महालक्ष्मी योग में मनाई जा रही दीपावली, 500 साल बाद आया यह संयोग

इस बार महालक्ष्मी योग में दीपावली मनाई जा रही है। ज्योतिषियों की माने तो ऐसा संयोग 500 साल के बाद आया है। दीपावली के शुभ अवसर पर आज घर-घर में महालक्ष्मी पूजन की तैयारी में लोग जुटे हैं । हालांकि दीपोत्सव की तैयारी में लोग धनतेरस से ही लग गए थे । शहर ही नहीं गांव और कस्बे भी रोशनी से जगमग हैं। आज 31 अक्टूबर गुरुवार को अमावस्या शाम 4 बजे के बाद शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम तक रहेगी। इस कारण देश में ज्यादातर जगह आज 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जा रही है।

दीवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

गुरुवार 31 अक्तूबर 2024

लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त – 06:45 से 08:30 तक

मुहूर्त की अवधि – 01 घण्टे 45 मिनट

प्रदोष काल – 05:48 से 08:21

वृषभ काल – 06:35 से 08:33

सबसे शुभ मुहूर्त शाम 6:52 से 8:41 निशिथ काल पूजा- रात्रि 11: 39 से 12: 31 तक है।

सिंह लग्र – रात 1.15 से 3.27 तक

अमावस्या तिथि – इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि आज 31 अक्तूबर को दोपहर 3: 22 मिनट से शुरू हो रही है। जो 01 नवंबर को सायं 5 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। माता लक्ष्मी अमावस्या तिथि में प्रदोष काल और निशिथ काल में भ्रमण करती हैं। इसके कारण माता की पूजा प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान माना गया है। पंचांग के अनुसार आज 31 अक्तूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मूहूर्त काल भी है। ऐसे में धर्म शास्त्रों के अनुसार आज 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई है।क्योंकि दीवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम माना जाता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।

ज्योतिषियों के अनुसार है मां लक्ष्मी की पूजा स्थिर लग्न में करना बेहद शुभ माना जाता हैं। वहीं स्थिर लग्न में की गई पूजा से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और स्थिर होकर हमारे घर और कार्यस्थल में निवास करती हैं। गृह और कार्यक्षेत्रस्थल में स्थिर यानी अपने आसन पर विराजमान लक्ष्मी मां की प्रतिमा का पूजन करें।

माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए लक्ष्मी मंत्र का जप भी किया जाना चाहिए। इसके साथ ही श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र या शिव ताण्डव स्तोत्र का भी पाठ किया जा सकता है।

इस मंत्र का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

अर्थात जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मी, वैभव और ऐश्वर्य के रूप में स्थित हैं। उनको हम नमस्कार (शारीरिक), नमस्कार (मौखिक), नमस्कार (मानसिक) बार – बार नमस्कार करते हैं।

लक्ष्मी पूजा की सामग्री

दीपावली पर होने वाली मां महालक्ष्मी पूजा के लिए ज्योतिषियों के अनुसार विशेष सामग्री का उपयोग किया जाता है। जिसमें सबसे पहले लक्ष्मी का पाना और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा रखी जाती है। सामग्री में पूजा की चौकी या पता पत्ते, लाल या पीला कपड़ा, कलश, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दूर्वा, फूल माला, कमल के फूल, मौली -कलवा, खील- बताशे, पंचामृत, सबूत सुपारी, लौंग- इलायची, साबुत धनिया, हल्दी की गांठ, पीसी हल्दी, अक्षत- रोली, कुमकुम, अबीर- गुलाल, केसर, चंदन, सिंदूर, तेल, और शुद्ध घी, आरती के लिए दीपक, एक अखंड दीप, रुई की बत्ती, कपूर, धूप, इत्र को शामिल किया जाता है।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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