दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इस बीच यह जानना अहम है कि दिल्ली चुनाव में कौन से मुद्दों का असर सबसे ज्यादा रहेगा। आइये एक नजर यह भी डाल लेते हैं कि दिल्ली के दिल में कौन सी जन समस्याएं सामने आ रही हैं। किस दल की ओर से कौन कौन से वादे और दावे किये जा रहे हैं।
- यमुना की सफाई
- मूलभूत सुविधा दिल्ली के लिए सबसे अहम मुद्दा
- प्रदूषण अब भी सबसे अहम मुद्दा
- झुग्गी-बस्ती और मकान का मुद्दा
- मुफ्त योजना के रास्ते पर सभी दल
- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा
- दिल्ली की कानून व्यवस्था
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025
- अहम सीटों में से एक नई दिल्ली विस सीट
- क्या कहता है इस सीट का समीकरण
- दिल्ली की हॉट सीट में से है एक
- इस सीट पर 3 प्रत्याशियों की टक्कर
- दो पूर्व सीएम के बेटे लड़ रहे चुनाव
- पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल लड़ रहे चुनाव
- शीला दीक्षित के बेटे लड़ रहे चुनाव
- बीजेपी से प्रवेश वर्मा लड़ रहे चुनाव
दिल्ली की हॉट सीट में से एक नई दिल्ली विधानसभा सीट है।.क्या है सीट का समीकरण और किन-किन के बीच है टक्कर। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अब तक हुए 7 चुनावों में 6 बार जीतने वाले विधायक दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं। पहले शीला दीक्षित इसके बाद आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, लेकिन बीजेपी को अब तक यह मौका नहीं नसीब हुआ है। क्या बीजेपी को सत्ता मिलेगी और प्रवेश वर्मा जीते तो उनको मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? और भी तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए सियासी माथापच्ची जारी है।
नई दिल्ली सीट पर सभी की नजरें
दिल्ली के चुनाव में जिस एक सीट पर पूरे देश की नजर है वह नई दिल्ली विधानसभा सीट है। इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में लड़ाई और भी दिलचस्प हो गई है। क्योंकि, मुकाबला एक पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों के बीच होने जा रहा है। इस सीट से अरविंद केजरीवाल, संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा अपनी-अपनी किस्मत चुनाव में आजमा रहे हैं।
एक जैसा नहीं सभी 70 सीटों का मिजाज
दरअसल दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों का सियासी मिजाज एक तरह से नहीं है। बल्कि हर सीट का अपना सियासी समीकरण है। सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए पार्टियां अपनी रणनीति तैयार कर चुकी है। इसी तैयारी का अहम हिस्सा है मतदाताओं का जातीय समीकरण। पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सत्ता की चाबी पूर्वांचली, पंजाबी, वैश्य और जाट मतदाताओं के हाथ में रही है तो वहीं उत्तराखंडी, ब्राह्मण और दलित वोटर भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। दिल्ली के धार्मिक कास्ट पॉलिटिक्स की बात करें तो
धार्मिक कास्ट पॉलिटिक्स
- हिंदू समुदाय के वोटर -81 फीसदी
- मुस्लिम – 12 फीसदी
- सिख – 5 फीसदी
- ईसाई व जैन समुदाय के मतदाता-एक-एक फीसदी
जातीय और क्षेत्रीय आधार पर
- दिल्ली में पूर्वांचली- 25 फीसदी मतदाता
- पंजाबी मतदाता – 22 फीसदी के करीब
- जाट और वैश्य – 8-8 फीसदी
- ब्राह्मण 10 फीसदी
- दलित मतदाता 17 फीसदी
- गुर्जर 3 फीसदी
- यादव 2 फीसदी
- राजपूत एक फीसदी
- उत्तराखंडी मतदाता करीब 6 फीसदी
नई दिल्ली की विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल ने 3 बार चुनाव लड़ा, और तीनों ही बार बड़े अंतर से जीत दर्ज की। 2013 में उन्होंने कांग्रेस की कद्दावर नेता रहीं दिवंगत शीला दीक्षित को 25 हजार 864 मतों के अंतर से मात दी थी। 2015 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी की नूपुर शर्मा को 31 हजार 583 वोटों के अंतर से हराया था। वहीं 2020 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के ही सुनील यादव को 21 हजार 697 वोटों के अंतर से मात दी थी।
चुनाव परिणाम -2020
पार्टी कैंडिडेट्स वोट्स वोट %
AAP अरविंद केजरीवाल 46,758 61.10%
BJP सुनील कुमार यादव 25,061 32.75%
CONG रोमेश सभावाल 3,220 4.21%
चुनाव परिणाम -2015
पार्टी कैंडिडेट्स वोट्स वोट %
AAP रविंद केजरीवाल 57,213 64.34%
BJP नूपुर शर्मा 25,630 28.81%
CONG किरण वालिया 4781 5.37%
चुनाव परिणाम -2013
पार्टी कैंडिडेट्स वोट वोट %
आप अरविंद केजरीवाल 44,269 53.46 %
कांग्रेस शीला दीक्षित 18,405 22.23 %
बीजेपी विजेंद्र गुप्ता 17,952 21.68%