Gujarat election 2022:क्यों आ रहा शिखर से धरातल पर बीजेपी का ग्राफ? 2017 में 99 के फेर में फंसी बीजेपी को बचाने मोर्च पर डटे मोदी

Gujarat Assembly Election 2022 BJP's falling graph

चार चुनाव से लगातार इस तरह कम होती गई बीजेपी की सीटें

Gujarat election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है। सत्ता पर काबिज बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के साथ इस बार आम आदमी पार्टी ने भी गुजरात में अपने लिए जमीन तलाशने की जद्दोजहद करती नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी की सक्रियता ने कांग्रेस ही नहीं सत्तारुढ़ बीजेपी को भी परेशानी में डाल दिया है। पिछले चार विधानसभा चुनावों से लगातार बीजेपी का ग्राफ घट रहा है। 2002 के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने 127 सीटों पर कब्जा कर सरकार बनाई थी तो वहीं पिछली विधानसभा चुनाव यानी 2017 के आते आते उसकी सीटें किस तरह 99 पर आकर ठहर गई। हम आपको इसी चुनावी समीकरण से रुबरु करायेंगे।

गोधरा कांड ने दिलाई थी 127 सीटें

पहले बात करेंगे 2002 के विधानसभा चुनाव की। ये चुनाव ऐसे समय हुए थे जब गोधरा कांड सामने सामने आया था। गोधरा कांड के बाद गुजरात विधानसभा समय से पहले ही भंग कर दी गई थी। या ये कहें की गोधरा कांड का फायदा उठाने के लिए विधानसभा को समय से पहले भंग किया गया था। जिसमें बीजेपी सफल रही और सबसे अधिक 127 सीट उसने जीती। कांग्रेस को 51 सीटों पर ही संताेष करना पड़ा।

2007 में कम हुई बीजेपी की 10 सीट

इसके पांच साल बाद 2007 चुनाव के चुनाव में बीजेपी दस सीट के नुकसान के साथ फिर सत्ता में आई। उसे 117 सीटें मिले यहां से कांग्रेस ने बढ़त बनाना शुरु करते हुए 59 सीट जीती। 2007 के चुनाव में अन्य दलों को भी दोण् दो सीटें मिली थी। पांच साल बाद 2012 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को फिर दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा तो कांग्रेस की दो सीट अधिक मिली। इस चुनाव में बीजेपी 115 सीट जीती तो कांग्रेस 61 सीटों पर विजयी रही थी।

2017, मोदी लहर के बाद भी 99 के फेर में फंस गई थी बीजेपी

इसके बाद पिछली बार 2017 में हुए विधानसभा चुनाव ने बीजेपी को 99 के फेर में फंसा दिया था। इस चुनाव में बीजेपी 99 सीट ही जीत सकी। जबकि देश भर में प्रचंड मोदी लहर थी। केंद्र में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी और गुजरात में भी बीजेपी सरकार में थी। डबल इंजन फुल स्पीड में सियासी पटरी पर सरपट दौड़ रहा था। इसके बाद भी 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने बीजेपी को सोचने पर मजबूर कर दिया।

क्योंकि उसकी सीट 99 पर सिमट कर रह गई थी। इस चुनाव में पाटीदार फेक्टर भी असर करता था। जबकि कांग्रेस ने आठ सीट की बढ़ोतरी के साथ 77 सीटों पर विजय रही थी। वहीं छोटी पार्टियों को भी  दो दो सीटें मिलीं। ये समीकरण बताता है कि किस तरह  गुजरात में पिछले 4  चुनाव में बीजेपी 127 सीटों से कम होत होते 117, 115 और 99 पर आकर ठहर गई। तो वहीं कांग्रेस के रणनीतिकार सफल होते दिखी 51 सीटों जीतने वाली कांग्रेस गुजरात में हर चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करती गई। 59, 61 से 77 सीटों तक जीतने में कामयाब रही।

आप ने बनाया कांटे का मुकाबला

गुजरात विधानसभा चुनाव इस बार मुकाबला कांटे का है। सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी  सत्ता को बचाए रखने और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में सत्ता छीनने की लड़ाई अब बिल्कुल सतह पर आ गई है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी इन दोनों दलों के समीकरण को कई जगह बिगड़ती नजर आ रही है।  जिससे मुकाबले में कांटे की टक्कर देखी जा रही है। गुजरात मॉडल का प्रचार प्रसार कर पूरे देश की सत्ता हथियाने वाली बीजेपी के लिए गुजरात में ही अपनी सरकार बचाए रखना मुश्किल साबित होता दिखाई दे रहा है।

मोदी कर रहे डोर टू डोर कैंपेन

बीजेपी के बिगढ़ते समीकरण को साधने के लिए खुद प्रधानमंत्री को मोर्चा संभालना पड़ा है। देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि देश के किसी प्रधानमंत्री को अपनी राजनैतिक पार्टी को विजय दिलाने के लिए अपने ही गृह राज्य में ही घर घर दस्तक देने के लिए मैान में उतरना पड़ रहा है।

भारत जोड़ों के साथ गुजरात पर भी राहुल की नजर

भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त चल रहे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी गुजरात के चुनाव प्रचार के लिए सक्रिय हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी दोनों की ही गुजरात में कई सभाएं हो चुकी हैं। आगे भी होंगी। बीते कई चुनाव में आमने सामने की भिडंत कर चुकी भाजपा और कांग्रेस के लिए इस बार आम आदमी पार्टी खासी सिरदर्द बनने वाली है। आप के संयोजक और दिल्ली के सीएम  अरविंद केजरीवाल एक खास रणनीति के तहत पिछले कई समय से गुजरात में निरंतर आते जाते रहे हैं और पिछले कई समय से वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस हर चुनाव में अपनी सीटें बढ़ाने में कामयाब रही लेकिन कांग्रेस से कई विधायक टूटकर बीजेपी में शामिल होते रहे। हालांकि इस बार 2022 के चुनाव में बीजेपी की हालत अच्छी न देख बीजेपी ने जीतने वाले कई कांग्रेसी नेताओं को अपने खेमे में किया है। जिसमें आदिवासी विस्तार में अपनी छवि रखने वाले मोहन सिंह राठवा का नाम भी शामिल है। ज्यादातर आदिवासी क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ा कमजोर दिख रही है। इसलिए उसने एक तीर से दो निशाने साधे। जिसमें उन्होंने आदिवासी वोटों को टारगेट करके मोहन सिंह राठौर को पार्टी में शामिल किया है। जबकि कांग्रेस में से आए कई नेताओं को टिकट नहीं भी दिया गया है।

क्या सफल होगा बीजेपी का 150 सीटों का दावा?

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता डेढ़ सौ सीटें जीतने का दावा करते नजर आ रहे हैं। लेकिन पूरे गुजरात की बात करें तो अब तक के सारे चुनावों में 1990 में गुजरात में बीजेपी  और जनता दल ने साथ में चुनाव लड़ा था तब भी यह गठबंधन सबसे ज्यादा सीट 137 जीतने में सफल रही थी। इसमें भी जनता दल की 70 और 67 सीटें बीजेपी की थी। तब कांग्रेस 33 सीट पर सिमट गई थी। यानी बीजेपी और जनता दल मिलकर भी तब के चुनाव में डेढ़ सौ के पार नहीं पहुंच पाई थी। यही वजह है कि चुनावी खेल में 2022 के वर्ष में आम आदमी पार्टी के आगमन से बीजेपी और कांग्रेस के सारे दांव पेंच कागजी साबित होते दिखाई दे रहे हैं। आप के आने से यह चुनाव त्रिकोणीय जंग में बदल गया है।

Exit mobile version