प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के तहत स्टूडेंटर्स के साथ अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत की और उन्हें तनाव से मुक्ति के गुर बताए। इस बातचीत के दौरान पीएम परीक्षा के तनाव को कम करने के साथ ही साथ परीक्षा की रणनीति पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा स्वयं को दबाव झेलने के लिए सामर्थ्यवान बनाएं। यह मानकर चलें कि जीवन में दबाव तो बनता ही रहता है। प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को पढ़ाई करने के साथ ही अच्छी नींद और संतुलित आहार के साथ फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित किया। इस चर्चा के दौरान पीएम से छात्रों ने कई सवाल किये। और पूछा कि सामाजिक अपेक्षाएं दबाव बनाती हैं। दबाव को कैसे बाहर निकाले। इसके जवाब में पीएम ने कहा कि एक दबाव वह होता है। जो हम खुद ही तैयार करते हैं।
- पीएम मोदी ने की परीक्षा पे चर्चा
- पीएम ने की बच्चें के साथ सीधी बात
- विद्यार्थियों को दिए कई जरूरी टिप्स
- भारत मंडपम प्रगति मैदान में कार्यक्रम
- बच्चों पर माता पिता भी बनाते हैं दवाब
- माता.पिता भी दवाब उत्पन्न करते हैं
- प्रतिस्पर्धा हो लेकिन स्वस्थ होनी चाहिए
- परीक्षा पे चर्चा का 7वां संस्करण संपन्न
2016 में ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम प्रारंभ किया था
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टूडेंटस , शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत के इस कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा का यह 7वां संस्करण रहा। पीएम मोदी का यह कार्यक्रम भारत मंडपम प्रगति मैदान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में करीब 4000 प्रतिभागी प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीधी बातचीत के लिए जुडे़। इसके लिए हर प्रदेश और केंद्र शासित राज्यों से दो स्टूडेंट और एक शिक्षक के अलावा कला उत्सव के साथ वीर गाथा प्रतियोगिता के विजेताओं को भी मुख्य कार्यक्रम के लिए विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत की संसदीय राजनीति के मानक ही नहीं बदले हैं बल्कि नवाचारों के अधिष्ठाता के रुप में जाना जाता है। चाहे लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता की बात हो या फिर हर घर तिरंगाए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन दीपावली मनाने की बात हो या कोई दूसरा राष्ट्रव्यापी अभियान। प्रधानमंत्री भी कभी भला बच्चों से उनकी पढ़ाई और फिर परीक्षा पे चर्चा भी कर सकते हैं ये कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था ।
वैसे परीक्षा एक ऐसा शब्द हैए जिसे सुनते ही मन में एक अदृश्य भय के साथ तनाव से भर जाता है। चाहे बच्चा हो या युवा वह किसी भी आयु का कोई भी व्यक्ति क्यों न हो। परीक्षा का नाम सुनकर एक अलग प्रकार का मानसिक दबाव महसूस किया जाने लगता है। इसी के परिणाम परीक्षार्थी अपनी प्रतिभा का संपूर्ण प्रदर्शन करने में नाकाम साबित होता है। कई बार तो यह देखने में आया है कि बोर्ड परीक्षा के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी परिणाम आने से पहले ही विपरीत परिणाम आने की आशंका के चलते आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। ऐसे में परीक्षा के तनाव को ही दूर करने के उद्देश्य से पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 को परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम प्रारंभ किया था। इसके बाद से हर साल देश भर के बच्चों से वे परीक्षा पे चर्चा करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से विद्यार्थियों को कई जरूरी टिप्स दिये जाते हैं। इसके लिए एग्जाम वॉरियर्स नामक पुस्तक भी लिखी गई है। इस पुस्तक में 28 मंत्र अंकित किये गए हैं। इतना ही नहीं पुस्तक में पीएम नरेन्द्र मोदी ने अभिभावकों के लिए भी 8 सुझाव भी दिए। परीक्षा के समय केवल विद्यार्थी ही नहीं उसके माता पिता पर भी दबाव रहता है।
पीएम ने लिखी थी ये पुस्तक
यह तनाव अभिभावकों को भी खासा परेशान करता है। जिसके चलते विद्यार्थी और अभिभावक दोनों का ही जागरूक होना बेहद आवश्यक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ओर से पुराने ढर्रे पर चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में कई संशोधन भी किए हैं लेकिन इसके बाद भी आज के प्रतियोगी युग में जहां विद्यार्थी पर अच्छे प्रदर्शन का परिवार और समाज का दबाव रहता ही है। प्रधानमंत्री की ओर लिखित इस पुस्तक में बताया गया है कि बोर्ड परीक्षा पूरे जीवन की अंतिम परीक्षा नही है। यह जीवनारम्भ है। इसलिए परीक्षाए परीक्षा के लिए है परीक्षा जीवन पर हावी न हो जाएए परीक्षा जीवन के आनंद को नष्ट न कर दे इस बात की प्रेरणा विद्यार्थियों को सतत दी जानी चाहिए।
विद्यार्थियों को स्वयं अपने आप से स्पधी करना सिखाएं। प्रधानमंत्री का यह विचार बहुत ही प्रेरणादायक है कि विद्यार्थियों को जितना संभव हो दूसरों से प्रतिस्पधी करने से बचना चाहिए। हमें दूसरे से नहीं अपितु अपने आप से स्पर्धा करना सीखना चाहिए। जब हम स्वयं से स्पर्धा करेंगे तब हम निरंतर अपने आप को बेहतर बनाने का प्रयास करते रहेंगे। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि हम अपने विद्यार्थियों को स्वयं अपने आप से स्पधी करना सिखाएं। उन्हें प्रतिस्पर्धी नहीं अपितु अनु स्पधी करना सिखाएं। परीक्षाओं के समय विद्यार्थियों के ऊपर एक नकारात्मक प्रभाव हावी होने लगता है। कई बार यह देखने को मिलता है कि विद्यार्थी पहले से याद किया हुआ भूलने लगते हैं। कुछ विद्यार्थी ऐसा कहते हैं कि अब उन्हें नया याद करने में कठिनाई हो रही है। इस सब के पीछे वजह कई महत्वपूर्ण कारण हैं। तनाव और मानसिकता की वजह से अक्सर बच्चे अवसाद में चल जाते हैं। हम यह जानते हैं कि हमारा मन तनाव के हालात में चीजों को इतनी आसानी से ग्रहण नहीं किया जाता। जो उत्साह की स्थिति में ग्रहण किया जा सकता है।