सुप्रीम कोर्ट ने 2014 की कर्मचारी पेंशन योजना को वैध करार दिया है। हालांकि अदालत ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए रखी गई 15 हजार रुपये मासिक वेतन यानी मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर की शर्त को रद्द कर दिया है। संशोधन से पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन साढे़ 6 हजार रुपये महीना था। जो कर्मचारी पहले पेंशन योजना में शामिल नहीं हुए। उन्हें इस योजना में 6 महीने के भीतर शामिल होने का मौका भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया छह महीने का समय
सीजेआई जस्टिस यूयू ललितए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है। उन्हें छह महीने के भीतर ऐसा करना होगा। बता दें कि विवाद मुख्य रूप से ईपीएस 1995 के अनुच्छेद 11 में किए गए विवादास्पद संशोधनों से संबंधित है। संशोधन पेश किए जाने से पहले प्रत्येक कर्मचारी जो 16 नवंबर 1995 को कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 का सदस्य बना था। ईपीएस का लाभ उठा सकता था। ईपीएस 1995 के पूर्व संशोधित संस्करण में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन सीमा साढे़ 6 हजार रुपये थी। हालांकि जिन सदस्यों का वेतन इस सीमा से अधिक है। वे अपने नियोक्ताओं के साथ साथ अपने वास्तविक वेतन का 8.33 % योगदान करने का विकल्प चुन सकते हैं।
बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया
2014 में ईपीएस में संशोधन किया गया। जिसमें साढे़ 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिया था। पैराग्राफ 11- 4 में कहा गया है कि केवल वही कर्मचारी जो 1 सितंबर 2014 को मौजूदा ईपीएस सदस्य थे। अपने वास्तविक वेतन के अनुसार पेंशन फंड में योगदान करना जारी रख सकते हैं। उन्हें नई पेंशन व्यवस्था चुनने के लिए छह महीने का समय दिया गया था। इसके अलावा उन सदस्यों के लिए एक अतिरिक्त दायित्व बनाया जिनका वेतन 15 हजार रुपये की सीमा से अधिक था। उन्हें वेतन का 1.16 % की दर से योगदान करना था।
कौन पात्र किसे मिलेगा लाभ
कर्मचारी पेंशन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों को पूरा करना होता है। कर्मचारी ईपीएफओ का सदस्य होना चाहिए। कुल मिलाकर उसने कम से कम 10 साल तक नौकरी की हो और उसकी आयु 58 साल हो चुकी हो। पेंशन राशि अलग अलग मामलों में अलग अलग होती है। कोई भी सदस्य 58 वर्ष की आयु में रिटायर होकर पेंशन लेना शुरू कर सकता है। 50 साल का होने पर भी पेंशन मिल सकती है। लेकिन उसे ईपीएस से पेंशन के रूप में कम पैसे मिलेंगे। कर्मचारी दो साल यानी 60 साल की उम्र तक पेंशन को स्थगित भी कर सकता है। यदि ईपीएफओ सदस्य पूर्ण रूप से विकलांग हो जाता है और उसने पेंशन योग्य सेवा अवधि भी पूरी नहीं की है तब भी वह मासिक पेंशन का हकदार है।