मेरे पूज्य पिताजी स्वर्गीय श्री राजेश पायलट जी की पुण्यतिथि पर उन्हें हृदय से नमन करता हूँ। अपनी कर्मभूमि से उनका जुड़ाव, जनता से अपनेपन का रिश्ता एवं जनकल्याण के प्रति पिता की समर्पित कार्यशैली अब मेरे लिए मार्गदर्शक हैं। पायलट ने लिखा है कि उनकी पिता ने जनहित को सर्वोपरि मानकर अपने सिद्धांतों से कभी भी कोई समझौता नहीं किया। वे अपने पिता के विचार और आदर्श का सदैव अनुसरण करते रहेंगे। यह शब्द राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के उस ट्वीट के हैं जो उन्होंने रविवार 11 जून की सुबह पौने आठ बजे किया है। सचिन पायलट के इस ट्वीट के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
- 11 जून 2002 को हुआ था राजेश पायलट का निधन
- दौसा के पास सड़क हादसे में हुआ था निधन
- हर साल दौसा में आयोजित की जाती है श्रद्धांजलि सभा
- पिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सचिन पायलट
- जनसभा के बाद अपने पैतृक गांव जाएंगे सचिन पायलट
- पीके की कम्पनी आई पेक तैयार कर रही पायलट दौरे
बता दें 11 जून को सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। सचिन पायलट दौसा में श्रद्धाजलि कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे हैं। दौसा-भंडाना में श्रद्धांजलि कार्यक्रम
आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम में स्वर्गीय राजेश पायलट की प्रतिमा का अनवरण भी किया जाएगा। इसके साथ ही नए भवन का लोकार्पण और श्रद्धांजलि का आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धांजलि कार्यक्रम और जनसभा के बाद सचिन पायलट हर साल की तरह उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद स्थित अपने पैतृक गांव जाएंगे। बता दें दौसा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम और जनसभा की जिम्मेदारी गहलोत सरकार में मंत्री मुरारी लाल मीना संभाल रहे हैं। ऐसे में मंत्री मुरारी लाल ने स्पष्टतौर पर कहा है कि सचिन पायलट नई पार्टी नहीं बना रहे हैं। उन्होंने कहा वे पिछले 4 साल से केवल यही सुनते आ रहे हैं। मंत्री मीना ने कहा हम सब कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं।
नई पार्टी के ऐलान की कयासबाजी
बता दें दौसा में राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम पर कांग्रेस के नेताओं की ही नहीं बीजेपी की भी निगाह है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सचिन पायलट आज कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। नई पार्टी के ऐलान को लेकर भी पिछले कई दिनों से चर्चा जोरों पर हैं। हालांकि पायलट समर्थक विधायक और नेता इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं। अटकलों के बीच दौसा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम और जनसभा में शामिल होने से पहले सचिन पायलट ने सुबह जो ट्वीट किया है उसे लेकर राजनीति हल्को में चर्चा तेज हो गई है। ट्वीट में सचिन ने अपने पिता स्वर्गीय राजेश पायलट को याद करते हुए जो कुछ लिखा है उसने सियासी चर्चा बढ़ा दी है। ।
पीके की टीम तैयार कर रही पायलट की ‘रणनीति’
सचिन पायलट पिछले कई महीनों से लगातार राजस्थान का दौरा कर रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। उन्होंने अनशन के बाद जनसंघर्ष यात्रा भी निकाली।
ऐसे में पायलट के करीबी विधायकों का कहना है आने वाले दिनों सचिन पायलट विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के सभी जिलों का दौरा करने वाले हैं। सचिन पायलट के इन सियासी दौरों की तैयारी, कार्ययोजना और रणनीति कोई ओर नहीं चुनावी विशेषज्ञ प्रशांत किशोर की देखरेख में बनाई जा रही है। पीके की कम्पनी आई पेक पायलट के चुनावी दौरों की रुपरेखा तैयार कर रही है। आई पेक ने पायलट के लिए जो दौरे डिजाइन किये हैं जिसमें करीब 80 विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ी है। सचिन पायलट राज्य की करीब 80 विधानसभा सीटों पर अगले कुछ दिनों में दौरा करेंगे। चर्चा है कि इसके लिए पीके की कंपनी करीब 80 करोड़ रुपये फीस के तौर पर लेने वाली है। सूत्र बताते हैं कि प्रशांत किशोर की कम्पनी आई पेक के काम करने का तरीका अलग है। उसकी सबसे जरूरी शर्त यह है कि कंपनी कम से कम 40 सीटों पर काम करती है। इससे कम सीटों पर उनकी कंपनी कोई काम नहीं करती। इतना ही नहीं कंपनी की और से हर विधानसभा सीट की सियासी रुपरेखा बनाने, दौरा कार्यक्रम तय करने और जनता को किस तरह प्रभावित किया जा सकता है इसकी रणनीति बनाने में करीब 1 करोड़ रुपए तक की फीस लेते है। इस तरह यदि राजस्थान की 80 सीटों की रणनीति पीके की कंपनी तैयार करेगी तो उसके लिए 80 करोड़ का भुगतान करना होगा। सूत्र बताते हैं आई पीके की टीम को राजस्थान के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से की 40 सीटों पर गहराई से फोकस करना है तो वहीं शेष 40 और सीटों को अपने काम में जोड़ने की योजना तैयार की जा रही है। बता दें सचिन पायलट की छवि राष्ट्रीय स्तर के नेता की है। ऐसे में उनकी छवि को ध्यान में रखते हुए इन विधानसभा सीटों के लिए चुनावी रुपरेखा को तैयार किया जाएगा। जिसमें पायलट के दौरे के साथ साथ सभा, रैलियां और पदयात्रा भी शामिल है।
40 सीटों पर पायलट का सीधा प्रभाव
बता दें राजस्थान में 15 जिलों की करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां सीधे तौर पर सचिन पायलट का प्रभाव माना जाहा है। जिसमें दौसा, जयपुर, सवाई माधोपुर, अजमेर, राजसमंद, भीलवाड़ा, करौली, कोटा, टोक, झालावाड, बूंदी, चितौड़गढ़, भरतपुर, झुंझुनूं और अलवर जिले शामिल हैं। जहां की करीब 40 विधानसभा सीटें पर बड़ी संख्या में गुर्जर मतदाता हैं। इन सीटों पर गुर्जर समाज की राजनीति ताकत किसी से छुपि नहीं है। यहां प्रत्याशियों को जीताने हराने में इस समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। सचिन पायलट गुर्जर समाज से ही ताल्लुक रखते है।इतना ही नहीं उन्हें गुर्जर समाज का एक आदर्श नेता भी माना जाता है। ऐसे में सचिन पायलट नई पार्टी का ऐलान करते हैं तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों को इन 40 सीटों पर नुकसान हो सकता है।
अन्य 15 सीटों पर पायलट का असर
सचिन पायलट का असर राजस्थान की गुर्जर बाहुल्य सीटों पर ही नहीं दूसरी सीटों पर भी है। ऐसेी करीब 15 सीटें हैं जहां के स्थानीय नेता सीधे तौर पर सचिन पायलट से जुड़े हैं। सचिन पायलट के साथ 20 से ज्यादा ऐसे नेता जुड़े हुए हैं जो दूसरे समाज से संबंध रखते हैं। यही वजह है कि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गुर्जर बाहुल्य 40 विधानसभा सीटों के अतिरिक्त सचिन पायलट 15 दूसरे विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं। वे नई पार्टी बनाते हैं तो यहां भी कांग्रेस के साथ बीजेपी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।