हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या तिथि पर ही देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुईं थीं और दिवाली की रात को पृथ्वी भ्रमण पर निकली थीं। दिवाली की शाम को प्रदोष काल के समय लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। इस आर्टिकल में जानें दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व, पूजा विधि और श्रेष्ठ मुहूर्त।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर अपनी कृपा बरसाती हैं। मान्याताओं के मुताबिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे धरती पर आती हैं। जिन घरों में शुद्धि, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा होती है वहां मां लक्ष्मी निवास करती हैं।
सर्वश्रेष्ठ है प्रदोष काल
कार्तिक अमावस्या तिथि पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहा जाता है। ये समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है।
गणेश-लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
- प्रदोष व्रत पूजा – 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 22 मिनट तक
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 24 अक्टूबर शाम 6 बजकर 53 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त – 24 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक
- अमृत काल मुहूर्त – 24 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 40 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
- विजय मुहूर्त – 24 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से 2 बजकर 21 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त – 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 12 मिनट से 5 बजकर 36 मिनट तक
मां लक्ष्मी पूजा विधि
- दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ भगवान गणेश, देवी सरस्वती, कुबेर और हनुमान जी की भी विशेष पूजा की जाती है।
- दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह उठकर एक बार फिर से घर के हर कोनों की साफ-सफाई करें।
- स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर को अच्छे तरीके से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
- घर के मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार से सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का निशान बना दें।
- शाम होते ही पूजा की तैयारी में लग जाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल का छिड़काव करते हुए देवी लक्ष्मी,भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ मां सरस्वती और कुबेर देवता की प्रतिमा स्थापित करें।
- सभी तरह के पूजन सामग्री को एकत्रित कर चौकी के पास जल से भर कलश रख दें।
- शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा आरंभ कर दें। विधि-विधान और परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन करें।
- महालक्ष्मी की पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और पुस्तकों की पूजा करें।
- अंत में माता लक्ष्मी की आरती करके घर के सभी हिस्सों में घी और तेल दिए जलाएं।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं व कैलेंडर पर आधारित हैं।