Elections 2023:हिन्दी भाषी राज्यों में बीजेपी की चुनावी तैयारी,मप्र को लेकर मंथन शुरु

Election 2023 Hindi speaking state BJP has started brainstorming preparations for Madhya Pradesh elections

Elections 2023: गुजरात चुनाव में बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है तो उसे दिल्ली एमसीडी और हिमाचल प्रदेश में भले हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में उसने 2023 में होने वाले 9 राज्यों के चुनावों की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। इन राज्यों में हिन्दी भाषी राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी शामिल है। मध्यप्रदेश में 7 दिसंबर 2023 को विधानसभा का कार्यकाल खत्म होगा। ऐसे में बीजेपी ने इन राज्यों के साथ ही मध्यप्रदेश की चुनावी तैयारियों पर मंथन तेज कर दिया है।

साल 2023 में मध्य भारत के दो राज्य मप्र और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिमी भारत के राजस्थान, दक्षिण भारत के तेलंगाना और पूर्वोत्तर के मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होंगे। इन राज्यों में मध्यप्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है। यहां विधानसभा की 230 सीटें हैं। इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है। जहां 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव होते हैं। तेलंगाना में 119 सीटें हैं जबकि छत्तीसगढ़ में 90 और मिजोरम में 40 विधानसभा की सीटें हैं। बता दें दिसंबर 2023 में पांच राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। जिसमें छत्तीसगढ़ में 10 दिसंबर 2023 तक विधानसभा के चुनाव कराये जायेंगे, जबकि मिजोरम में 15 दिसंबर, मध्यप्रदेश में 7 दिसंबर, राजस्थान में 20 दिसंबर और तेलंगाना में 10 दिसंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

मप्र में अभी बीजेपी के 126 विधायक

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 96 विधायक हैं। जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 126 विधायक हैं। वहीं 4 निर्दलीय विधायक हैं, जबकि दो बसपा और एक सपा का विधायक है।

2023 में 200 के पार का लक्ष्य

गुजरात में पार्टी की जबरदस्त जीत से उत्साहित मप्र में सत्तारुढ़ बीजेपी ने 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कुल 230 सीटों में से 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। पिछले दिनों कटनी में हुई कार्यसमिति की बैठक में अबकी बार 200 पार का नारा दिया था। लगभग पिछले 20 साल से मध्य प्रदेश में सत्तारुढ़ बीजेपी ने 2023 के अंत में होने वाले चुनावों में 51 प्रतिशत मत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि पार्टी ने अगले साल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी मत हासिल करने और 200 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।

गुजरात की तर्ज पर टिकट वितरण

गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने वहां कई बड़े उलटफेर किये थे। माना जा रहा है कि मप्र में भी चुनाव से पहले कई बड़े फैसले लिये जा सकते हैं। यहां सत्ता बचाए रखने के साथ बड़े अंतर से जीत को लेकर कवायद तेज कर दी गई है। मप्र में सत्ता विरोधी लहर को लेकर बीजेपी संगठन किसी प्रकार का रिस्क लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में गुजरात मॉडल मप्र में भी चुनावी तैयारी की जा रही है। गुजरात की तर्ज पर मप्र में भी बीजेपी करीब 45 से 60 मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है। बता दें मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अपने विधायकों का प्रदर्शन जांचने के लिए तीन स्तर पर सर्वे कराया है। पहले सर्वे में जिन विधायकों का प्रदर्शन खराब निकला था। उन्हें समझाइश दी गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं नवंबर माह में विधायक दल की बैठक बुलाकर साफ तौर पर सर्वे का जिक्र भी किया था। शिवराज ने कहा था कि अभी चुनाव से पहले दो और सर्वे होंगे। आचरण और व्यवहार सुधारना होगा। तभी 2023 के विधानसभा चुनावों में विधायकों के टिकट पर फैसला होगा।

बीजेपी के सर्वे ने बढ़ाई विधायकों की चिंता

बीजेपी ने इन सर्वे के आधार पर ही टिकट काटने का फैसला किया है। गुजरात मॉडल से यह सुनिश्चित हो गया है कि यह फॉर्मूला आने वाले चुनावों में भी आजमाया जाएगा। बता दें बीजेपी हर चुनाव से पहले सर्वे कराती है और यह किसी से छिपा नहीं है। इसके नतीजे टिकट काटने का आधार भी बनते हैं। कमजोर परफॉर्मंस वाले विधायकों और मंत्रियों के भी टिकट पिछली बार कटे थे। अब गुजरात में जबरदस्त सफलता मिली है तो निश्चित तौर पर बीजेपी मध्यप्रदेश में जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ ही युवाओं पर दांव खेलेगी।

भारी पड़ेगी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

कई विधायकों के बारे में सर्वे रिपोर्ट में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने और मिलने का समय न देने सहित कई तरह की शिकायतें मिली थीं। सत्ता और संगठन पिछले डेढ़ साल से इन्हें कामकाज सुधारने की सलाह दे रहा था। बार-बार उनसे कहा गया था कि कार्यकर्ता नाराज रहेंगे तो आप किसके भरोसे चुनाव लड़ोगे। इसके बावजूद विधायक अपना परफॉरमेंस नहीं सुधार पाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक जिन विधायकों के टिकट काटे जा रहे हैं। उन्हें उनके विधानसभा क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट से काफी पहले अवगत करा दिया गया था। रिपोर्ट में एक-एक वर्ग से लेकर वार्ड-मोहल्ले और गांव में विधायक के कामकाज और कार्यकर्ताओं के साथ उनके समन्वय सहित आम जनता की नजर में उनकी छवि का बिंदुवार उल्लेख किया गया है।

Exit mobile version