हैदराबाद: बुधवार रात को पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब पहुंच जाएगी। ये बात प्लैनेटरी सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीएसआई) ने बताई।
पीएसआई के निदेशक एन श्री रघुनंदन कुमार ने कहा कि पृथ्वी अपनी वार्षिक कक्षा में सूर्य से 14 करोड़ 70 लाख 98 हजार 928 किलोमीटर की दूरी पर बुधवार रात 9 बजकर 44 मिनट पर पहुंच जाएगी।
कुमार ने कहा कि पृथ्वी एक अण्डाकार पथ में सूर्य की परिक्रमा करती है- इसका अर्थ है कि पृथ्वी अपनी कक्षा के दौरान सूर्य से समान दूरी पर नहीं रहती है।
पृथ्वी सर्दियों में सूर्य के सबसे करीब होती है और तेज गर्मी में सबसे दूर।
अपहेलियन और पेरीहेलियन बिंदु से तय होती है दूरी
अपहेलियन पृथ्वी की कक्षा का वह बिंदु है जो सूर्य से सबसे दूर है। पेरिहेलियन पृथ्वी की कक्षा का वह बिंदु है जो सूर्य के सबसे निकट है। 4 जनवरी को पेरिहेलियन की खगोलीय घटना के कारण पृथ्वी अपनी कक्षा में 7 जुलाई, 2023 की तुलना में सूर्य के 49 लाख 94 हजार 325 किमी करीब होगी।
पृथ्वी पर ऋतुएँ इसलिए होती हैं क्योंकि पृथ्वी की धुरी एक कोण पर झुकी हुई है। ऐसा इसलिए है,पृथ्वी एक झुकाव पर सूर्य की परिक्रमा करती है कि हमारे ग्रह को वर्ष के अलग-अलग समय में सूर्य की सीधी किरणें कम या ज्यादा मिलती हैं।
मंगल पर भी होती हैं ऋतुएं
प्लैनेटरी सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीएसआई)के मुताबिक मंगल गृह पर भी ऋतुऐं होती हैं। मंगल गृह की कक्षा पृथ्वी से ज्यादा अंडाकार है। इसलिए मंगल ग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने में दो पृथ्वी वर्ष लगते हैं। मंगल ग्रह पर एक ऋतु पृथ्वी से दुगनी अवधि की होती है। यही कारण है मंगल पर ठंड से बसंत और गरमी ऋतु आते आते लंबा वक्त लग जाता है।