दिल्ली में बढ़ने लगा है चुनावी तापमान…सरगर्मी से उछाले जा रहे हैं मुद्दे…जानें इस बार कौन कौन से मुद्दों पर मांगे जा रहे वोट

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इस बीच यह जानना अहम है कि दिल्ली चुनाव में कौन से मुद्दों का असर सबसे ज्यादा रहेगा। आइये एक नजर यह भी डाल लेते हैं कि दिल्ली के दिल में कौन सी जन समस्याएं सामने आ रही हैं। किस दल की ओर से कौन कौन से वादे और दावे किये जा रहे हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025

दिल्ली की हॉट सीट में से एक नई दिल्ली विधानसभा सीट है।.क्या है सीट का समीकरण और किन-किन के बीच है टक्कर। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अब तक हुए 7 चुनावों में 6 बार जीतने वाले विधायक दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं। पहले शीला दीक्षित इसके बाद आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, लेकिन बीजेपी को अब तक यह मौका नहीं नसीब हुआ है। क्या बीजेपी को सत्ता मिलेगी और प्रवेश वर्मा जीते तो उनको मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? और भी तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए सियासी माथापच्ची जारी है।

नई दिल्ली सीट पर सभी की नजरें

दिल्ली के चुनाव में जिस एक सीट पर पूरे देश की नजर है वह नई दिल्ली विधानसभा सीट है। इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में लड़ाई और भी दिलचस्प हो गई है। क्योंकि, मुकाबला एक पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों के बीच होने जा रहा है। इस सीट से अरविंद केजरीवाल, संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा अपनी-अपनी किस्मत चुनाव में आजमा रहे हैं।

एक जैसा नहीं सभी 70 सीटों का मिजाज

दरअसल दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों का सियासी मिजाज एक तरह से नहीं है। बल्कि हर सीट का अपना सियासी समीकरण है। सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए पार्टियां अपनी रणनीति तैयार कर चुकी है। इसी तैयारी का अहम हिस्सा है मतदाताओं का जातीय समीकरण। पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सत्ता की चाबी पूर्वांचली, पंजाबी, वैश्य और जाट मतदाताओं के हाथ में रही है तो वहीं उत्तराखंडी, ब्राह्मण और दलित वोटर भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। दिल्ली के धार्मिक कास्ट पॉलिटिक्स की बात करें तो

धार्मिक कास्ट पॉलिटिक्स

जातीय और क्षेत्रीय आधार पर

नई दिल्ली की विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल ने 3 बार चुनाव लड़ा, और तीनों ही बार बड़े अंतर से जीत दर्ज की। 2013 में उन्होंने कांग्रेस की कद्दावर नेता रहीं दिवंगत शीला दीक्षित को 25 हजार 864 मतों के अंतर से मात दी थी। 2015 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी की नूपुर शर्मा को 31 हजार 583 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं 2020 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के ही सुनील यादव को 21 हजार 697 वोटों के अंतर से मात दी थी।

चुनाव परिणाम -2020

पार्टी             कैंडिडेट्स वोट्स                                                   वोट %

AAP            अरविंद केजरीवाल 46,758                                    61.10%
BJP             सुनील कुमार यादव 25,061                                   32.75%
CONG        रोमेश सभावाल 3,220                                          4.21%

चुनाव परिणाम -2015

पार्टी          कैंडिडेट्स वोट्स                                                  वोट %

AAP         रविंद केजरीवाल 57,213                                       64.34%
BJP          नूपुर शर्मा 25,630                                                28.81%
CONG किरण वालिया 4781                                                 5.37%

चुनाव परिणाम -2013

पार्टी         कैंडिडेट्स वोट                                                     वोट %

आप         अरविंद केजरीवाल 44,269                                   53.46 %
कांग्रेस       शीला दीक्षित 18,405                                          22.23 %
बीजेपी       विजेंद्र गुप्ता 17,952                                           21.68%

Exit mobile version