मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम भर्ती घोटाले के विसिल ब्लोअर रहे डॉक्टर आनंद राय अब चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। दरअसल सीएम शिवराज के खिलाफ गलत सूचना फैलाने के आरोप में राज्य स्वास्थ्य सेवा से सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। ऐसे में डॉ. आनंद राय ने तंज कसते हुए कहा व्यापम घोटाले और जैसे अन्य भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने के लिए सरकार ने एक तरह से उन्हें सम्मानित किया है। अब आदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए काम कर रहे थे लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार उनके काम को पचा नहीं पा रही थी। अब वे चुनाव लड़ेंगे।
- विधानसभा चुनाव की तैयारी में डॉ.आनंद राय
- व्यापम भर्ती घोटाले के विसिल ब्लोअर हैं डॉ.आनंद राय
- सरकार ने सोमवार को जारी कि बर्खास्त करने का आदेश
- इंदौर के हुकुमचंद सरकारी अस्पताल में पदस्थ थे डॉ.आनंद राय
- बर्खास्तगी का आदेश जारी होने के बाद किया चुनाव का ऐलान
वहीं कांग्रेस का कहना है भाजपा गंदी सियासत कर रही है। यह दुखद है कि भारतीय लोकतंत्र को अब भाजपा कुचल रही है। एक आदमी जिसने सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया। उसे ही सेवा से बर्खास्त कर चुकी है।
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले के विसिल ब्लोअर डॉक्टर आनंद राय को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ गलत सूचना फैलाने के आरोप में सोमवार को राज्य स्वास्थ्य सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
बता दें डॉ.आनंद राय इंदौर के हुकुमचंद सरकारी अस्पताल में पदस्थ थे। जहां ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के चलते उन्हें पिछले मार्च 2022 में निलंबित किया गया था। साथ ही पांच पन्नों के पत्र में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद राय को 8 आरोपों का दोषी पाया गया है।
हालांकि डॉ आनंद राय ने अपने पर लगे सभी आरोपों के संबंध में 13 मई 2022 को जवाब पेश किया था। लेकिन स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की ओर से की गई जांच में डॉ.राय के जवाब को संतोषजनक नहीं माना गया। जिसके चलते स्वास्थ्य सेवा संचालनालय के आदेश 5 जून 2022 और उसके संशोधित आदेश 25 बगस्त 2022 को जारी किया गया था। वहीं विभागीय जांच में डॉ.राय दोषी पाए गए थे। इस बीच स्वास्थ्य विभाग के आदेश में कहा है कि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉक्टर जीएल सोढ़ी ने जांचकर्ता और सीएमएचओ के रूप में उन्होंने दोषी अधिकारी डॉक्टर आनंद राय के खिलाफ चल रही विभागीय जांच में कार्यवाही पूरी कर दिसंबर 2022 में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
विभागीय आदेश में कहा है कि जांच अधिकारी से मिली समग्र जांच प्रतिवेदन और रिपोर्ट को निदेशालय की ओर से दोषी अधिकारी डॉक्टर आनंद राय को उपलब्ध कराया गया था। निर्धारित समय अवधि के भीतर उनका बचाव जवाब मांगा गया था। जो प्राप्त नहीं हुआ।।
वहीं मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण और अपील नियमावली 1966 के नियम दस के प्रावधानों के तहत उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का अंतिम प्रशासनिक निर्णय और मामला मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को सहमति के लिए भेजा था।
स्वास्थ्य विभाग की अवर सचिव सीमा डेहरिया द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि आयोग से सहमति मिलने के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। बताया जाता है विभागीय जांच हुई तो डॉक्टर आनंद राय पर सोशल मीडिया पर डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज, कानून, मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों को लेकर असत्य और मनगढ़ंत संदेश पोस्ट करने के साथ ही 2 आपराधिक मामलों और कर्तव्य में लापरवाही का आरोप साबित हुआ था। जिसके आधार पर डॉक्टर राय को बर्खास्त किया गया है।