वारिस पंजाब देष् प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके साथी इन दिनों असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। जहां वे भूख हड़ताल पर चले गए। अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने इसकी जानकारी दी और बताया डिब्रूगढ़ जेल में खराब सुविधाओं के चलते ये लोग भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वहीं अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने यह भी दावा किया है कि जेल में बंद कैदियों को उनके परिवार से फोन पर बात नहीं करने दी जाती है है। इसके साथ ही जेल में कैदियों दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है।
- डिब्रगढ़ की जेल में बंद है अमृतपाल सिंह
- तंबाकू वाली रोटी खाने को मजबूर है अमृतपाल
- पत्नी किरणदीप ने किया खुलासा
- भूखहड़ताल पर बैठे अमृतपाल सिंह और उसके साथी
- किरणपकौर भी करेगी भूख हड़ताल
पति से मिलकर लौटने के बाद किरणदीप कौर ने ऐलान किया है कि वह भी अपने पति के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठेगी। किरणदीप कौर ने कहा कि अमृतपाल सिंह और उसके 9 सहयोगियों ने भूख हड़ताल कर दी। किरणदीप ने कहा वह इस सप्ताह अमृतपाल से मिलने डिब्रूगढ़ जेल पहुंची तब उसे इस बात की जानकारी मिली । किरणदीप ने जानकारी दी कि हड़ताल की कुछ वजह भी हैं। उनमें से एक कारण यह है कि पंजाब की भगवंत मान सरकार उन्हें अपने परिवारों से फोन पर संपर्क करने की अनुमति नहीं दे रही है। उन्हें यह सुविधा दी जाती है तो जेल में मिलने आने वाले परिवारों के 20 से 25 हजार रुपये बच जाएंगे। क्योंकि हर परिवार यह खर्च उठाने में सक्षम नहीं है
तंबाकू मिली रोटी दी जाती है जेल में
किरणदीप ने खुलासा किया है कि टेलीफोन सुविधा नहीं होने के कारण वो अपने कानूनी सलाहकार के साथ बातचीत नहीं कर पाते हैं। जिससे उन्हें केस लड़ने में परेषानी का सामना करना पड़ रहा है। किरणदीप ने जेल में मिलने वाले भोपान को लेकर भी सवाल खड़े किये और कहा जेल में खाने.पीने की व्यवस्था अच्छी नहीं है। दाल सब्जी में कभी नमक नहीं डालते तो रोटी में कभी तंबाकू पाया जाता है। जिससे वह खाने लायक नहीं होताती यह भोजन तंबाकू सेवन करने वाले तैयार करते हैं। यह सिख आचार संहिता के विपरीत है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने ने कहा ये समस्या उनकी सेहत पर असर डाल रहीं हैं। सरकार इन मुद्दों काे सुलझााएं क्योंकि वे बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं , वीआईपी ट्रीटमेंट की नहीं। जेल के लोगों से कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि वो पंजाबी भाषा नहीं जानते। इतना ही नहीं सिखों को अपनी बात रखने के लिए कोई ट्रांसलेटर की भी सुविधानहीं दी गई है।