क्या है महाकुंभ का पौराणिक महत्व और… क्यों बन रहा है डेढ़ सौ साल बाद यह दिव्य संयोग…! जानें महाकुंभ में स्नान का महत्व

Divine coincidence of Mahakumbh is taking place after 150 years

विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले का आगाज होने वाला है। इसमें कुछ ही समय बचा है। इसके पहले सभी 13 अखाड़ा की पेशवाई हो चुकी है। सभी अखाड़ों के संत महंत महामंडलेश्वर का मेले में छावनी प्रवेश हो चुका है। इस बीच श्री पंचायती अखाड़ा मां निर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डाला और इसका पौराणिक संबंध बताया।

श्री पंचायती अखाड़ा मां निर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने बताया कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो अमृत का कलश निकला था उसमें से चार जगह पर अमृत छलक गया था। नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार तो वहीं 12 साल के बाद में इस समय पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है। जब समय अमृत छलका था तो उस समय जो दिन था जो घड़ी थी जो मुहूर्त था। वही इस साल भी वैसे लग रहा है। वही दिन वही तिथि भी है। इसी के चलते डेढ़ सौ साल बाद यह दुर्लभ संजोग है जो महाकुंभ लग रहा है।

13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान, 14 को शाही स्नान

श्री पंचायती अखाड़ा मां निर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने बताया  प्रयागराज में  यहां पर सभी संत लोग विराजमान है तीनों नदियों का गंगा जमुना सरस्वती का संगम है। 13 तारीख को पौष का महीना समाप्त होगा। उसे हम कहते हैं पौष की पूर्णिमा उसका भी स्नान होता है, लेकिन उस दिन शाही स्नान नहीं होता है। 14 जनवरी को जब कभी सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन से सूर्य उतरायन होता है। तो उस दिन दान करने का भी बहुत बड़ा महत्व होता है। स्नान करने का भी होता है। 14 जनवरी को शाही स्नान होता है। स्नान तो 13 जनवरी को माघ का प्रारंभ हो जाएगा लेकिन शाही स्नान मकर संक्रांति को 14 जनवरी को है। इसके बाद दो शाही स्नान होंगे। मौनी अमावस्या को और जो श्रद्धालु है। यहां तीर्थ में यहां पर संगम में बड़े हनुमान जी का दर्शन करें और प्रयागराज की अधिष्ठान देवी है। आलोपी उनका दर्शन करें और प्रयागराज के जो अतिष्ठान देवता हैं। वेणी माधव यहां संतों का दर्शन लोग एक महीना रहते हैं। आपस में शास्त्र का चिंतन करते हैं। संवाद होता है। बहुत सारे समाज को क्या दिशा देनी चाहिए कैसे हमारे समाज को एक सूत्र में बांधे रखा जाए।

श्री पंचायती अखाड़ा मां निर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कई बार बेधर्मी लोग हमारे समाज को तोड़ने के लिए तरह-तरह के अपनाते हैं। कई बार आजकल कुछ ना कुछ ऐसे वक्तव्य दिए जा रहे हैं। हमारे कुंभ को लेकर के जो नेगेटिव बातें हैं। उन सब को लेकर के यहां मंथन होता है। विचार किया जाता है। समाज में हो निर्णय बताया जाता है। हमारा समाज श्रद्धालु है सनातनी बहुत श्रद्धावन है। हम संतों के निर्णय को स्वीकार करता है। जीवनशैली वैसे बदल लेता है और उसे सबका हित होता है। समाज का भी का भी और सब का उद्धार हो मेरी यही भावना है।

पूर्णिमा का स्नान करता है पूर्णता प्रदान

वैसे तो साल में 12 माह होते हैं हर महीने में जब चंद्रमा अपनी पूर्णता पूर्णिमा को होता है तो स्नान होता है तो ऐसे चैत्र महीने की पूर्णिमा होती है ऐसे पौष महीने की समाप्त होता है। उसके बाद फिर शादी विवाह आदि शुरू हो जाते हैं। शुभ कार्य शुरू हो जाता है तो इसलिए पौष का महीना उसकी पूर्णिमा है पूर्णिमा को तो हम लोग हमेशा स्नान करते हैं। पूर्णिमा स्नान करना चाहिए। हमेशा करना चाहिए। हमारे जीवन में पूर्णता होनी चाहिए। जीव ज्ञान चाहिए तो पूरा का पूरा जीव चाहता है। जीव को अधूरे में सुख नहीं मिलता। इसलिए हम लोग पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा से देखते हैं। स्नान व्रत संध्या त्याग में जीवन सब कुछ होता है। यह करते रहना चाहिए क्योंकि हर महीने हम पूर्णिमा को स्नान करते हैं।

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