लखनऊः आज यानी 15 जनवरी को डिम्पल यादव का जन्मदिन है। वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं जो कि कन्नौज से दो बार सांसद चुनी गई हैं। वह कन्नौज से ही एक बार निर्विरोध भी चुनी गयी हैं। फिलहाल, 2022 में मैनपुरी उपचुनाव जीतकर वह वहीं से सांसद हैं। उनके तीन बच्चे हैं-अदिति, टीना और अर्जुन।
कभी माना जाता था गूंगी गुड़िया
8 फरवरी 2017 से पहले डिंपल ने कभी अकेले किसी भी रैली को संबोधित नहीं किया था। फिरोजाबाद और कन्नौज को छोड़ दें तो इन दोनों सीटों के अलावा डिंपल ने किसी भी इलेक्शन रैली को संबोधित नहीं किया था। हालांकि, 2017 में चूंकि समाजवादी पार्टी में चूंकि एका नहीं था, इसलिए इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से जनसभाएं करने के मामले में डिंपल अखिलेश के बाद दूसरे नंबर पर रही थीं। 2022 में तो वह पूरी तरह से मंझी हुई नेत्री बन चुकी थीं।
21 की अवस्था में हुई डिम्पल की शादी
25 साल के अखिलेश की मुलाकात 21 साल की डिंपल से कॉलेज के दिनों में हुई थी। डिम्पल लखनऊ यूनिवर्सिटी से कॉमर्स की पढ़ाई कर रही थीं और अखिलेश ऑस्ट्रेलिया से एन्वॉयरमेंट इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री लेकर लौटे थे। दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी। देखते ही देखते प्यार परवान चढऩे लगा और 1999 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। राजनीति में आने से पहले डिम्पल अपने परिवार के सदस्यों सहित आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में नामजद थीं।
राजनीतिक क्षेत्र में पहला चुनाव वे हार गयीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अन्तत: उनके पति अखिलेश यादव ने अपनी जीती हुई कन्नौज लोक सभा सीट उनके लिये खाली कर दी। डिम्पल ने इस सीट के लिये अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। मुकाबले में कांग्रेस, भाजपा और बहुजन समाज पार्टी ने उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा। बाकी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
आखिरकार, 2012 का लोक सभा उप-चुनाव उन्होंने निर्विरोध जीतकर उत्तर प्रदेश में एक कीर्तिमान स्थपित किया। उनसे पहले केवल पुरुषोत्तम दास टंडन ने उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद पश्चिमी लोकसभा सीट सन् 1952 में एक पुरुष प्रत्याशी में रूप में निर्विरोध जीती थी।
डिंपल अब हैं पति की मुख्य सलाहकार
राजनीति में अपने पति का हाथ बटाने के लिये वह अखिलेश यादव का ट्वीटर व फेसबुक अकाउण्ट स्वयं देखती हैं। डिंपल यादव उत्तर प्रदेश में सेलेब्रिटी सांसद के रूप में भी जानी जाती हैं। उनको आमंत्रित करने की होड़ मची रहती है। स्क्रिप्टेड भाषण पढ़ने के वाबजूद यूपी में डिंपल का जादू खूब चल। अखिलेश के बाद वह पहली ऐसी नेता हैं, जो अपनी जनसभाओं में न सिर्फ भीड़ जुटाने में कामयाब रहीं, बल्कि उन्हें देर तक अपने संबोधन से बांधे रखा।
2017 में उन्होंने पीएम को मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, कहकर भी ट्रोल किया। अब, हालांकि वक्त के साथ डिंपल न तो गूंगी गुड़िया रही हैं, न ही उनकी जुबान फिसलती है। उनको पता है कि उन्हें कब, क्या और कैसे बोलना है। इसलिए, अखिलेश के साथ वह जमकर कदमताल भी कर पा रही हैं।
ससुर स्वर्गीय मुलायम नहीं थे राजी
मजे की बात है कि डिंपल के राजनीति में आने का उनके ससुर और तत्कालीन पार्टी प्रमुख स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने विरोध भी किया था, हालांकि बाद में अमर सिंह की सलाह और अखिलेश की जिद के आगे मुलायम मजबूर हो गए।
जया प्रदा, जया बच्चन और संजय दत्त जैसे सिने सितारों ने भी डिंपल के समर्थन में प्रचार किया, लेकिन डिंपल को उसका फायदा नहीं मिला। डिंपल की राजनीति में दस्तक से खफा मुलायम ने बहू के समर्थन में एक भी जनसभा नहीं की। इस तरह 2009 के चुनाव में फिरोजाबाद सीट से डिंपल यादव कांग्रेस के उम्मीदवार और सिने अभिनेता राज बब्बर से हार गईं थीं।
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