अपराधियों को क्यों देना पड़ रहा है टिकट?

चुनाव आयोग का राजनीतिक दलों से सवाल

Election Commissions question to political parties

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। केंद्र सरकार बड़े चुनाव सुधारों को कानून का हिस्सा बनाने पर विचार कर ही है। वहीं अब चुनाव आयोग ने  राजनीतिक दलों से जो जानकारी मांगी है। उसमें अपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की जानकारी या ये कहें कि प्रत्याशियों पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी भी मांगी है।

गुजरात चुनाव में इस बार चुनाव आयोग ने कुछ नई बातों का ऐलान किया है। नामांकन के समय भरे जाने वाले फार्म में ये जानकारी प्रत्याशी को देना होगी। साथ ही राजनीतिक पार्टियों को भी ये बताया होगा कि वे ऐसे लोगों को प्रत्याशी क्यों बना रही है जिन पर आपराधिक मामले दर्ज है। राजनीतिक पार्टियों को चुनाव से पहले ये बताना होगा कि उन्होंने आपराधिक छवि के नेता को टिकट क्यों दिया।

उम्मीदवार की KYC

चुनाव आयोग उम्मीदवार का सारा लेखा जोखा आनलाइन करेगा। जिसे KYC का नाम दिया जाएगा। मतलब कि know your Candidate। उम्मीदवार के डिटेल में उसका नामांकन में भरे गए सारे डिटेल होंगे साथ ही आपराधिक प्रकरणों की जानकारी भी होगी। चुनाव आयोग उम्मीदवार के आपराधिक प्रकरण की जानकारी देने के साथ साथ पार्टी से ये सवाल भी करेगी कि आखिर क्या वजह रही ही उसने आपराधिक प्रवृति के उम्मदीवार को टिकट दिया। इसके अलावा आयोग ने कहा कि इस बार मतदाता कि किसी भी तरह की शिकायत का निराकरण 100 मिनट में किया जाएगा।

वादे कैसे पूरे होंगे ये भी बताना होगा

चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की तरफ से मुफ्त की रेवड़ियों के वादों को लेकर पहले से बहस छिड़ी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला चल रहा है। इस बीच चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को लेटर लिखा है कि सिर्फ वादों से काम नहीं चलेगा। ये भी बताना होगा कि वे पूरा कैसे होंगे। उसके लिए पैसे कहां से आएंगे। 4 अक्टूबर को लिखे गए इस पत्र के जरिए आयोग ने पार्टियों से 19 अक्टूबर तक इस पर अपनी राय देने को कहा है।

चुनाव आयोग के लेटर में क्या है?

चुनाव आयोग ने 4 अक्टूबर को सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को एक लेटर लिखा है। इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल अगर कोई चुनावी वादा करते हैं तो उन्हें साथ में यह भी बताना होगा कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो वादे को कैसे पूरा करेंगे। इस पर कितना खर्च आएगा। पैसे कहां से आएंगे। इसके लिए वे टैक्स बढ़ाएंगे या नॉन.टैक्स रेवेन्यू को बढ़ाएंगे। स्कीम के लिए अतिरिक्त कर्ज लेंगे या कोई और तरीका अपनाएंगे। चुनाव घोषणा पत्र में एक तयशुदा प्रोफॉर्मा होगा जिसमें पार्टियों के चुनावी वादें तो होंगे ही। साथ में वे कैसे पूरे होंगे। इसका भी डीटेल देना होगा। पार्टियों को बताना होगा की राज्य की वित्तीय सेहत को देखते हुए उन वादों को कैसे पूरा किया जाएगा।

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