दान पेटी से निकली सोने की बत्तीसी

सांवलिया सेठ जिन्हें तस्कर चढ़ाते हैं अफीम

दान पेटी से निकली सोने की बत्तीसी

भारत में आमतौर पर भक्त मंदिरों में सोनेण्चांदी का चढ़ावा चढ़ाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के मंदसौर स्थित दूध माता के मंदिर में एक भक्त अनोखी व्सतु दान पेटी में चढ़ा कर चला गया । ये है सोने से बनी दांतों की बत्तीसी। सुनकर आप भी हैान हो जाएंगे। लेकिन यह सच है। पिछले चार पांच दिन से चल रही दूधाखेड़ी माताजी मंदिर भंडारण पात्र की गणना जारी है। इसमें शुक्रवार को सोने से बने बत्तीस दांत निकले। साथ ही 5 लाख 45 हजार 600 रुपए गिने गए। इसके साथ चारों दिनों की राशि का आंकड़ा 51 लाख 91 हजार 400 हजार रुपए के पार पहुंच गया। मंदिर प्रबंधन का कहना है राशि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक हेमंत मीणा को जमा कर दी है। वहीं सोने की बत्तीसी को फिलहाल सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है।  दान पेटी से निकली राशि की गणना अभी कुछ दिना तक और जारी रहेगी।

सांवलिया सेठ जिन्हें तस्कर चढ़ाते हैं अफीम
मप्र और राजस्थान की सीमा पर स्थित सांवलिया सेठ का मंदिर भी चर्चा में रहता है। दरअसल यहां देवता को अफीम का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। अफीम तस्कर अपनी पहले मंदिर की चौखट पर सर नवाकर कमाई में से एक हिस्सा भगवान को भी पहुंचाते हैं। कई बार मंदिर की दान पेटी की दामपेटी से सोने और चांदी की वस्तुएं निकली है। पिछले दिनों यहां जब दानपेटी खोली गई थी तब चांदी से बना आईफोन निकला था ।

चांदी का बना अफीम का पौधा 
वहीं मेवाड़ के श्री सांवलिया जी मंदिर में एक किसान ने मन्नत पूरी होने पर 100 ग्राम चांदी से बना अफीम का पौधा अर्पित किया। जिसमें पत्ते ही नहीं अफीम के डोडे और डोडे के चीरा लगाकर अफीम को निकलता हुआ दिखाया गया। मंदिर मंडल ने नीमच केइस भक्त का ओढ़ना पहनाकर व प्रसाद भेंट कर स्वागत किया। किसान का कहना था कि उसने अफीम की खेती की सुरक्षा अज्ञैर अच्छी पैदावार के लिए मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी हुई।

जोखिम से भरी होती है अफीम की खेती 
दरअसल चित्तौड़गढ़ सहित आसपास के जिलों और समीपवर्ती मध्य प्रदेश में अफीम की खेती होती है। अफीम किसान मुश्किल से सरकार से लाइसेंस प्राप्त होता है। निर्धारित मात्रा में अफीम नहीं दी जाती तो लाइसेंस रद्द होने का भय बना रहता है। इतना ही नहीं अफीम की खेती की देखभाल करना। बारिश और सूखे से बचाने के साथ ही तस्करों से बचाने की भी चुनौती रहती है। यह खेती एक तरीके से जोखिम है। यही वजह है कि किसान ने मन्नत मांगी थी कि उसकी फसल की मौसम और तस्करों बचाते हुए पैदावार अच्छी हो।

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