बीते 36 दिनों से तमाम राज्यों की पुलिस और जांच एजेंसियों की नाक में दम करने वाला कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह अंतत: गिरफ्तार हो गया है। पुलिस और एजेंसियों ने उसकी गिरफ्तारी से राहत की सांस ली है। हालांकि अमृतपाल ने जिस अंदाज में गिरफ्तारी दी है उससे कई तरह के सवाल भी खड़े हो गए हैं।
. भिंडरावाले की जन्म स्थली से हुई गिरफ्तारी
. पुलिस और जांच एजेंसियों की खुली पोल
. भिंडरावाले को रोल मॉडल मानता है अमृतपाल
. गिरफ्तारी को लेकर उठ रहे सवाल
. रोडे गांव से संभाली थी वारिस पंजाब दे की कमान
मोगा पुलिस ने जिस रोडे गांव से अमृतपाल को गिरफ्तार किया है उस गांव को लोग अभी भूले नहीं हैं। ये वही गांव है जहां खालिस्तान के कटटर समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म हुआ था। इसी गांव में जरनैल सिंह की शिक्षा हुई और बचपन बीता। इसलिए ये सवाल उठने लगा है कि आखिर रोडे गांव के गुरुद्वारे से अमृतपाल की गिरफ्तारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। जरनैल सिंह आज भी अमृतपाल का रोल मॉडल है और उसी की तर्ज पर अपने कामों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। संभवत: यही कारण रहा होगा कि उसने भिंडरावाले के गांव से गिरफ्तार होना मुनासिव समझा।
भिंडरावाले की याद में बना है गुरुद्वारा
रोडेवाला गांव में जो गुरुद्वारा बना है वो भिंडरावाले की याद में बनाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहीं से पिछले साल अमृृतपाल ने ‘दस्तारबंदी’ के साथ वारिस पंजाब दे का नेतृत्व संभाला था। यहीं से बीते साल सिंतबर 22 में अमृतपाल ने घोषणा की थी कि भले ही देश आजाद हो गया है लेकिन सिख आज भी गुलाम है। इसके बाद से इस जगह पर अमृतपाल का बार बार आना जाना लगा रहा।
भगोड़े शब्द से नफरत करता है अमृतपाल
अमृतपाल की गिरफ्तारी के पीछे के कई कारण हैं। एक तो उसे भगोड़ा कहलाना पसंद नहीं था और सोशल मीडिया पर लगातार उसका मजाक उड़ाया जा रहा था। यही मजाक उसे चुभता रहा। दूसरा कारण उसकी पत्नी हो सकती है। जिसे पुलिस ने लंदन जाने से रोका और पूछतांछ की। इस मामले में राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार पर विरोधियों ने महिला का अपमान करने आरोप भी लगाए थे।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों की नाकामी
अलगाववादी खालिस्तानी आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव से खुद ही अमृतपाल ने गिरफ्तारी दी है। इसके पहले उसने वहां सभा की और लंबा चौड़ा भाषण दिया लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी से राहत की सांस तो ले ली है लेकिन नाकामी का धब्बा नहीं मिटा पाई है। अब पुलिस पंजाब में लॉ इन आर्डर की स्थिति कायम रखने में खुद को सफल मान रही है।