लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कांग्रेस को लगातार झटके पर झटका दे रही है। कांग्रेस से एक बाद एक बड़े चेहरे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। खासकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस इससे सबसे अधिक पीड़ित नजर आ रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद कई बड़े चेहरे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए। अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी भी कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी के पाले में आ गए। उनके साथ संजय शुक्ला, गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी, विशाल पटेल के साथ कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को ब्राह्मणों में पैठ रखने वाला नेता माना जाता है।
दिग्विजय सिंह गुट का होगा बोलबाला
सुरेश पचौरी के पार्टी छोड़ने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में कोई बड़ा चेहरा बेचेगा तो वो है दिग्विजय सिंह का। इसलिएदिग्विजय सिंह गुट का बोलबाला होगा, घटनाक्रम के आधार पर समझें कैसे…
- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में कांग्रेस छोड़ी
- अब ब्राम्हण नेता सुरेश पचौरी भी कांग्रेस छोड़कर चले गए
- कमलनाथ की भी बीजेपी में शामिल होने थी अटकलें
- अटकलों के बीच कमलनाथ ने खोया कांग्रेस पार्टी का विश्वास
- अब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह गुट का ही होगा बोलबाला
- दिग्विजय सिंह गुट के किसी बड़े नेता ने अब तक नहीं छोड़ी कांग्रेस
- कांग्रेस में अब सक्रिय होगा दिग्विजय सिंह का गुट
- दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह का कांग्रेस में भविष्य उज्जवल
- दिग्विजय गुट के पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह होंगे सक्रिय
- मध्यप्रदेश में दिग्विजय की सलाह पर लिये जाएंगे अब बड़े फैसले
- मध्यप्रदेश में कभी कांग्रेस सत्ता में आती है तो दिग्विजय गुट का होगी बोलबाला
अहमद पटेल के करीबी रहे हैं पचौरी
- सुरेश पचौरी कई बड़े पदों की जिम्मेदारी को दी गई थी
- 1972 में युकां कार्यकर्ता के तौर पर शुरु की थी राजनीति
- 1984 में राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष बनाया
- कांग्रेस ने 1984 में पचौरी को राज्यसभा सदस्य बनाया
- 1990, 1996 और 2002 में भी राज्यसभा सदस्य रहे सुरेश पचौरी
सुरेश पचौरी केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में रक्षा, कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत, पेंशन, और संसदीय मामले जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी भी दी थी। इतना ही नहीं पार्टी ने उन्हें जमीनी स्तर के संगठन कांग्रेस सेवा दल का अध्यक्ष भी बनाया। सुरेश पचौरी ने अपने राजनीतिक जीवन में केवल दो बार चुनावी मैदान में उतरे लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पहली बार साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी उमा भारती को चुनौती दी थी, लेकिन उमा भारती से वे 1 लाख 60 हजार लाख से ज्यादा वोटों से हार गए। इसके अलावा कांग्रेस ने उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में भोजपुर सीट से टिकट दिया था। तब शिवराज सरकार में मंत्री और दिवंगत पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव जीत नहीं सके।