बिहार के डिप्टी सीएम से खफा हैं “भगवान”
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता हैए क्योंकि जहां लोग अपनी बीमारी से हिम्मत हार जाते है वहां भगवान बनकर डाक्टर खड़े दिखाई देते हैं। लेकिन बिहार में इस दिनों धरती के भगवान यानी डाक्टर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से नाराज हैं। दरअसल बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पटना के एनएमसीएच का दौरा किया और अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह को निलंबित कर दिया। अब इस मामले में राष्ट्रीय आईएमए और बिहार शाखा ने संज्ञान लेते हुए आपात बैठक बुलाई है और अधीक्षक के निलंबन को रद्द करने मांग की है। आईएमए ने यह भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो कोई सख्त कदम भी उठाया जा सकता है।
IMA ने लिखा सीएम नीतीश कुमार को पत्र
IMA ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर डॉ बिनोद कुमार सिंह के निलंबन आदेश को रद्द करने की मांग की है। शनिवार को आईएमए बिहार के अध्यक्ष डॉ डीएस सिंह व अन्य डॉक्टरों ने आईएमए भवन में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश से डॉ बिनोद सिंह को न्याय दिलाने की मांग की। डॉक्टरों ने कहा कि चिकित्सकों को प्रताड़ित किए जाने पर गंभीर परिणाम होंगे। डॉ सिंह ने मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल से बेहतर कार्य किया है। निलंबन के खिलाफ बोलते हुए आईएमए के डॉ सहजानंद सिंह ने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव को ऐसा नहीं करना चाहिए था। स्वास्थ्य मंत्री के साथ अस्पताल निरीक्षण पर गए अतिरिक्त मुख्य सचिव और अतिरिक्त सचिव को कम से कम मंत्री को सलाह देनी चाहिए थी कि उन्हें निलंबित करने से पहले डॉक्टर सिंह से स्पष्टीकरण मांगा जाए। एक राजपत्रित अधिकारीए जो प्रोफेसर और विभाग के प्रमुख बाल रोग के साथण्साथ अधीक्षक का प्रभार भी रखता हैए को अपना पक्ष स्पष्ट करने का अवसर दिए बिना हटाया नहीं जा सकता है।
सरकार को डरा रहा डेंगू का बुधार
राज्य में डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण राज्य सरकार के माथे पर बल आ गया है कि अगर कहीं डॉक्टरों की हड़ताल हो गई तो उनकी फजीहत हो जाएगी। इस बीच निलंबित अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने भी अपना पक्ष रखते हुए सरकार की ओर से उनको सस्पेंड किए जाने को अन्याय बताया है। निलंबन के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए छडब्भ् के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने भी सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वे कोर्ट भी जा सकते हैं। वहीं निलंबित एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने कहा पहले सरकार से पहले गुजारिश करेंगे कि उन पर जो आरोप लगे हैं वह बिल्कुल निराधार हैं। बिना उनसे स्पष्टीकरण लिए कार्रवाई की गई है। जो ठीक नहीं है। अगर सरकार मेरे बात को सुनती है तो फिर ठीक है। अगर नहीं सुनेगी तो फिर कोर्ट का सहारा लेंगे। उनके साथ जो कुछ हुआ है अन्यायपूर्ण और आसंवैधानिक है। विनोद कुमार सिंह ने कहा किसी भी सरकारी कर्मचारी पर कोई भी निलंबन का कार्य होने से पहले उनसे पहले स्पष्टीकरण लेना आवश्यक है। इस परिस्थिति में जो भी कमियां पाते हैं उसके बाद उन पर कार्रवाई की जाती है। वहीं संघ की ओर से उनके समर्थन पर विनोद सिंह ने कहाए संघ की शक्ति होती है। हम लोगों की भी है। सरकार के सामने संघ की ओर से यह बातें रखी जा रही हैं और सरकार को मेरी बात सुननी समझनी चाहिए। विनोद कुमार सिंह ने कहा उन्होंने कोविड 19 के समय तीन बार कोविड पॉजिटिव होने के बाद भी जान हथेली पर रखकर काम किया। फिर भी उनके विरुद्ध सरकार द्वारा की गई कार्रवाई अन्यायपूर्ण है। निलंबित एनएमसीएच अधीक्षक ने कहा कि साफ सफाई के साथ ही अन्य जो कमियां हुई हैं उनके कारण नहीं बल्कि संसाधनों की कमी के कारण हुई है। ऐसे में इन कमियों को लेकर उनके ऊपर कार्रवाई सही नहीं है।
बीजेपी ने डॉक्टरों के सुर में सुर मिलाया
वहीं डॉक्टरों की तरफदारी करते हुए बीजेपी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि तेजस्वी ने डॉक्टर बिनोद सिंह के परिजनों को अपशब्द कहे हैं उसके उसके लिए उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए। और तत्काल प्रभाव से निलंबन का निर्णय वापस लेना चाहिए। एनएमसीएच का निरीक्षण करने के लिए मंत्री के रूप में गए तेजस्वी केवल प्रोपोगेंडा करने गए थे। वह वहां फोटो खिंचवाने के लिए गए थे। एक समझदार और वरिष्ठ डॉक्टर को निलंबित करना बिल्कुल ही गलत है। कोविड 19 का शिकार होने के बावजूद दो साल से अधिक समय तक महामारी के दौरान डॉ बिनोद सिंह ने उल्लेखनीय काम किया। अस्पताल के बुनियादी ढांचे की कमी के बावजूद उन्होंने हर तरीके से लोगों की मदद की। बीजेपी ने तेजस्वी और सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि इस मामले के बाद शासन की उनकी निरंकुश शैली लोगों के सामने आ गई है। भाजपा ने कार्रवाई को सरासर गलत बताया है।