दिपावली, धनतेरस ओर गोवर्धन पर्व के बाद भाई दूज के त्यौहार का विशेष महत्व है. यह त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई का तिलक करती है और उनकी लंबी उम्र की कामना करती है. भाई दूज का यह त्यौहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार का प्रतिक होता है.शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि दिवाली की भाई दूज के दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है, जिसका फल भाई को अवश्य मिलता है. इन दिन भाई अपनी बहन के घर पर भोजन करते है. इसका भी विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन बहनों को अपने भाई के लिए चावल से बनी चीजे खिलाना चाहिए. यदि किसी भाई की बहन ना हो तो वह गाय को भोजन कराकर और उसके पास बैठकर भोजन करना काफी लाभदायक माना जाता है.
Bhai Dooj शुभ मुहूर्त
दिवाली के दो दिन के पर्व भाई दूज का शुभ मुहूर्त प्रातः 8ः10 से सुबह 9 बजकर 33 मिनट तक, इसके बाद दोपहर में 12 बजकर 19 मिनट से शाम 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.
भाईदूज पौराणिक कथा
शास्त्रों और कथाओं के अनुसार जब यमुना ने अपने भाई यमराज को काई बार अपने घर मिलने के लिए बुलाया था. लेकिन यमराज अपनी बहर के घर नहीं गए. लेकिन कई दिनों बाद जब यमराज अपनी बहन से मिलने पहुंचे, तो बहन यमुना की खुशी का ठीकाना नहीं रहा. बहन यमुना ने अपने भाई का आदर सत्कार किया, उन्हें पकवान बनाकर खिलाए. इसके बदले में यमराज ने अपनी बहन को बरदान मांगने को कहा तो बहन यमुना ने कहा की मुझे कुछ नहीं चाहिए. आप तो केवल हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को घर पर आया करें. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए. जिसकें बाद यमराज ने अपनी बहन ही इच्छा पूरी करने का वचन दिया. उसी दिन से यह त्यौहार मनाया जाने लगा.