Budget 2023: इस साल देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। इसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव होना हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार के अंतिम बजट में चुनावी छाया नजर आई। संसद में अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा एलान किया है।
- केन्द्र सरकार का अंतिम बजट
- बजट पर चुनावी छाया
- 9 राज्यों में होना विस चुनाव
- 2024 में होंगे लोकसभा चुनाव
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नया टैक्स स्लैब
- 0 से 3 लाख रुपये – शून्य
- 3 से 6 लाख रुपये – 5%
- 6 से 9 लाख रुपये – 10%
- 9 से 12 लाख रुपये – 15%,
- 12 से 15 लाख रुपये-20 %
- 15 लाख से ऊपर- 30%
2023-24 के बजट भाषण संसद में वित्त मंत्री ने इंडिविजुअल टैक्सपेयर के लिए आयकर का दायरा बढ़ाने का एलान किया है। आयकर का दायरा पांच लाख से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। यानी पुराने स्ट्रक्चर में 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्सफ्री थी। इसके बाद 2.5 लाख से पांच लाख के इनकम पर 5 फीसदी का टैक्स लगता था। लेकिन सरकार की ओर से साढ़े 12 हजार रुपये का रिबेट मिलने से यह भी शून्य हो जाता था। इसका मतलब ये हुआ है कि पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में पांच लाख रुपये की आमदनी पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन आयकर नियम साफ कहता है कि 5 लाख रुपये की कमाई पर टैक्स 12,500 रुपये यानी 2.5 लाख का 5% बनता है। आयकर सेक्शन 87ए के तहत 12,500 रुपये के मिलने वाल रिबेट आपको कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा। 5 लाख वाले स्लैब में शून्य टैक्स का भुगतान करना होता था।
आपको किसी वित्तवर्ष में कितना इनकम टैक्स भरना है, इसकी गणना करने के लिए ये पता होना चाहिए कि आप किस इनकम टैक्स स्लैब के अंतर्गत आते हैं। आयकर की गणना इस बात पर भी पर भी निर्भर करेगी कि आप उस वित्तवर्ष के लिए कौन सा इनकम टैक्स रिजीम चुनते हैं। आपको इसके लिए पुराने और नए दोनों इनकम टैक्स में तुलना करनी होगी। इनकम टैक्स स्लैब और आपके इनकम पर कितना टैक्स लगेगा, वो जानने के लिए ये पता करना होगा कि आप टैक्सेबल इनकम क्या है। यानी कि आपको अपनी कितनी आय पर टैक्स भरना होगा।
अगर आप पुराने टैक्स रेजीम को चुनते हैं तो आपको ये छूट होगी कि आप टैक्स एक्जेम्प्शन या टैक्स डिडक्शन क्लेम कर पाए। इसके तहत आपको मकान किराया, अवकाश यात्रा भत्ता छूट, मानक कटौती जैसी चीजों पर टैक्स छूट मिलती है। साथ ही इस रिजीम में आप इनकम टैक्स एक्ट की धाराओं 80सी से 80यू तक टैक्स में छूट पा सकते हैं। अपनी कुल आय से टैक्स एक्जेम्प्शन और टैक्स डिडक्शन निकाल देने के बाद जो रकम बचती है, वो आपकी टैक्सेबल इनकम होगी। यानी आपको इसपर इनकम टैक्स चुकाना होगा।
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