगे

भूपेंद्र पटेल का मुख्यमंत्री रहते हुए जिस तरह का परफॉर्मेंस रहा उससे बीजेपी की उम्मीद बढ़ गई है। दरअसल विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री रहते वक्त कुछ मुद्दों पर विवाद देखने को मिला था। एक तरफ कोविड मिसमैनेजमेंट ने गुजरात सरकार की कोर्ट में फजीहत करवाई थी। दूसरी तरफ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील और विजय रुपाणी के बीच में कई मौकों पर तकरार देखने को मिली। ऐसे में चुनाव के समय आपसी मतभेद ना रहे और बेहतर समन्वय हो सके। इसलिए भूपेंद्र पटेल पर दांव चला गया है। इसके अलावा जातीय समीकरणों के लिहाज से भी भूपेंद्र पटेल बीजेपी के लिए चुनावी मौसम में ज्यादा मुफीद हैं। विजय रुपाणी जैन समुदाय से आते हैं। जिसकी आबादी ज्यादा नहीं है जबकि पाटीदार काफी अहम है। इन्हीं कारणों के चलते भूपेंद्र पटेल को चुनावी रण में आगे किया गया है।

क्या कांग्रेस का वनवास खत्म करा पाएंगे ठाकोर

गुजरात में पिछले विधानसभा के पिछले पांच चुनाव से कांग्रेस हर बार सत्ता का वरण करने से चुकती रही है। इस बार उसे कुछ मुफिद लग रहा है। कांग्रेस को इस बार उम्मीद नजर आ रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। गुजरात में उन्हें एक जमीनी नेता के तौर पर पहचान मिली है। ऐसे में  गुजरात में कांग्रेस ने उन्हें चुनावी मैदान में आगे किया है। हालांकि सीएम फेस के लिए कई नेताओं के नाम की चर्चा हो रही हैं इस चर्चा में सबसे पहला नाम गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश भाई मोतीजी ठाकोर का है। इसके साथ ही कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल और जिग्नेश मेवानी भी सीएम फेस की रेस में शामिल हैं। लेकिन अभी तक कांग्रेस ने किसी भी नेता के नाम पर आधिकारिक  मुहर नहीं लगाई है। जगदीश ठाकोर ओबीसी समाज के ताकतवर नेता हैं। उन्होंने गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमित चावड़ा की जगह कमान संभाली थी। ठाकोर गांधीनगर की दहेगाम विधानसभा सीट से दो बार विधायक भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे पाटन लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं।

क्यों है “आप” को गढ़वी पर भरोसा

गुजरात में आम आदमी पार्टी के सीएम प्रत्याशी इसुदान गढ़वी खंभालिया विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। गढ़वी को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि गुजरात को एक अच्छा सीएम मिलेगा। इसुदान गढ़वी को सीएम कैंडिडेट करार देने से पहले आम आदमी पार्टी ने बाकायदा एक सर्वे कराया था। जिसमें इसुदान को 73 प्रतिशत वोट मिले थे। बता दें इसुदान गढ़वी राजनीति में आने से पहले टीवी एंकर रह चुके हैं। उनका जन्म 10 जनवरी 1982 को द्वारका जिले के पिपलिया गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अहमदाबाद स्थित गुजरात विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। अब उन्होंने पत्रकारिता के अपने करियर को छोड़कर राजनीति में कदम रखा है। इसुदान गढ़वी को जमीन से जुड़े नेता के तौर पर जाना जाता है।

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