भोपाल में ड्रग्स फैक्ट्री खुलासा, जानें किसके संरक्षण में बन रहा था मौत का सामान

भोपाल में ड्रग्स फैक्ट्री खुलासा, जानें किसके संरक्षण में बन रहा था मौत का सामान

राजधानी भोपाल में पकड़ी गई ड्रग्स की फैक्ट्री में कई बड़े खुलासे अब हो रहे हैं।
यहां से 1814 करोड़ की एमडी ड्रग जब्त की गई है अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में कई बड़े चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं राजधानी भोपाल से यह MD ड्रग्स देश के दूसरे कई राज्यों में सप्लाई की जाती थी।

और राजधानी भोपाल की पुलिस बेखबर थी उसकी
नाक के नीचे नशे का जखीरा चल रहा था। गुजरात एटीएस और एनसीबी दिल्ली ने फैक्ट्री से 907.09 किलो एमडी ड्रग्स को बरामद किया है। ठोस और तरल फॉर्म में जब्त की गई ड्रग्स की कीमत 1814 करोड़ 18 लाख बताई जा रही है। जाँच टीम ने नशे के दोनों सौदागरों को भी गिरफ्तार किया है। ड्रग सप्लायरों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे ने हैरान
कर दिया है।

फैक्ट्री में हर दिन करीब 25 किलो ड्रग्स तैयार की जाती थी ।
भोपाल पुलिस की नाक के नीचे नशे का यह जखीरा चल रहा था। बताया जाता है कि यहां पर साबुन बनाने के नाम पर भोपाल स्थित कोटरा में रहने वाले अमित चतुर्वेेदी ने बगरोदा इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री किराये पर ली थी। लकिन बाद में महाराष्ट्र नासिक के सान्याल बाने के साथ मिलकर एमडी ड्रग्स बनाने लगा।

गुजरात एटीएस और एनसीबी दिल्ली ने फैक्ट्री जब छापा मारा तो अधिकारियों की टीम हैरान रह गई। यहां से 907.09 किलो एमडी मेफेड्रोन ड्रग्स को बरामद किया है। इस फैक्ट्री में तैयार ड्रग्स के मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सप्लायर हरीश आंजना को मंदसौर जिले में स्थित मालिया खेर खेड़ा से दबोचा। फैक्ट्री से ड्रग्स बनाने मैं उपयोग आने वाली करीब 5000 किलो सामग्री के साथ उपकरण जब्त किए हैं। रविवार काकी गई इस कार्रवाई के दूसरे दिन आज सोमवार को भी जांच टीम भोपाल में मौजूद है और की जांच अभी जारी है। दावा किया जा रहा है कि इस मामले में अभी कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

2500 वर्गफीट के शेड में बनी यह फैक्ट्री पिछले 6 माह से चल रही थी। बताया जाता है कि ड्रग्स पर एमपी में अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले साल2021 में इंदौर से 70 करोड़ की एमडी ड्रग्स ज़ब्त की थी । इस पूरी कार्रवाई ने एमपी खासकर भोपाल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

हर दिन बनती थी 25 किलो ड्रग्स दूसरे राज्यों में ड्रग्स सप्लाई
इस फैक्ट्री को लेकर एकेवीएन भूमिका स्पष्ट नहीं है। एकेवीएन की ओर से 2018 में एमएस वास्तुकार नाम से 908 वर्गमीटर का प्लॉट जयदीप सिंह को दिया गया था। जिसने 3 साल पहले इसे फैक्ट्री को एसके सिंह को बेच दिया था। 6 माह पहले यह फैक्ट्री अवैध रूप से अमित चतुर्वेदी को किराए पर दे दी गई।

अमित ने साबुन बनाने के नाम पर फैक्ट्री लीज ली थी। इसके बाद अमित ने नासिक के सान्याल के साथ मिलकर फैक्ट्री में रोज 25 किलो एमडी ड्रग्स बनाना शुरू कर दिया। यहां से ड्रग्स दूसरे राज्यों में सप्लाई जाती थी। हालांकि लोगों को देखने पर बाहर से फैक्ट्री बंद दिखती थी। लेकिन फैक्ट्री के अंदर नशा तैयार होता था। प्लॉट म मालिक ने विभाग से छिपाया एकेवीएन से प्लॉट जयदीप सिंह 1 ने लिया था और खरीदकर किराए पर देने वले एसके सिंह पर अब केस दर्ज किया है। एकेवीएन ने बताया कि जयदीप ने विभाग को फैक्ट्री किराए पर देने की सूचना नहीं दी।

भोपाल पुलिस की बात करें तो पुलिस
खुफिया तंत्र नाकाम नजर आया । बता दें गुजरात में एक आरोपी के पकड़े जाने पर भोपाल की इस फैक्ट्री का राज खुला था अगर ऐसा नहीं होता तो यहां भोपाल में नशे का सामान रोकथाम बनता रहता और पुलिस को शायद आगे भी पता नहीं चलता। बता दे की गुजरात पुलिस ने कुछ दिन पहले अगस्त में सूरत में ड्रग्स रैकेट भंडाफोड़ किया था पकड़े गए तस्करों से पूछताछ में भोपाल सहित देश भर में 4 फैक्ट्रियों में एमडी ड्रग्स बनाने की खबर मिली थी । इसके बाद से गुजरात एटीएस व एनसीबी दिल्ली की टीम मैं भोपाल को अपने रडार पर ले लिया रखा था और आखिरकार शनिवार को भोपाल पहुंची जहां पर गोपनीय तरीके से कार्रवाई की।

सवाल जिनके जवाब तलाश रही जांच एजेंसी
आखिरकार एमडी ड्रग भोपाल से कहां-कहां सप्लाई की जा रही थी? एमडी ड्रग्स के खरीदारों में किस-किस के नाम शामिल है। ड्रग्स खरीदी की राशि का लेन-देन किस तरह किया जा रहा था ? इतने बड़े कारोबार के संचालन में आखिर संरक्षण किसका था ?

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