भारत चमत्कारों का देश है। यहां के मंदिरो का भी कोई ना कोई इतिहास रहा है। साथ ही कुछ मंदिर ऐसे भी है, जहां कुछ रहस्यमयी घटनाएं भी देखने को मिलती है। किसी मंदिर में शिवलिंग के आकार का बढ़ जाना, तो कही मंदिर से डमरू की आवाज सुनाई देना। ऐसे ही रहस्यमयी मंदिरो में से एक मंदिर ऐसा भी है जिसके बाहर पूरे साल शराब बेची जाती है। इस मंदिर में चढ़ाए जाने वाला मुख्या प्रसाद ही मदिरा है। इस मदिर कि मूर्ति देखते ही देखते शराब गटक जाती है।
कहा है ये मंदिर..?
रहस्यों से भरा ये मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर का नाम काल भैरव है। यहां शिवजी के पांचवे अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग छ हजार साल पुरानी पूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में भगवान काल भैरव को शराब चढ़ाने की अनोखी मान्यता के चलते यहां पूरे साल शराब बेची जाती है। यही वजह है की काल भैरव मंदिर ज्यादा प्रख्यात है।
मूर्ति पीती है शराब
काल भैरव मंदिर में भगवन को शराब चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भगवन काल भैरव को हर रोज मंत्रोचारण के बाद लगभग 2,000 शराब की बोतलों का सेवन कराया जाता है। श्रद्धालु भी यहां आकर मंदिर के बाहर से शराब खरीदते है और भगवन काल भैरव को चढ़ाते है।
कोई नहीं जान पाया रहस्य
बाबा काल भैरव के शराब पीने के रहस्य के बारे में आज तक शोधकर्ताओं और पुरातत्व विभाग के जानने की कोशिश की मगर अभी तक कोई कुछ पता नहीं लगा पाया है। यहां मूर्ति के शराब पीने का सिलसिला कुछ सालों से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है।
कब हुआ था काल भैरव का जन्म
पुराणों के अनुसार, भगवान काल भैरव का जन्म भगवान शिव के रक्त से हुआ था। बाद में भगवान शिव के रक्त के दो भाग हुए, जिसमे एक से बटुक भैरव बने और दूसरे से काल भैरव का जन्म हुआ। इसमें बटुक भैरव को बाल रूप और काल भैरव को युवा रूप कहा जाता है।
काल भैरव का खास दिन
हिन्दू देवी देवताओं की पूजा का एक ख़ास दिन होता है। वैसे ही काल भैरव की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन रविवार और मंगलवार का माना जाता है। इसलिए इस दिन काल भैरव के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी दुखो का अंत होता है, साथ ही शनि का प्रकोप भी शांत होता है।