मध्य प्रदेश आज अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। आज का दिन इस राज्य के लिए वाकई खास है। आज जब मध्य प्रदेश के लोग अपने राज्य का 69वां स्थापना दिवस मना रहे हैं तो एक बार फिर वहीं 68 साल पहले वाला संयोग बन गया है। दीपावली का मौका तो है 1 नवम्बर 1956 के दिन जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ उस समय भी अमावस्या ही थी। जिस दिन मध्य प्रदेश को एक राज्य के तौर पर स्थापित किया गया था। अमावस्या की उस रात में ही मध्य प्रदेश को पंडित रविशंकर शुक्ल के रुप में अपना पहला मुख्यमंत्री मिला था।
- नागपुर था मध्य भारत की राजधानी
- 1 नवंबर 1956 को हुई थी मध्यप्रदेश की स्थापना
- 1 नवंबर 1956 को भी थी अमावस्या
- अमावस्या की रात में अस्तित्व में आया था नया राज्य
- आज 1 नवंबर 2024 को भी है अमावस्या
- 68 साल के बाद वही संयोग बना
मध्य प्रदेश ने आज अपनी स्थापना के 68 वर्ष पूरे कर लिये हैं। ऐसे तब एक बार फिर वहीं सुखद संयोग बन गया है। इसे संयोग ही कहेंगे की इस बार भी 1956 की ही तरह 1 नवम्बर को अमावस्या है। हालांकि इस बार अमावस्या के दो दिन रहे 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर। दो दिन अमावस्या के बीच दीपावली मनाई गई अब इसी खुशनुमा माहौल में ही मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। दरअसल में 1 नवंबर 1956 को अमावस्या की रात में ही मध्य प्रदेश ने एक नए राज्य के रुप में करवट ली थी। इस बार भी बिल्कुल वैसा ही एक संयोग बन गया है। उस बार भी पूरे प्रदेश में लोग दीपावली की तैयारी कर रहे थे और अमावस्या की रात में उन्हें अपना नया राज्य मिला था। पिछले 68 साल के लंबे अरसे में मध्यप्रदेश की सत्ता कई बार बदली। इतना ही नहीं भूगोल भी बदल गया लेकिन यह एक सुखद संयोग था जो आज भी राजभवन मौजूद है, जहां पंडित रविशंकर शुक्ल ने मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
विन्ध्य प्रदेश,मध्य भारत और भोपाल घटक राज्य थे
देश को जब आजादी मिली उस समय कई छोटी-छोटी रियासतें हुआ करतीं थीं। 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी के बाद जिन्हें स्वतंत्र भारत का हिस्सा बनाया गया था। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ। साल 1952 में देश में पहली बार आम चुनाव कराये गये। इसकी वजह से ही संसद और विधानमंडल अस्तित्व में आए। साल 1956 में देश में राज्यों पुनर्गठन की कवायद के चलते 1 नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश के रुप में देश में एक नये राज्य का जन्म हुआ था। जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ था उस दौर में विन्ध्य प्रदेश,मध्य भारत और भोपाल इसके घटक राज्य हुआ करते थे।
ऐसे बना था भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी
मध्य प्रदेश की स्थापना के समय राज्य पुनर्गठन आयोग की ओर से वैसे तो जबलपुर को प्रदेश की राजधानी बनाने की सिफारिश की गई थी। लेकिन उस समय ग्वालियर, रायपुर और इंदौर भी राजधानी की दौड़ और होड़ में थे। कुछ समय तक फौरी तौर पर जबलपुर को राजधानी माना भी, लेकिन बाद में तय किया गया कि जबलपुर के बजाए भोपाल को राजधानी बनाया जाएगा। दरअसल जबलपुर को लेकर कई बातें कही गईं। जानकारी के अनुसार सेठ गोविंद दास ने जबलपुर को राजधानी बनाए जाने की सबसे मजबूत पैरवी की थी। सेठ गोविंद दास के परिवार की ओर से जबलपुर-नागपुर रोड पर सैकड़ों एकड़ जमीन भी क्रय कर ली थी। जिससे भविष्य में लाभ हो। लेकिन उस समय भोपाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय शंकरदयाल शर्मा जो बाद में देश के राष्ट्रपति भी बने ने तत्कालीन पीएम स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने भोपाल को राजधानी बनाने की सलाह दी। जिसके बाद भोपाल की आबोहवा और भोपाल की भौगालिक स्थिति भी राजधानी बनाने में सहायक हुई। इसके अलावा भोपाल में उस समय नबाब शासन के दौर की इमारतों को सरकारी कार्यालयों के तौर पर उपयोग किये जाने का एक बड़ी वजह भी थी, क्योंकि जबलपुर की इमारतें सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के लिए ठीक नहीं मानी गईं थी।
नए राज्य के साथ ही मिली विधानसभा
15 अगस्त, 1947 से पहले देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें थीं। देशी राज्य अस्तित्व में थे। आजादी के बाद यह सभी स्वतंत्र भारत का हिस्सा बने। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया। इसके बाद 1952 में पहले आम चुनाव हुए। जिसके कारण संसद एवं विधान मण्डल अस्तित्व में आए। प्रशासनिक दृष्टि से इन्हें अलग अलग श्रेणियों में विभाजित किया। साल 1956 को राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को 14 नए राज्य अस्तित्व में आए। जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। इसके घटक राज्य मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं। राज्य पुनर्गठन के परिणाम स्वरूप चारों विधान सभाओं को मिलाकर एक विधानसभा बनाई गई। 1 नवंबर, 1956 को राज्य के साथ ही मध्यप्रदेश की पहली विधानसभा भी अस्तित्व में आई जिसका पहला और अंतिम अधिवेशन 17 दिसंबर, 1956 से 17 जनवरी, 1957 के बीच पूरा हुआ था।