ड्रैगन ने किया पाकिस्तानी आतंकी का सपोर्ट

शाहिद महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का विरोध

ड्रैगन ने किया पाकिस्तानी आतंकी का सपोर्ट

शाहिद महमूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का विरोध

दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। कम से कम तब तक तो होता ही है, जब तक दुश्मन दुश्मन है।  चीन कुछ इसी अंदाज में आतंक के खिलाफ कदम बढ़ा रहा है। भारत में आतंकी घटनाओं के पीछे हमेशा पाकिस्तान का हाथ रहा है। भारत से आजाद होने के बाद से ही पाकिस्तान भारत का सबसे बड़ा दुश्मन साबित हो रहा है। ऐसे में पाकिस्तान और चीन की दोस्त भारत के लिए परेशानी का सबब बन रही है। चीन अक्सर पाकिस्तान के आतंक का समर्थन करता रहा है। हाल ही में लश्कर ए तैयबा के आतंकी शाहिद महमूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट की लिस्ट में शामिल करने पर चीन ने अड़ंगा लगाया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएन में भारत और अमेरिका इसके लिए प्रस्ताव लाए थे। यह चौथी बार है जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकियों का सपोर्ट किया है। इससे पहले भी चीन ने जैश ए मोहम्मद के कमांडर अब्दुल रउफ, आतंकी अब्दुल रहमान मक्की और जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव का विरोध किया था। वहीं अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के मुताबिक आतंकी महमूद लश्कर ए तैयबा का नेता है। पाकिस्तान के कराची से ऑपरेट होने वाले इस आतंकी संगठन से महमूद साल 2007 में जुड़ा था। जून 2015 से जून 2016 तक महमूद लश्कर-ए-तैयबा को फंड देने वाले संगठन फलाह-इंसानियत का वॉइस चेयरमैन भी रह चुका है। 2014 में वो एफआईएफ का लीडर था। अगस्त 2013 में महमूद को एलईटी के पब्लिकेशन विंग मेंबर के तौर पर पहचान की थी

क्या होता है वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद

छरअसल किसी भी शख्स को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला यूएन  की सुरक्षा परिषद लेती है। सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्य है। जिसमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन है। जबकि 10 अस्थाई सदस्य हैं। सभी स्थायी सदस्यों की सहमति के बाद ही किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा सकता है। इस लिस्ट में नाम आने के बाद मुख्य तौर पर तीन तरह की कार्रवाई की जाती है। जिस व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है। उसकी संपत्ति को जब्त करने का अधिकार सरकार को मिल जाता है। जिस भी देश में ऐसे व्यक्ति की संपत्ति होगी। उसे जब्त कर लिया जाएगा। ऐसा होने पर संबंधित व्यक्ति को किसी भी तरह की फाइनेंशियल मदद मिलने पर भी रोक लगाई जाती है।

पुराना है चीन का पाक प्रेम

चीन पहले भी कई मौके पर पाकिस्तान का साथ दे चुका है। जून में पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में शामिल करने पर चीन ने अड़ंगा लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया है। उन्होंने शनिवार को कहा उन्हें लगता है कि शायद दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है पाकिस्तान। उनके पास बिना किसी निगरानी के परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के पास 160 परमाणु बम होने का अनुमान है। बाइडेन चीन और रूस के संबंध में अमेरिकी विदेश नीति के बारे में चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा जिनपिंग एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिसे लगता है कि उनके पास बहुत सारी समस्याएं हैं। अमेरिका इसे कैसे संभालता है। रूस में जो हो रहा है। उससे हम कैसे निपटेंगे। उन्हें लगता है कि शायद दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक पाकिस्तान है।

फिर भी अमेरिका बना पाकिस्तान का मददगार

इस सब के बाद भी अमेरिका लगातार पाकिस्तान का मददगार बनता रहा है। अमेरिका ने पिछले माह 8 सितंबर को पाकिस्तान को एफ 16 फाइटर जेट के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,581 करोड़ देने की मंजूरी दी थी। ये पिछले चार साल में पाकिस्तान को दी जाने वाली सबसे बड़ी सुरक्षा सहायता थी। वहीं अमेरिकी राश्ट्र्पति बाइडेन का पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश बताने वाला बयान सामने आया है।

परमाणु हथियार और पाक की नीति

पाकिस्तान की नो फर्स्ट यूज परमाणु नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के हाई कमान पर निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है। 1999 में पाक विदेश मंत्री ने नो फर्स्ट यूज वाली परमाणु पॉलिसी को नकारते हुए कहा था। हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं। वहीं भारत ने साल 1999 में अपनी नो फर्स्ट यूज  की परमाणु नीति घोषित की थी। इसके मुताबिक भारत कभी भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। भारत केवल परमाणु हमला होने की स्थिति में ही अपने परमाणु हथियारों का सहारा लेगा। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका और पाकिस्तान रिलेशन्स पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था अमेरिका और पाकिस्तान के जो रिश्ते हैं। उनसे न ही कभी पाकिस्तान को फायदा हुआ है और न ही अमेरिका को। अब यूएस को इस बात पर चिंतन करना चाहिए की उसे पाकिस्तान के साथ संबंध बरकरार रखने से क्या फायदा मिल रहा है। दोनों देशों के रिश्ते आने वाले समय में कितने मजबूत और फायदेमंद हो सकते हैं। इस पर विचार करना चाहिए।

भारत से ज्यादा पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार

स्वीडन के थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट पर भरेसा करें तो भारत से अधिक परमाणु हथियार चीन और पाकिस्तान के पास हैं। आज के हालात में चीन के पास 320 और पाकिस्तान के पास 160 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 150 परमाणु हथियार हैं।

रुस के पास हैं सबसे ज्यादा न्यूक्लियर बम

दुनिया में इस समय सर्वाधिक परमाणु हथियार रूस और अमेरिका के ही पास हैं। इनके पास ऐसे परमाणु बम भी हैं। ये बम पूरे के पूरे शहर का नामो निशान तक मिटाने की क्षमता रखते हैं।

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