दिल्ली चुनावों के नतीजे चुके हैं। दिल्ली MCD में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल चुका है। अब दिल्ली सरकार के साथ साथ दिल्ली की नगर सरकार भी आम आदमी पार्टी की होगी। एक्जिट पोल के नतीजों के बाद ही आम आदमी पार्टी ने अपना नया नारा भी तैयार कर लिया।
आज देश के दो राज्यों में अपने मुख्यमंत्री , कुछ राज्यों मे विधायक पार्षद और मेयर तक बनवाने वाली आम आदमी पार्टी के बने ही दस साल हुए है। आप ने नेता अरविंद केजरीवाल का नेता बनने का सफर कैसा रहा आइए बताते हैं आपको।
अन्ना आंदोलन से हुई शुरूआत
अरविंद केजरीवाल के नेता बनने की कहानी अन्ना आंदोलन से शुरू होती है। अन्ना के भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आंदोलन देश में तेजी से फैला ।“ इंडिया अगेस्ट करप्शन “ आंदोलन में दिल्ली में अन्ना हजारे का आंदोलन और अलग अलग राज्यों और शहरों में अन्ना के समर्थन में समाजसेवियों का धरने देना सड़कों पर उतरना। अगस्त 2011 में देश में कुछ ऐसा ही नजारा था। अन्ना के इस आंदोलन में तीन चेहरे योगेन्द्र यादव, किरण बेदी, और अरविंद केजरीवाल जो तेजी से जनता के सामने आए और इनके हाथ में अन्ना आंदोलन के बागड़ोर आ गई।
कैसे बनी आम आदमी पार्टी
अन्ना आंदोलन खत्म होने के बाद अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी , योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास ने मिलकर आम आदमी पार्टी बनाई। पार्टी बनाने के पीछे का मकसद आम आदमी की सरकार बनाना और भ्रष्ट्राचार मुक्त भारत बनाना था। पार्टी ने बनते ही कई उतार-चढ़ाव देख किरण बेदी बीजेपी में चली गई योगेन्द्र यादव, आशुतोष और कुमार विश्वास ने पार्टी छोड़ दी और अरविंद केजरीवाल आप के संयोजक के तौर पर आगे बढ़ते रहे।अरविंद केजरीवाल के साथ कोई बना रहा तो मनीष सिसोदिया ।
सबसे पहले दिल्ली में बनाई सरकार
दिल्ली में अन्ना आंदोलन खत्म होने के बाद आम आदमी पार्टी ने पहला चुनाव दिल्ली में लड़ा। 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के अच्छी खासी सीटें मिली। लेकिन तब भी वो बहुमत हासिल नहीं कर सकी। कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई लेकिन 49 दिन में ही इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जब दूसरी बार चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी के पूर्ण बहुमत मिला। तब आम आदमी पार्टी के बने मात्र एक साल ही बीते थे।
केजरीवाल बने दिल्ली के बेटे
इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज छोड़कर अन्ना के आंदोलन में आने वाले केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाने के बाद दिल्ली में सरकार बनाई और देखते देखते दिल्ली में लोगों के दिलों पर राज करने लगे।
1-केजरीवाल ने खुद को दिल्ली का बेटा बताया।
2 समय के साथ केजरीवाल के राजनीति , कूटनीतियों के साथ चमकती चली गई ।
3 धीरे धीरे एक एक्टिविस्ट एक मंझे हुए नेता के तौर पर जनता के सामने आया।
4 केजरीवाल किसी के बेटे बन गए तो किसी के लिए बड़े भाई
5 केजरीवाल की छवि उन नेताओं की तरह हो गई जो जनता की सेवा के बाद बचा वक्त अपने परिवार के साथ बीताते है।
अब दो राज्यों में है सरकार
दस साल पहले बना राजनैतिक दल के देश में दो राज्यों में मुख्यमंत्री है। कमोबेश देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस के भी देश में दो मुख्यमंत्री है। आम आदमी पार्टी की सफलता का इससे बड़ा और क्या उदाहरण हो सकता है। समय के साथ केजरीवाल ने जनता की नब्ज को समझा और दिल्ली में “केजरीवाल मॉडल” की शुरूआत की। “केजरीवाल मॉडल” मतलब की अच्छे सरकारी स्कूल, सस्ती बिजली और अस्पतालों में इलाज से लेकर सर्जरी तक सब मुफ्त। लोगों को “केजरीवाल मॉडल” पसंद आया और अब दिल्ली सरकार के साथ साथ दिल्ली नगर निगम पर भी “आप” ने कब्जा कर लिया।