रुस-यूक्रेन युद्ध के बीच उम्मीद की नई किरण
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब दुनिया भर के लिए संकट बनता जा रहा है। तेल की कीमती में वृद्धि ने कई देशों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में इस युद्ध की तमाम आशंकाओं और संभावनाओं के बीच शांति वार्ता की कोशिशें भी जारी हैं। इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की रुस यात्रा को भी जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले आठ महीने से जारी रूस यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में भारत एक अहम भूमिका निभा सकता हैं यह उम्मीद इससे लगाई जा रही है क्योंकि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी दो दिवसीय यात्रा पर रूस जा रहे हैं। जहां वह रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और उप प्रधानमंत्री, व्यापार और उद्योग मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ मुलाकात करेंगे।
जयशंकर के दौरे पर दुनिया की निगाह
यूक्रेन और रुस में छिड़ी जंग के बीच एस जयशंकर मॉस्को दौरे पर हैं। उनके इस दौरे पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई है। दरअसल भारत के विदेश मंत्री के दौरे के दौरान दोनों पक्षों के बीच बातचीत में द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने और विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास पर विचारों का आदानप्रदान करने की उम्मीद है। वहीं जयशंकर की यात्रा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारतीयों की तारीफ करने के बाद हुई है।
पुतिन ने कहा था भारत में अपार संभावनाएं
दरअसल पिछले दिनों 4 नवंबर को पुतिन ने रूस के एकता दिवस के अवसर पर भारतीयों की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि भारत में अपार संभावनाएं हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि यह विकास के मामले में उत्कृष्ट रिजल्ट हासिल करेगा। रूसी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा था कि भारत अपने विकास के मामले में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है और लगभग डेढ़ अरब लोगों में अब यह क्षमता है।
नए सिरे से फिर टकराव
करीब दो सप्ताह पहले क्रीमिया में एक बड़े विस्फोट के बाद रूस और यूक्रेन में नए सिरे से टकराव शुरू हो गया। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव आठ नवंबर को मास्को में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ चर्चा करेंगे। दोनों मंत्री द्विपक्षीय संबंधों की मौजूदा स्थिति और अंतरराष्ट्रीय एजेंडे पर चर्चा करेंगे।
एस जयशंकर की यात्रा इसलिए भी अहम
भारत के विदेश मंत्री की रुसी यात्रा कई मायनों में अहम है। दरअसल इसके पीछे कई वजह शामिल हैं। भारत ने रूसयूक्रेन युद्ध के दौरान दुनिया पर मंडरा रहे परमाणु हमले के खतरे को टालने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा अनाज सौदे को लेकर भारत की भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता। पूरी दुनिया में अनाज संकट पैदा होने पर भारत ने ही रूस को इस करार में शामिल होने के लिए राजी किया था। यही वजह है कि इस समय पूरी दुनिया भारत के विदेश मंत्री की मॉस्को यात्रा को एक उम्मीद के साथ देख रही है। पूरी दुनिया को उम्मीद है कि भारत इस मामले में जल्द ही विश्व को कोई अच्छी खबर सुना सकता है।
भारत से युद्ध रुकवाने की उम्मीद
अमेरिका सहित पश्चिमी देश भारत की ओर इस उम्मीद से देख रहे हैं कि वह रूस पर दबाव डालकर यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने का प्रयास करे। विदेश मंत्री जयशंकर की रूस यात्रा से भी इसकी उम्मीद की जा रही है। हालांकि अभी तक भारत की तरफ से बयान नहीं आया है। वैसे रूसी बयान के मुताबिक जयशंकर का राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात का कोई प्लान नहीं है। लेकिन इस बात की उम्मीद लगाई जा सकती है कि भारत रूसी विदेश मंत्री को एक बार फिर से साफ लहजों में कह सकता है कि यह दौर युद्ध का नहीं है। सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक में जयशंकर पुतिन के लिए संदेश भिजवा सकते हैं।
पिछले माह पुतिन से मिले थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महा 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में रुसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। जिसमें कहा था आज का युग युद्ध का नहीं है। भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की अभी तक निंदा नहीं की है और कहता आ रहा है कि संकट का समाधान संवाद और कूटनीति से निकाला जाना चाहिए। रूस ने लगभग दो सप्ताह पहले क्रीमिया में एक बड़े विस्फोट के जवाब में यूक्रेन के अनेक शहरों को निशाना बनाकर मिसाइल हमले शुरू किए। जिसके बाद दोनों के बीच टकराव बढ़ गया है। विस्फोट के लिए रूस ने यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया।
राजनाथ सिंह ने की थी रूसी रक्षा मंत्री से चर्चा
यूक्रेन और रूस युद्ध के हमलों की शुरुआत के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार चचा्र कर चुके हैं। मोदी ने जेलेंस्की के साथ चार अक्टूबर को फोन पर हुई बातचीत में कहा था कि कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता और भारत शांति के किसी भी प्रयास में योगदान देने को तैयार है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से चर्चा के दोरान कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से निकाला जाना चाहिए।र किसी भी पक्ष को परमाणु विकल्प पर विचार नहीं करना चाहिए।
फ्रांस ने किया था अनुरोध
रूस यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सुलह के काफी प्रयास किए थे। मैक्रों ने उस समय युद्ध की शुरुआत से एक हफ्ते पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन मॉस्को में मुलाकात भी की थी। इसी दौरान मैक्रों ने पश्चिमी देशों के सामने प्रस्ताव रखा था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी से शांति वार्ता का नेतृत्व और मेजबानी का अनुरोध किया जाए।
पश्चिमी देश तेल को लेकर चिंतित
फरवरी में रूस यूक्रेन के बीच शुरु हुए युद्ध के कारण पश्चिमी देशों को तेल आयात को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा यूक्रेन में आठ महीने से ज्यादा समय जारी युद्ध का वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इससे कच्चे तेल की कीमत अचानक से बढ़ गईें। अब विदेश मंत्री के एस जयशंकर के मॉस्को दौरे पर दुनिया की नजरें टिकी हुई है।