दिग्विजय सिंह के खिलाफ किस मामले में दर्ज हुई FIR,कितनी सजा का है प्रावधान

Digvijay Singh

मध्य प्रदेश के पूर्व CM दिग्विजय सिंह को एक तस्वीर के साथ संघ के गुरु गोलवलकर को लेकर ट्वीट करना लगता है महंगा पड़ सकता है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इंदौर में FIR दर्ज कराई गई है। शिकायती आवेदन फरियादी अधिवक्ता राजेश जोशी की ओर से दिया गया है। जिस आधार पर पुलिस ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की है। बता दें दिग्विजय सिंह ने शनिवार की सुबह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी। जिसमें उन्होंने एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था गुरु गोलवलकर जी के दलितों-पिछड़ों के साथ मुसलमानों के लिए और राष्ट्रीय जल जंगल जमीन पर अधिकार पर क्या विचार थे अवश्य जानिए।

दिग्विजय सिंह ने क्या लिखा था

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर संघ को लेकर मुखर नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने 8 जुलाई की सुबह करीब सवा पांच बजे ट्वीटर पर पोस्टर साझा करते हुए उन्होंने लिखा है गुरु गोलवलकर जी के दलितों पिछड़ों, मुसलमानों के लिए और राष्ट्रीय जल जंगल …जमीन पर अधिकार पर किस तरह के विचार थे ये अवश्य जानिए। जो पोस्टर उन्होंने साझा किया उसमें गोलवलकर गुरुजी 1940 के साथ लिखा है कि मैं सारी जिंदगी अंग्रेजों की गुलामी करने के लिए तैयार हूं लेकिन जो दलित पिछड़ों और मुसलमानों को बराबरी का अधिकार देती हो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए। इस पोस्टर में गुरु गोलवलकर की तस्वीर भी है। बता दें दिग्विजय सिंह पहले भी कई बार बीजेपी और उसके अनुषांगिक संगठन संघ को निशाने पर लेते रहे हैं। पिछले दिनों मार्च में भी दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में लिखा था कि उन्हें आरएसएस से कोई आपत्ति नहीं है। बशर्ते वे उनके कुछ सवालों का जवाब दे दें। तब उन्होंने सवाल किया था कि “क्या आरएसएस बदल रहा है? ये भी सवाल किया था कि क्या महिलाओं और जो गैर हिंदु हैं उनको आरएसएस में प्रवेश दिया जाएगा? क्या आरएसएस अपना पंजीयन करायेगा? साथ ही दिग्विजय सिंह ने एक सवाल बैंक खाते को लेकर पूछा था कि क्या आरएसएस का बैंक अकाउंट होगा? क्या आरएसएस में सरसंघचालक के पद पर महिला, गैर हिंदू का चयन अथवा मनोनयन भी हो सकेगा? क्या आरएसएस अपनी हिंदू राष्ट्र की मांग पर कायम रहेगा? दिग्विजय सिंह ने पूछा था कि क्या आरएसएस को भारतीय संविधान पर भरोसा है? यदि वे इन प्रश्नों का सकारात्मक उत्तर दें तो उन्हें आरएसएस से कोई आपत्ति नहीं होगी।

इन धाराओं में दर्ज किया मामला

इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में ये एफआईआर दर्ज की गई है। जिसे लेकर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि संघ कार्यकर्ता एडवोकेट राजेश जोशी की शिकायत पर दिग्विजय सिंह खिलाफ भादंसं की धारा 153-ए यानी धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना, धारा 469 यानी ख्याति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जालसाजी करना। धारा 500 मानहानि और धारा 505 सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से भड़काऊ सामग्री के प्रदर्शन के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

धारा 153-ए में कितने साल की सजा का प्रावधान

दिग्विजय सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में जो धारा लगाई गई है उसमें धारा 153 ए भी शामिल है। भारतीय संविधान में भादंसं की धारा 153 ए भाषा, धर्म, जाति, निवास, जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने। सद्भाव बिगाड़ने के मामले में लगाई जाती है। इस धारा के तहत अपरा​ध सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति को तीन साल तक के कारावास या जुर्माना या एक साथ दोनों का प्रावधान है। इसे 1898 में अधिनियमित किया गया था। ये मूल दंड संहिता का हिस्सा नहीं था। संशोधन के समय वर्ग द्वेष को बढ़ावा देना राजद्रोह के अंग्रेजी कानून का एक हिस्सा था लेकिन भारतीय कानून में शामिल नहीं था।

धारा 469 के तहत कितने साल की सजा का प्रावधान

वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 469 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति कूटरचना इस आशय से करेगा कि वह दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख, जिसकी कूटरचना की जाती है। किसी पक्षकार की ख्याति की अपहानि करेगी। यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि इस प्रयोजन से उसका उपयोग किया जाए। वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो की सजा का हकदार होगा।

धारा 500 और 505 में क्या होता है?

धारा 505 के तहत विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन, जनश्रुति आदि परिचालित करना है। इस धारा के तहत अपराध सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति को 3 साल के कारावास या आर्थिक दण्ड ही नहीं दोनों एक साथ भी लगाए जा सकते हैं। यह अपराध गैर-जमानती ही नहीं संज्ञेय भी है। किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है। वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत जो कोई व्यक्ति किसी दूसरे की मानहानि करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास से जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है से दंडित किया जा सकता है। इतना ही नहीं आर्थिक दण्ड या दोनों से भी दण्डित किया जा सकता है।

कौन हैं गुरु गोलवलकर

गुरु गोलवलकर का पूरा नाम माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर है। वे संघ के दूसरे संघप्रचारक थे। गोलवलकर का जन्म 19 फरवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से इनका पहला परिचय बनारस में हेडगेवार के एक कार्यक्रम में हुआ था। जहां डॉ.हेडगेवार की विचारधारा से ये काफी प्रभावित हुए और संघ से जुड़ गए। डॉ.हेडगेवार ने 13 अगस्त 1939 को रक्षाबंधन के मौके पर गोलवलकर को संघ का सरकार्यवाहक के पद पर पदस्थ किया था। इन्होंने 1940-1973 यानी 33 सालों तक आरएसएस के स्वरूप को विस्तार देने के लिए कई काम किये। गोलवलकर का निधन 5 जून 1973 को हुआ था।

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