भूकंप के लिए संवेदनशील माने जाने वाले जबलपुर शहर में कम तीव्रता के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल आए। बताया गया कि सुबह करीब पौने 9 बजे के आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप के झटके हल्के थे और जानमाल के नुकसान या किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
एसडीआरएफ को किया अलर्ट
भूकंप के झटकों की सूचना के बाद प्रशासन भी अलर्ट हो गया। भूकंप का केंद्र जबलपुर से 35 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है। तो वहीं रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.3 मापी गई। बताया गया कि जबलपुर के डिंडोरी में भी सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, बालाघाट, अनूपपुर, उमरिया में एसडीआरएफ को अलर्ट कर दिया गया है।
पनागर के अस्पताल में मरीजों में भय
पनागर में अस्पताल के फस्ट प्लोर में मरीजों के परिजनों ने भी भूकंप का अहसास किया। बताया जा रहा है कि भूकंप का एहसास करीब पांच सेकंड हुआ है। जिससे लोग भयभीत हो गए। पाटन और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी लोगों ने कंपन एहसास होने की बात कही है।
जून में भी डोली थी धरती
जबलपुर में इसी साल जून में भी कम तीव्रता वाले झटके महसूस किए गए थे।। तब लोगों को भूकंप केबारे में नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी की ओर से किये गये ट्वीट से जानकारी मिली थी। उस समय 10 किमी गहराई और 80.36 किलोमीटर लंबाई मापी गई थी। ट्वीट में भूकंप एप का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए भूकंप की तीव्रता 3.4 मैग्नीटयूड दर्ज होना बताया गया था। नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के अनुसार 21 जून को जबलपुर में 1 बजकर 23 मिनट 15 सेकेण्ड पर भू हलचल हुई थी। कम अवधि और कम तीव्रता होने के कारण स्थानीय लोगों को भूकंप के झटकों का अहसास नहीं हो पाया। विभागीय ट्वीट जब सोशल मीडिया में शेयर हुआ। तब लोगों को भूकंप की जानकारी लगी।
भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है जबलपुर
बता दे कि भूकंप के लिहाज से जबलपुर और उसके आसपास का इलाका संवेदनशील है। यहां 1997 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद जबलपुर को भूकंप के जोन 3 में रखा गया है। 22 मई 1997 को जब 6.2 रिक्टर तीव्रता का भूकंप आया था। तब शहर और आसपास के इलाकों में जमकर तबाही मची थी। उस समय भूकंप की वजह से 41 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे। इतना ही नहीं निजी सरकारी भवन बड़ी तादात में क्षतिग्रस्त भी हुए थे।
देश के 38 शहरों में शामिल जबलपुर
आपदा प्रबंधन की सूची में जबलपुर देश के 38 और प्रदेश के 16 अति संवेदनशील शहरों में शामिल है। भू वैज्ञानिकों की माने तो यहां भूकंप आने की आशंका दूसरी शहरों की अपेक्षा कहीं ज्यादा रहती हैं।
भूकंप की वजह है चूने की चट्टान
वैज्ञानिकों की माने तो दरअसल उमरिया, जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, मंडला, दमोह में चूने की चट्टाने हैं। जहां बारिश का पानी जमीन के अंदर जमा होने पर तो गैस बाहर निकलती है। जमीन के भीतर जो गैप बनता है। उसे भरने के लिए जमीन में हल्की हलचल होती है। हालांकि भूकंप के जो भी झटके आने की संभावना है वो कम तीव्रता के होंगे। 2021 में सिवनी और छिंदवाड़ा में आठ से दस बार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे।