जी 20 समिट: कश्मीर में जुटी दुनिया की 17 महाशक्तियां

भारत ने पाकिस्तान का प्रोपगेंडा किया ध्वस्त

भारत ने जी 20 के अंतर्गत पर्यटन वर्किंग ग्रुप की एक बैठक श्रीनगर में कराकर पाकिस्तान के फर्जी प्रोपगेंडा को ध्वस्त कर दिया है। भारत के न्यौते पर 17 देशों के 60 प्रतिनिधि कश्मीर पहुंचे हैं। भारत के इस मूव से दुनिया में कश्मीर के सुरक्षित होने का संदेश जाएगा और भारत को इससे काफी फायदा मिलेगा। कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान के फर्जी प्रोपेगेंडा का कांउटर करने के लिए भारत ने बेहद शानदार दांव चला है। सब कुछ ठीक रहा है तो ये दांव पूरी तरह सफल हो सकता है। जी 20 सम्मेलन के तहत भारत ने टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीसरी मीटिंग का आयोजन जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में किया। भारत के इस दांव से चारों खाने चित होने के बाद पाकिस्तान ने पहले ही बैठक के खिलाफ माहौल बनाने का फैसला कर लिया था।

पड़ोसी देश खाली हाथ रह गया

पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी कश्मीर पर उसके प्रोपगेंडा को दूसरे देशों का भी बड़े स्तर पर समर्थन मिला है। लेकिन पड़ोसी देश खाली हाथ रह गया है। पाकिस्तान के कहने पर चीन ने इस बैठक में भाग लेने से मना कर दिया था।चीन ने बैठक में टांग अड़ाने की कोशिश की थी। चीन ने कहा था कि वह किसी भी विवादित क्षेत्र में बैठक आयोजित करने का विरोध करता है। चंद देशों को छोड़ दें तो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय यूनियन और साउथ अफ्रीका जैसे 17 ताकतवर देशों ने इस बैठक में शामिल होने में अपनी रुचि दिखाई।

भारत के लिए महत्वपूर्ण है बैठक

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह बैठक दुनिया के सामने खुद को प्रदर्शित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए एक अवसर है। भारत के जी 20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रंगला ने कहा कि जी 20 की इस बैठक से घाटी में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी। कश्मीर ट्रेडर्स एंड मैन्युफैक्चरर्स फेडरेशन के महासचिव बशीर अहमद का कहना है कि जी 20 पर्यटन बैठक श्रीनगर में होना अपने आप में गौरव की बात है। दुनिया के लिए बड़ा संदेश हो गा कि कश्मीर एक शांतिपूर्ण जगह है। बता दें कि श्रीनगर में हो रही जी-20 की यह बैठक में वर्किंग ग्रुप की पहली दो मीटिंग के मुकाबले सबसे ज्यादा देश आ रहे हैं। इस मीटिंग को दुनियाभर से मिला समर्थन भारत की मजबूत होती स्थिति को दर्शाता है। कश्मीर में हो रही यह बैठक कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे कश्मीर पर पाकिस्तान का पक्ष कमजोर होगा और कश्मीर पर भारत के फैसले को मान्यता मिलेगी। इसके अलावा दुनिया कश्मीर के सामान्य होते हालात की झलक भी देख सकेगी।

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