गोवर्धन पूजा : श्री कृष्ण ने की थी ब्रज में गोवर्धन पूजा की शुरुआत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया गोवर्धन पूजा में गाय और गंगा का महत्व

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हिंदू धर्म में पांच दिनी दीप पर्व दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा का उत्साह नजर आ रहा है। भारतीय संस्कृति में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का बड़ा ही महत्व है। इस दिन पूरे उत्साह के साथ गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गोवर्धन पूजा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। खासकर ब्रज क्षेत्र से इस पर्व को मनाने की परंपरा की शुरुआत की गई थी। इसके बाद भारत के विभिन्न क्षेत्र में धीरे धीरे यह प्रचलित हो गई। इस बार भी गोवर्धन पूजा का त्योहार आज शनिवार को मनाया जा रहा है।

लोकप्रिय पर्वों में से एक गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा सनातन धर्म में लोकप्रिय पर्वों में से एक है। हर साल कार्तिक मास में ही गोवर्धन पूजा का त्योहार दीपावली के बाद मनाया जाता है। इस दौरान लोक भक्ति और प्रेम के साथ भगवान श्री कृष्ण की आराधना करते हैं। इस दिन गौ माता की पूजा का भी खास महत्व होता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से साधक के समस्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं।

एमपी की राजधानी भोपाल में शनिवार को राज्य स्तरीय गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। सीएम डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में रवींद्र भवन में गोवर्धन पूजा का यह राज्यस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस दौरान सीएम डॉ.मोहन यादव ने कहा गाय और गंगा, भारत की संस्कृति एवं सभ्यता की आत्मा हैं। यह पालनहार हैं। तारणहार भी हैं। सीएम ने कहा वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, उपनिषद, स्मृति-ग्रंथों और वांग्मय में गौ माता की महिमा का वर्णन किया गया है।

गोवर्धन पूजा : श्री कृष्ण ने की थी ब्रज में गोवर्धन पूजा की शुरुआत,

गोवर्धन पूजा प्रकृति के सम्मान का उत्सव

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋग्वेद में गाय को ‘अदिति’ कहा गया है। ‘दिति’ नाम नाश का है। ‘अदिति’ अविनाशी अमृतत्व का नाम है। गाय को ‘अदिति’ कहकर वेद में अमृतत्व का प्रतीक बतलाया गया है। गाय को सुरभि, कामधेनु, अर्च्या, यज्ञपदी भी कहा जाता है। सीएम डॉ.मोहन यादव ने कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि गोवर्धन पूजा प्रकृति के सम्मान का उत्सव है। धरा पर ईश्वर को अत्यंत प्रिय गाय और गंगा ही हैं। गाय और गंगा के बिना भारतवर्ष की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

मुख्यमंत्री ने गाय और गंगा को भारत की संस्कृति और सभ्यता की आत्मा बताया और कहा यही पालनहार भी हैं। यही तारणहार भी हैं। सीएम ने कह वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत,स्मृति-ग्रंथों और वांग्मय में गाय को कामधेनु, कामदुघा, अर्च्या, सुरभि, कल्याणी, इज्या, यज्ञपदी, बहुला, विश्व की आयु के साथ रुद्रों की माता और वसुओं की पुत्री के रूप में भी सुशोभित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा सर्वदेवमयी गाय को वेदों में अघ्न्या अवध्या कहा गया है। उन्होंने कहा त्रेता युग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने वनगमन किया था, इससे पहले उन्होंने गोदान किया था। वहीं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था में ही गायों संग व्यतीत कर पूरे भारतवर्ष को गाय का महत्व उसकी महत्ता का संदेश दिया था।

गोसेवा और संरक्षण संवर्धन के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा ईश्वर की ओर से वंदनीय गाय माता का संरक्षण और उनका संवर्धन केवल हमारा कर्तव्य ही नहीं, यह हमारा धर्म भी है। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से भी गोसेवा के लिए कदम उठाए जाते रहे हैं, सरकार इसके लिए सदैव प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के सभी गांव में गोशाला प्रारंभ करने का अभियान शुरू किया ​गया है। सरकार की ओर से बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में गोशाला में गाय के आहार के लिए पूर्व से तय अनुदान राशि को भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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