1971 की लड़ाई भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। इस युद्ध ने न सिर्फ एक नए राष्ट्र को जन्म दिया है बल्कि भारतीय सेना ने जिस जोश के साथ अपनी वीरता और साहस का प्रदर्शन किया था उसके दम पर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। जब उस ऐतिहासिक विजय को याद करते हैं तो हर भारतीय और पूर्व सैनिकों को उनका जज्बा उत्साह से भर देता है। यह सिर्फ एक युद्ध नहीं था बल्कि मानवीय भावनाओं, देशभक्ति के साथ अदम्य साहस की अद्वितीय घटना साबित हुई थी।
भारतीय सेना ने जब ‘ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक की तो पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। अब जब पाकिस्तान की बौखलाहट सामने आ रही है, तो पूर्व सैनिक भी जोश में आकर पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठाने को तैयार है। लोग भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से खुश हैं। पूर्व सैनिकों की भी बूढ़ी हड्डियों में जान आ गई है। उनका कहना है अगर मौका मिले तो इस उम्र में भी वे देश की सेवा के लिए तैयार है।
साल 1971 का युद्ध लड़ने वाले वीर सैनिकों का कहना है पाकिस्तान को फिर जवाब मिला है। बता दें साल 1971 की लड़ाई सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं थी। बल्कि यह भारत की सेना के साहस और देशभक्ति का प्रमाण थी। इस जंग की गाथा हर भारतीय के दिल में दर्ज है। किस तरह 1971 के युद्ध ने पड़ोस में एक स्वतंत्र राष्ट्र बांगलादेश को जन्म दिया था। साथ ही भारतीय सेना को गौरव और सम्मान दिलाया था। उस युद्ध में लड़ने वाले वीर सैनिकों में आज भी वही जोश बरकरार है। जो उन्होंने 1971 युद्ध के मैदान में दिखाया था। आज भी उनके पूर्व सैनिकों के जख्म उन दिनों की कहानियां सुनाते हैं।
1971 के युद्ध में भारत के वीर जवानों ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत की तरफ आंख उठाने वाले कभी देखने लायक नहीं रह जाएंगे। उसी तरह इस बार भी एयर स्ट्राइक करने के साथ ही पाकिस्तान पर जवाबी हमला कर भारत के जवानों ने फिर बता दिया कि पर्यटकों पर गोलियां बरसाने वाले चैन से जी नहीं पाएंगे। उन्हें पालने-पोसने वाला देश पाकिस्तान अपनी गलती पर वर्षों तक पछतायेगा।
1971 की लड़ाई के दौरान जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने थे उस समय तब सिर्फ सीमाएं नहीं थी देश के गांव-गांव और कस्बे-कस्बे भी एक भावनात्मक रणभूमि के रुप में बदल चुके थे।
दूरदराज के क्षेत्रों में उस समय कोई मोबाइल था न टीवी, लेकिन देशभक्ति की गूंज हर गली में सुनाई देती थी। गांव बुजुर्ग महिला शांति सिंह पत्नी स्वर्गीय सूबेदार चंद्रबली सिंह और सुमन सिंह पत्नी सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने पुरानी यादों को एक बार फिर साझा करते हुए कहा राजस्थान के बस्ती जैसे जिले के छोटे कस्बों और गांवों में लोगों का उस समय सबसे बड़ा सूचना माध्यम रेडियो ही था। जैसे ही आकाशवाणी पर ‘समाचार प्रारंभ होते थे लोग बड़ी खामोशी से रेडियो के इर्द-गिर्द बैठ जाया करते थे।
गांव के बुजुर्ग बताते थे कि किस तरह हर खबर के साथ उनकी सांसें थम सी जाती थीं। युद्ध में जीत की खबर पर गांवों में तालियों की गड़गड़ाहट और देशभक्ति नारों से गूंज उठा था।
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में सेना के शिविर होने के कारण पूर्वांचल के गांवों में भी हवाई हमलों का अंदेशा था। पचवस की बुजुर्ग महिला पुष्पा सिंह पत्नी धर्मवीर सिंह और सरोज सिंह पत्नी अमरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा गांव के प्रधान और स्कूल शिक्षक मिलकर उस समय ब्लैकआउट की तैयारी किया करते थे। पूरी रात में लालटेन बुझी रहती थी।
पूर्व सैनिकों का कहना है तब के युद्ध पर मिली भारत की जीत पर हमें आज भी गर्व है। वहीं पहलगाम की घटना के बाद हुए एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान को दिए जवाब ने जो सुकून दिया है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। लोगों का कहना है आपरेशन सिंदूर के तहत की गई इस एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान के खिलाफ की गई जवाब कार्रवाई ने पाकिस्तान के गुरूर को ऐसा जख्म दिया है जिसे वह कभी भर नहीं पाएगा। जब भी भारत की तरफ बुरी नजर उठाएगा उसकी रूह तक कांपने लगेगी।