चीन से आयात कम करने के लिए सरकार वैसे तो कई कदम उठाने का दावा कर रही है लेकिन फिलहाल यह दावे परिणाम में बदले नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल 2024 की पहली तिमाही में भारत की चीन पर व्यापार निर्भरता में वृद्धि दर्ज की गई है।
- बढ़ता जा रहा चीन से आयात
- 2024 की पहली तिमाही में चीन से व्यापार निर्भरता बढ़ी
- संयुक्तराष्ट्र व्यापार विकास UNCTAD की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- चीन और यूरोपीय संघ पर व्यापार निर्भरता बढ़ी है
- सऊदी अरब पर भारत की निर्भरता में कर्मी दर्ज की गई
- यूरोपीय संघ 1 % और चीन पर व्यापार निर्भरता 1.2 % बढ़ी
- सऊदी अरब पर निर्भरता में 0.5 प्रतिशत की कमी आई
सऊदी अरब पर निर्भरता में 0.5 प्रतिशत की कमी
चीन से आयात को कम करने की दिशा में केन्द्र सरकार वैसे तो कई उपाय और दावे कर रही है लेकिन बावजूद इसके कोई खास परिणाम सामने नजर नहीं आ रहे हैं। संयुक्तराष्ट्र व्यापार विकास यानी UNCTAD की ताजा रिपोर्ट पर नजर डाले तो 2024 की पहली तिमाही में भारत की चीन और यूरोपीय संघ पर व्यापार निर्भरता बढ़ती नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब पर भारत की निर्भरता में कर्मी दुर्ज की गई है। रिपोर्ट की माने तो इस तिमाही में भारत की यूरोपीय संघ और चीन पर व्यापार निर्भरता क्रमशः 1 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत बढ़ी है। जबकि सऊदी अरब पर निर्भरता में 0.5 प्रतिशत की कमी आई है।
यूरोप और अफ्रीका ने किया निराश
UNCTAD की ओर से रिपोर्ट में अपने ग्लोबल ट्रेड अपडेट को लेकर जानकारी दी है जिसमें कहा कि वैश्विक व्यापार रुझान सकारात्मक हो गया है। यह ग्रोथ चीन, भारत और अमेरिका से निर्यात में बढ़ोतरी से प्रेरित है लेकिन यूरोप और अफ्रीका ने निराश ही किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की पहली तिमाही में ग्लोबल ट्रेड में ग्रोथ मुख्य रूप से चीन (9 प्रतिशत), भारत (7 प्रतिशत) और अमेरिका (3 प्रतिशत) से निर्यात में बढ़ोतरी के चलते हुई। इसके विपरीत देखें तो यूरोप के निर्यात में कोई वृद्धि नहीं दर्ज की गई। इसके साथ ही अफ्रीका के निर्यात में 5 प्रतिशत की कमी आई। निर्यात के मोर्चे पर चीन और भारत ने तिमाही-दर-तिमाही बहुत मजबूत प्रदर्शन किया है। साल 2024 की पहली तिमाही के दौरान विकासशील देशों और दक्षिण-दक्षिण व्यापार में व्यापार वृद्धि विकसित देशों की तुलना में तेज रही। यूएनसीटीएडी ने कहा, ‘वर्तमान वैश्विक व्यापार रुझान सकारात्मक हो गए हैं, 2024 की पहली तिमाही में वस्तुओं का व्यापार तिमाही दर तिमाही लगभग 1 प्रतिशत बढ़ा है।
2025 में भी मजबूत रहेगी दूसरी छमाही
मजबूत आर्थिक विकास दर के साथ महंगाई के कम रहने से व्यापक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें वित्त 2025 की दूसरी छमाही में मजबूत रहने की उम्मीद जताई जा रही है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म नोमुरा की माने तो भारत में खुदरा महंगाई दर वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भी 4.8 प्रतिशत पर है। यह इससे पहले 5.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी। ऐसे में अब यह उम्मीद है कि चावल भंडारण पर्याप्त मात्रा में है। इसके साथ ही दलहन के उत्पादन में वृद्धि के चलते खाद्य पदार्थों की महंगाई दर में कमी भी देखने को मिल सकती है। नोमुरा के विशेषज्ञों की माने तो आने वाले बजट को साफतौर पर कहा गया है कि इसमें फोकस पूंजीगत व्यय के साथ राजकोषीय समेकन पर हो सकता है।
नई सरकार का पूर्ण बजट इस माह पेश किया जायेगा
ब्रोकरेज का फोकस मैन्युफैक्चरिंग और खपत से जुड़ी निवेश थीम्स पर है। नोमुरा ने कहा कि बजट सरकार की दिशा को दिखाएगा। इसमें पहले के मुकाबले कोई अधिक परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा। दरअसल केंद्र में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद नई सरकार का पूर्ण बजट भी इस माह पेश किया जायेगा। इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रुप में देखा जा रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी की विकास दर 8.2 प्रतिशत थी, जो कि चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। नोमुरा का कहना है कि भारत में सुधार राजनीति की कसौटी पर खरे उतरे हैं। सरकार सुधारों की गति जारी रहेगी।