ब्रिटेन में ऋषि युग का अंत…जानें कौन हैं कीर स्टार्मर जो होंगे ​यूके के नए पीएम…!

Election Britain Rishi Sunak new Prime Minister Keir Starmer Labor Party

ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी सत्ता में वापसी कर रही है। लेबर पार्टी को अब तक 410 सीटों पर जीत मिल चुकी है। ऋषि सुनक के नेतृत्व में कंज़र्वेटिव पार्टी अभी 118 सीट ही जीत सकी है। बता दें ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 650 सीटों में से 326 सीट का आँकड़ा हासिल करना होता है। इस तरह लेबर पार्टी को बहुमत हासिल हो चुका है।

जब भी किसी देश में कोई नई सरकार आती है तो बहुत सारी ऐसी व्यवहारिक वजह होती है जिनको बढ़ाने की कोशिश करती है। ब्रिटेन की जो अर्थव्यवस्था है वह इस समय बेहद खराब हालत में है। ऐसे में एफटीए उसके लिए एक जीवन दाहिनी बूटी साबित हो सकती है। अब कीर स्टार्मर नई जिम्मेदारी संभालेंगे तो उन्हें भी इन चुनौतियों का सामना करना होगा। बता दें पहले अमेरिका के मामले में भी देखा जा चुका है। वहां डेमोक्रेटिक की सरकार आई तो तो रिश्ते बेहतर हुए। रिपब्लिकन की सरकार थी तब उसके साथ भी रिश्ते व्यावहारिक तौर पर आगे बढ़ते रहे। यही ब्रिटेन में भी होने जा रहा है।

मां नर्स और पिता कारखाने में थे कारिगर

कीर स्टार्मर लेबर पार्टी के नेता हैं। 62 साल के कीर पैसे से वकील रहे हैं। 2020 में संसद में विपक्ष के नेता चुने गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने अपना कैंपेन बेहद सधे हुए तरीके से चलाया। 2020 में जब भी चुने गए थे उसके बाद लेबर पार्टी के भीतर भी काफी कुछ उन्होंने बदलाव किया था। बदलाव का नारा लेकर वह चुनाव में उतरे थे। 2015 से 2024 के बीच में लेबर पार्टी के सांसद रहे और 2008 से 2013 तक निदेशक सरकारी अभियान रहे। उन्हें वामपंथी वकील के रूप में भी पहचाना जाता है। कीर सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता है। वह मानव अधिकार के भी वकील रहे हैं। 1985 में लीड्स यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थी। स्टार्मर की मां नर्स का काम करती थी जबकि उनके पिता कारखाने में कारीगर थे। अब जबकि उनका प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है लेबर पार्टी ने लगभग बहुमत हासिल कर लिया है। ब्रिटेन में जाहिर सी बात है कि अब की जो वादे उन्होंने किये उसे पूरा करना होगा। वह जिस तरीके के वादे करके आए हैं जिस तरीके से उन्होंने बदलाव की बातें अपने कैंपेन के दौरान कही। उसे पर खरा उतरना होगा। खासकर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को लेकर उन्हें सख्त और बड़े कदम उठाने होंगे। हालांकि जानकार कहते हैं कि उनके लिए यह आसान नहीं होगा क्योंकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बदलना इतना आसान नहीं। उन्हें बहुत अधिक क्रांतिकारी फैसला ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए लेना होंगे। इसके बाद ही वह अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकेंगे और महंगाई और रहन-सहन का खर्च जो बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा है उसे पर काबू पाने में उनका लंबा वक्त लगेगा। कई तरह के उपाय उनको करना होंगे।

ऋषि सुनक की हार की 10 बड़ी वजह

सबसे बड़ी बात यह है कि 14 साल बाद लेबर पार्टी सत्ता में वापसी कर रही है। लेबर पार्टी के पास कंजरवेटिव पार्टी का पिछले कुछ नेताओं ने कंजरवेटिव पार्टी को ऋषि सुनक को बेगैज दिया था। ऋषि सुनक को हार का जिम्मेदार नहीं माना जा रहा है। उनके पहले जो सारे नेता आए और जिस तरह से फैसला उन्होंने लिया सबसे ज्यादा डैमेज बोरिस जॉनसन ने पहुंचा। बोरिस ने जब यूके में लॉकडाउन था लोग मर रहे थे तब कहीं ऐसे फैसले लिए जो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के खिलाफ थे। अब जबकि यह सत्ता बदली है। ऐसे में नए तरीके लेबर पार्टी सत्ता में आएगी और उसे इन सबको पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा। एफटीए का फैक्टर अभी बना हुआ है। ब्रिटेन इसे अभी उभरा नहीं है। कम से कम 5.5% परसेंट नुकसान अर्थव्यवस्था को हुआ है।

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