राजस्थान में इन दिनों उदयपुर जिले में धारा 144 लागू किये जाने पर सियासी बबाल मचा हुआ है। बीजेपी ने इस मामले में गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है। केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा उदयपुर में धार्मिक ध्वज लगाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेना होगी। वहीं गहलोत के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी पर पलटवार किया है। खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी के पेट में इसलिए दर्द हो रहा है क्योंकि वो न तो रामनवमी के दिन पिछली बार की तरह दंगे करवाने में कामयाब हो सकी और न ही हनुमान जन्मोत्सव पर दंगे करवा सकी। जब दंगे की योजना में बीजेपी फेल हो गई तो अब इन आरोपों से बीजेपी मेवाड़ की धरती पर माहौल बिगाड़ना चाहती है। यही नहीं खाचरियावास ने कहा कि किसी भी पार्टी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है, चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, सपा और बसपा।
- कलेक्टर के आदेश पर गरमाई सियासत
- उदयपुर में कलेक्टर ने लागू की धारा 144
- बिना अनुमति धार्मिक प्रतीक चिन्ह युक्त झंण्डियां लगाने पर रोक
- 5 अप्रैल से अगले दो माह के लिए लागू की धारा 144
दरअसल केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आरोप लगाते हुए कहा था कि क्रोनोलॉजी समझिए कि बागेश्वर धाम की धर्मसभा के बाद यह निषेधाज्ञा जारी की गई। उदयपुर कलेक्टर ने किसी भी क्षेत्र में किसी भी धर्म धार्मिक झंडे लगाने और धारा 144 को लेकर आदेश जारी किया है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले को हिंदुत्व से जोड़कर गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा हिंदुओं को टारगेट करना कांग्रेस की परमानेंट पॉलिटिकल पॉलिसी रही है। कांग्रेस भगवा ध्वज की विरोधी हैं। शेखावत ने कहा क्या अब उदयपुर में धार्मिक ध्वज फहराने और लगाने के लिए प्रशासन से आज्ञा लेनी होगी। विशेष तौर पर यह आदेश भगवा ध्वज के लिए जारी किया गया है। बता दें उदयपुर में हनुमान जयंती के एक दिन पहले धारा 144 लागू करने का मामला बढ़ता जा रहा है। इस मामले को लेकर हिन्दू संगठनों का अंदर ही अंदर विरोध तो चल ही रह था कि उपनेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनियां ने भी विरोध में बयान दे दिया। पूनिया ने यह तक कह दिया कि हनुमान जयंती के एक दिन पहले उदयपुर कलेक्टर की ओर ये इस प्रकार का आदेश निकलना उदयपुर ही नहीं पूरे राजस्थान के लोगों की धार्मिक आस्था पर एक तरह से प्रहार है। उन्होंने राजस्थान कि बिगड़ती कानून व्यवस्था का दोषी कांग्रेस की सरकार को बताया। पूनिया ने कहा राजस्थान की कांग्रेस सरकार में एक बार फिर तुगलकी फरमान जारी किया है। कांग्रेस का तुष्टिकरण का चेहरा एक बार फिर सामने आया है। दरअसल उदयपुर के कलेक्टर ने पिछले 5 अप्रैल से अगले दो माह के लिए धारा 144 लागू कर दी है। साथ ही यह कहा है कि धार्मिक ध्वज, झंडे, प्रतीक चिह्न किसी सार्वजनिक और निजी स्थान पर नहीं लगाए जा सकते। पूनिया ने कहा यह तुष्टिकरण का वह नमूना है कि कानून की विफलता के लिए इस तरह के रास्ते गढ़े जाते हैं।
कलेक्टर ने किया संवैधानिक अधिकार का उपयोग-खाचरियावास
वहीं गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 लगाना कलेक्टर का अधिकार है। मंत्री ने कहा जो भी आदमी धर्म, जाति के नाम पर कानून हाथ में लेकर दंगे फैलाएगा। उसे बंद किया जाएगा। कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अगर कलेक्टर धारा 144 लगाते हैं तो वह संवैधानिक अधिकार का उपयोग कर रहे हैं। खासरियावास ने यह भी कहा कलेक्टर और पुलिस कानून-व्यवस्था नहीं संभालेगी तो उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी। कानून-व्यवस्था संभालने के लिए धारा 144 लगाने से किसी को क्या परेशानी है।
सफल नहीं होंगे देंगे दंगे की योज- खाचरियावास
गहलोत सरकार में मंत्री खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी दंगे भड़काने का षडयंत्र रच रही है।
धारा 144 कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगाई जाती है। इसे सकारात्मक तरीके से देखना होगा। राजस्थान में अगर बीजेपी दंगे की प्लानिंग कर रही है तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।
क्या है कलेक्टर की ओर से जारी आदेश
उदयपुर कलेक्टर ने पिछले दिनोें आदेश जारी किया था कि परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उदयपुर जिले के सम्पूर्ण नगर और ग्रामीण क्षेत्र में राजकीय उपक्रम, निगम के भवन,बोर्ड के भवन, सार्वजनिक सामुदायिक भवन के साथ सार्वजनिक सम्पत्तियों यथा-राजकीय भवन, विश्राम गृह सार्वजनिक पार्क, चौराहे, तिराहे पर बने सर्किल, विद्युत और टेलिफोन के खम्भे या निजी सम्पत्ति पर बिना सक्षम स्वीकृति, सहमति के धार्मिक प्रतीक चिन्ह युक्त झंण्डियां लगाने पर प्रतिबन्ध हेतु निषेधाज्ञा लागू की जाती है। सभी नागरिकों को इस आदेश की पालना करने और अवेहलना न करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति उपर्युक्त प्रतिबन्धात्मक आदेशों का उल्लघन करेगा तो वह धारा 188 के तहत अभियोजित किया जा सकेगा। यह आदेश दो महीने तक जारी रहेगा।