दीपोत्सव 2024: क्या है पांच दिनी अनुष्ठान का महत्व आइये जानते हैं
भारत में दीपावली व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्यौहारों में से एक है। रोशनी का ये त्यौहार एक दिन का नहीं पांच दिन का है। जिसमें हर दिन का अलग महत्व और अनुष्ठान होते हैं। क्या हैं दीपावली पर होने वाले 5 दिनी अनुष्ठान और हर दिन के अनुष्ठान का महत्व आइये जानते हैं, उससे जुड़े रीति रिवाजों और परंपराओं के बारे में।
5 दिनों का त्यौहार है दीवाली
धनतेरस के साथ शुरू होता है दीपोत्सव
भाई दूज के दिन होता है महापर्व सम्पन्न
सतयुग से शुरू होती है भारतीय काल गणना
इस युग में मनाया गया था पहली बार दिवाली पर्व
त्रेता और द्वापर युग में जुड़ती गईं नई घटनाएं
इस वक्त पूरे देश में दिवाली की धूम मची हुई है। दिवाली का खुशियां मनाने और बांटने का त्योहार है। 5 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में हर दिन का अलग महत्व और मान्यता हैं। यह पांच दिन का महापर्व लक्ष्मी जी, भगवान राम और कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित होता है। कौन-कौन से है वह पांच दिन।
दीपोत्सव का पहला दिन- धनतेरस
दूसरा दिन- नरक चतुर्दशी
तीसरा दिन- दीपावली
चौथा दिन- गोवर्धन पूजा
पांचवा दिन- भाई दूज
पांच दिनों के दीप पर्व में सबसे खास दीपोत्सव को ही माना जाता है। यह सबसे खास होती है। वैसे तो पंच दिनी इस पर्व में हर दिन अलग—अलग देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है। रोशनी के इस पर्व की शुरुआत से अंत तक पांच दिन का अलग अलग महत्व है। दीपोत्सव से पहले धनतेरस के दिन से ही बाजार में त्यौहार की खरीदारी शुरू हो जाती हैं। यम द्वितीया पर यह पर्व संपन्न होता है।
आखिर क्यों मनाते हैं धनतेरस का त्यौहार
दीपावली त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा से जातक को आरोग्य की प्राप्ति होती है। वहीं माता लक्ष्मी-कुबेर पूजा से धन बढ़ता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने के लिए या फिर व्यापार को आरंभ करने के लिए भी धनतेरस का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। इस तिथि से ही दिवाली पर्व की शुरुआत होती है। लेकिन धनतेरस की तिथि को लेकर थोड़ी कन्फ्यूजन की स्थिति है। इसके अलावा धनतेरस पर किन शुभ चीजों की खरीदारी आवश्यक होती है। जिससे माता लक्ष्मी की कृपा बरसे।
दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है पूर्व छोटी दिवाली
दीपावली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन को कई दूसरे नामों से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन पर लोग यम देव के लिए दीया जलाते हैं। भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। ऐसे में हर किसी को इस दिन सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा करनी चाहिए।
छोटी दिवाली को कहते हैं नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी के दिन जलाते हैं यम का दीप
छोटी दिवाली पर की जाती है नीम की दातुन
सनातन धर्म में लोकप्रिय पर्वों में से एक है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा सनातन धर्म में लोकप्रिय पर्वों में से एक है। हर साल कार्तिक मास में ही गोवर्धन पूजा का त्योहार दीपावली के बाद मनाया जाता है। इस दौरान लोक भक्ति और प्रेम के साथ भगवान श्री कृष्ण की आराधना करते हैं। इस दिन गौ माता की पूजा का भी खास महत्व होता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से साधक के समस्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं।
(प्रकाश कुमार पांडेय)