Guillain-Barré Syndrome : बढ़ रहे गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मरीज….जानें पांच राज्यों में क्यों पैर पसार रहा GB सिंड्रोम…क्या है GBS यानी गुइलेन बैरे सिंड्रोम

Guillain-Barré syndrome patients have been reported in five states of the country

देश के पांच राज्यों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मरीज सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और दूसरे इलाकों में मरीज की संख्या बढ़कर 149 हो गई है। वहीं मरने वालों का आंकड़ा भी 5 पर जा पहुंचा है। तेलंगाना में फिलहाल यह आंकड़ा एक है। वहीं की बात करें तो असम में 17 साल की लड़की मौत हुई। पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी तक इससे 3 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि सरकार की और से पुष्टि नहीं हुई है।

भारत के पांच राज्य इन दिनों गुइलेन-बैरे सिंड्रोम GBS से जूझ रहे हैं। इन राज्यों मेंं हर दिन नए मरीज सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो पुणे के साथ पिंपरी चिंचवाड़ और दूसरे इलाकों में इन मरीजों की संख्या बढ़कर करीब 149 हो गई है। वहीं मृतकों की संख्या भी पांच पर पहुंच गई है।

दक्षिण के राज्य तेलंगाना में फिलहाल मौत का ये आंकड़ा एक है तो असम में 17 साल की लड़की मौत हुई। वहां अब तक कोई दूसरा एक्टिव केस सामने नहीं है। लेकिन ममता बनर्जी के राज्य पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां GB सिंड्रोम से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि इसे लेकर ममता बनर्जी सरकार की ओर से कोई पुष्टि नहीं हुई है।

आखिर क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम?

दरअसल गुइलेन-बैरे सिंड्रोम मनुष्य के शरीर में मांसपेशियों को कमजोरी पैदा करने वाली पोलीन्यूरोपैथी का एक रूप है। जिसे आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर आने वाले हफ्तों में पीड़ित व्यक्ति बदतर हो जाता है। बाद में फिर धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार होता है या मरीज अपने आप सामान्य हो जाता है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का होना दरअसल ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया की वजह से माना जाता है। आमतौर पर कमजोरी की शुरुआत दोनों पैरों में शुरू होती है। फिर शरीर के ऊपर तक पहुंच जाती है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए, क्योंकि लक्षण बहुत तेजी से बदलते हैं और हालत बदतर हो सकती है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित करीब दो तिहाई लोगों में लक्षण, हल्के संक्रमण जैसे कैम्पाइलोबैक्टर संक्रमण और मोनोन्यूक्लियोसिस या एक दूसरा वायरल संक्रमण, सर्जरी अथवा टीकाकरण के करीब 5 दिन से 3 सप्ताह बाद यह दिखाई देना शुरू होते हैं। कुछ लोगों में, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ज़ीका वायरस संक्रमण के बाद या कोरोना के बाद विकसित होना पाया गया है। बता दें मनुष्य के मस्तिष्क में अंदर और बाहर अधिकांश तंत्रिका तंतु मायलिन नामक वसा लिपोप्रोटीन से बने ऊतक की कई तरह की परतों से घिरे होते हैं। यह परतें मायलिन शीथ क निर्माण करती हैं। इसमें बिजली के तार के समान तंतू चारों ओर इन्सुलेशन की तरह मायलिन शीथ और तंत्रिका संकेतों विद्युत आवेगों को गति प्रदान करना और सटीकता के साथ तंत्रिका तंतुओं में प्रवाहित करने की सक्षमता विकसित करता है।

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