गोवर्धन पूजा, गोशाला में लगा मेला
भारत में हर त्योहार का अपना महत्व है। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियों से भारत में चली आ रही है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजन में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है। सूर्यग्रहण के चलते इस बार गोवर्धन पूजा बुधवार को हो रही है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गिरिराज महाराज की आकृति बनाइ्र है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहते है। लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि गोवर्धन पूजा आखिर क्यों की जाती है।
गोवर्धन पूजा की कथा
पौराणिक कथा है एक बार ब्रज में पूजन कार्यक्रम चल रहा था। सभी ब्रजवासी पूजन कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हुए थे। इस बीच भगवान श्रीकृष्ण ये सब देखकर व्याकुल हो जाते हैं। वे माता यशोदा से पूछते हैं मैया ये सब ब्रजवासी आज किसकी पूजा की तैयार में लगे हैं। तब यशोदा माता ने बताया कि ये सब इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे हैं। श्रीकृष्ण फिर से पूछते हैं कि इंद्रदेव की पूजा क्यों करेंगे तो यशोदा बताती हैं कि इंद्र देव वर्षा करते हैं और उस वर्षा की वजह से अन्न की पैदावार अच्छी होती है। जिससे हमारी गाय के लिए चारा उपलब्ध होता है। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्रदेव का वर्षा करना कर्तव्य है। इसलिए उनकी पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गोवर्धन पर्वत पर गायें चरती हैं। इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। जिससे इंद्रदेव नाराज हो गए और क्रोध में आकर मूसलाधार बारिश करने लगे। जिस वजह से हर तरफ कोहराम मच गया। ऐसे में सभी ब्रजवासी अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए इधर उधर भागने लगे। तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों को पर्वत के नीचे शरण दी। जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ। इन्द्र ने भगवान श्रीकृष्ण से मांफी मांगी। इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई हैं। इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गौवंश की पूजा का बहुत महत्व है।
आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन
गोवर्धन पूजा वाले दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया गया है। साथ ही फूलों से मंडप को सजाया गा है। पूजा के शुभ मुहूर्त में गोवर्धन जी को फूल, अक्षत, फल, दीप, नैवेदय और मिठाई अर्पित कर पूजन की जा रही है। गोवर्धन की नाभि स्थान पर मिट्टी के बड़े से दीपक में बताशे, दूध दही आदि रखा गया है। घर पर बनाए गए विभिन्न प्रकार के पकवानों से तैयार अन्नकूट का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाया गया। उनकी पूजा गई।
क्या है अन्नकूट का महत्व
अन्नकूट का गोवर्धन पूजा के दिन विशेष महत्व होता है। भगवान के लिए अन्नकूट प्रसाद में कई सारी सब्जियों को मिलाकर मिक्स सब्जी, आम चटनी, पूड़ी, रोटी, गाजर हलवा, भात, रायता, मूंग की खिचड़ी, बाजरे का हलवा और कढ़ी चावल आदि बनाया जाता है। इसके पीछे यह भी मान्यता है कि जो लोग यह अन्नकूट का प्रसाद मनाते हैं और भगवान को भोग लगाते हैं उनके घर में कभी अन्य की कमी नहीं होती है।
गोवर्धन पूजा पर क्यों की जाती है गाय की पूजा ?
गोवर्धन पूजा को हमारे देश में दिवाली के अगले दिन एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पूजा में श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल भी मिलता है। कई लोग गाय के गोबर से घर पर ही गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इस पूजा को विधि.विधान के साथ किया जाता है। आपको बता दें कि इस दिन कई लोग गाय की भी पूजा करते हैं। बता दें कि गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार गाय को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है। मान्यता हे कि जिस तरह से देवी सुख और शांति प्रदान करती हैं। उसी प्रकार गाय की पूजा करने से घर में सुख और षांति का वास होता है। बता दें कि कई लोक कथाओं के अनुसार गाय का दूध सबसे नदियों के जल जितना ही पवित्र होता है। गाय में सभी देवी.दवताओं का वास होता है। गोवर्धन पूजा में गाय की पूजा करने के मौली, चावल, फूल, दही, रोली और दीप जलाकर पूजा करते हैं।