भारत में ईवीएम की लड़ाई लगता है अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाली है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की भूमिका के साथ भारत सरकार की ओर से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में की मनमानी का भी आरोप विपक्ष लगाता रहा है। बता दें बीजेपी का 2014 के बाद से बढ़ता ईवीएम प्रेम और केंद्र में बहुमत की सरकार होने से विपक्ष न्यायपालिका के कमजोर होने का भी आरोप लगाता रहा है। वहीं न्यायपालिका की ओर से चुनाव आयोग की संवैधानिक शक्तियों के आगे अपने आप को वास्तविकता से अलग-थलग कर लेने से यह विवाद और बढ़ता ही गया। चुनाव आयोग और ईवीएम की निष्पक्षता को लेकर पिछले 5 साल से सुप्रीम कोर्ट में यह लड़ाई लड़ी जा रही है। यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।
- क्या निर्णायक मोड़ पर पहुंचेगी ईवीएम की लड़ाई !
- चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की भूमिका पर उठे सवाल
- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मनमानी का भी लगा आरोप
- पिछले पांच साल से सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई
- चुनाव आयोग और ईवीएम की निष्पक्षता को लेकर लड़ाई जारी
- क्या अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचने वाली है यह लड़ाई
- ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’ की तरह हो गई—राहुल गांधी
- जिसकी जांच करने की अनुमति किसी को भी नहीं मिलती
इस बीच दुनिया के आईटी, सोशल मीडिया इंडस्ट्री की दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने ईवीएम मशीन की चिंगारी में आग लगाने का काम कर दिया है। एलन मस्क ने पोस्ट में लिखते हुए कहा ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों और एआई के माध्यम से आसानी से हैक किया जा सकता है। मस्क ने कहा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को अब खत्म कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि इवीएम को मनुष्यों या एआई के जरिए “हैक” किए जाने का खतरा बना हुआ है। मस्क ने अपनी एक्स एकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि हमें अब इवीएम को खत्म कर देना चाहिए। मनुष्यों या एआई द्वारा इसे हैक किए जाने का जोखिम है। हालांकि यह छोटा जोखिम है फिर भी बहुत अधिक है।
राहुल बोले संस्थाओं में जवाबदेही की कमी
एलन मस्क के बयान के बाद राहुल गांधी का भी बयान आया। उन्होंने ईवीएम मशीन को ब्लैक बॉक्स की तरह बता दिया। चुनाव आयोग जिस तरह से ईवीएम मशीन और उसके सॉफ्टवेयर से संबंधित जानकारी को छुपा रहा है। जांच करने की इजाजत चुनाव आयोग किसी को नहीं देता है। चुनाव प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रह गई है। चुनाव आयोग की भी कोई जवाब देही नहीं है।
यानी चुनाव आयोग की ओर से जो कहा जाता है वही सही मान लिया जाता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा भारत में अब ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’ की तरह हो गई है। जिसकी जांच करने की अनुमति किसी को भी नहीं मिलती। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा ऐसे में जबकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़े और गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल ने कहा जब संस्था में जवाबदेही की कमी होती है तो यह लोकतंत्र महज दिखावा बन जाता है। लोकतंत्र धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है।
आरटीआई भी नहीं लागू !
सूचना अधिकार कानून के तहत भी चुनाव आयोग मांगी हुई जानकारी नहीं देता है। चुनाव विपक्षी दल चुनाव आयोग से मिलने का समय मांग रहे थे। चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों को मिलाने का और बैठक करने का समय भी नहीं दिया। इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता भी प्रभावित हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन, सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों द्वारा किया गया। उस मामले में चुनाव आयोग ने खामोसी साध रखी थी। सत्ता पक्ष की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की गई। चुनाव लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिलें, इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की थी। लेकिन विपक्ष का कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार और जाँच एजेंसिया विपक्षी दलों को घेरने का काम करती रहीं। विपक्षी दलों को चुनाव प्रचार करने से रोकने या बाधित करने के लिए तरह-तरह के प्रयास विभिन्न स्तरों पर किए गए।